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36 साल से कैद हैं राधा-कृष्ण, आखिर कब होगी रिहाई? भागलपुर कोर्ट ने SSP को दी आखिरी चेतावनी

भागलपुर में 36 साल से मालखाने में बंद भगवान राधा-कृष्ण और सत्यनारायण की मूर्तियों को रिहा करने में देरी पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। एसएसपी को आदेश दिया गया है कि अगर मूर्तियों को मुक्त करने संबंधी रिपोर्ट नहीं सौंपी गई तो उनके खिलाफ अवमानना का केस चलेगा। कोर्ट ने अधिवक्ता संदीप झा की अर्जी पर सुनवाई बाद उक्त आदेश जारी किया है।

By Kaushal Kishore Mishra Edited By: Rajat Mourya Updated: Tue, 24 Sep 2024 03:53 PM (IST)
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36 साल से कैद भगवान की रिहाई संबंधी रिपोर्ट नहीं दी तो एसएसपी होंगे जिम्मेदार। प्रतीकात्मक तस्वीर

जागरण संवाददाता, भागलपुर। टोडरमल दिलखुश राय दल्लू बाबू धर्मशाला से भगवान राधा-कृष्ण और सत्यनारायण की चोरी की गई चार मूर्तियों की मालखाने से रिहाई संबंधी रिपोर्ट नहीं सौंपने पर सारी जिम्मेदारी एसएसपी की होगी।

न्यायिक दंडाधिकारी राहुल दत्ता की अदालत ने स्पष्ट आदेश दिया है कि यदि न्यायालय में अब मूर्तियों को मुक्त करने संबंधी रिपोर्ट नहीं सौंपी तो उसका जिम्मेदार एसएसपी, भागलपुर को मानते हुए न्यायालय की अवमानना का केस चलाया जाएगा।

प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी राहुल दत्ता ने 36 साल से मालखाने में कैद भगवान की उन मूर्तियों की मुक्ति के पूर्व पुलिस से मांगी गई रिपोर्ट अबतक नहीं दिये जाने को लेकर सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। अधिवक्ता संदीप झा की अर्जी पर सुनवाई बाद जारी आदेश में उक्त आदेश जारी किया है।

एसएसपी ने न्यायालय के सख्त रुख को देखते हुए पूर्व में उक्त प्रकरण में एक कमेटी गठित कर दी थी। उसके बाद भी अबतक जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी गई। न्यायालय ने उक्त कमेटी में शामिल अवर निरीक्षक राजेश्वर प्रसाद द्वितीय, कोतवाली थानाध्यक्ष, तातारपुर थानाध्यक्ष और अभियोजन कोषांग के अवर निरीक्षक इंद्रजीत पांडेय को उपस्थित होकर एक जुलाई 2024 को हर हाल में सौंपने को कहा था। इसके बाद भी कमेटी रिपोर्ट नहीं दी।

कमेटी में शामिल पुलिस पदाधिकारियों को मालखाने की चाबी, मालखाना का प्रभार किन-किन पुलिस पदाधिकारियों के जिम्मे रहा और मूर्तियों के संबंध में अद्यतन जानकारी पता कर न्यायिक दंडाधिकारी राहुल दत्ता की अदालत को सौंपना था, लेकिन उस मामले में भी कमेटी की तरफ से ढिलाई बरती गई थी। न्यायालय ने तब अभियोजन पक्ष की गुहार पर एक मौका दिया था। बावजूद मामले में रिपोर्ट नहीं आई।

चोर रिहा हो गए, पुलिस की फाइल हुई बंद पर कैद में हैं भगवान

26 अप्रैल 1988 की रात टोडरमल दिलखुश राय धर्मशाला दल्लू बाबू धर्मशाला से चार मूर्तियों की चोरी हुई थी। तब ट्रस्ट से जुड़े वकील मोहरी लाल सिंघानियां ने कोतवाली अंचल के तातारपुर थाने में केस दर्ज कराया था। चोरों की गिरफ्तारी और मूर्तियों की बरामदगी के लिए पुलिस टीम सक्रिय हुई तो 28 सितंबर 1988 को छत्रपति पोखर से मूर्तियां बरामद कर ली गई।

पुलिस ने तब राजू पासवान, महेश झा, बबलू मंडल और आनंदी गोस्वामी को गिरफ्तार करने में भी सफल रही थी। बरामद मूर्तियों की ट्रस्ट से जुड़े पदाधिकारियों ने पहचान भी कर ली। चारों आरोपितों पर केस का ट्रायल चला। उस दौरान आरोपित आनंदी गोस्वामी फरार घोषित कर दिया गया था।

दूसरा आरोपित राजू पासवान ट्रायल के दौरान आठ दिसंबर 1997 को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया गया। तफ्तीश बाद पुलिस ने केस की फाइल ही बंद कर दी, लेकिन भगवान की उन बरामद मूर्तियां 36 साल से मुक्त नहीं हो सकी है।

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