Bihar Election: भागलपुर में मतदाताओं का कैसा है मिजाज, किसको देंगे वोट? यहां पढ़ें दैनिक जागरण की निष्पक्ष ग्राउंड रिपोर्ट
Bihar Election 2025: भागलपुर में दैनिक जागरण की टीम ने पाया कि जनता 2025 के बिहार चुनाव में काम पर वोट देगी। लोगों ने सड़क, नाली, उद्योग और रोजगार जैसे मुद्दों पर बात की। मुफ्त बिजली योजना से राहत मिली है, पर बुनकरों और कलाकारों को ठोस योजनाएं चाहिए। महिलाएं मइया-बहिन योजना से खुश हैं, पर सब तक लाभ पहुंचाने की बात हो रही है। जनता अब वादों पर नहीं, अनुभवों पर वोट करेगी।

Bihar Election 2025: भागलपुर विधानसभा क्षेत्र में 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे।
जागरण टीम, भागलपुर। Bihar Election 2025 दैनिक जागरण की तीन सदस्यीय टीम जब भागलपुर विधानसभा क्षेत्र की गलियों में उतरी तो लगा जैसे शहर बोल रहा हो। कहीं हल्की नाराजगी, कहीं उम्मीद की झलक। तिलकामांझी चौक की चाय दुकान पर भीड़ लगी थी, चर्चा का विषय चुनाव। कप में चाय उबल रही थी और शब्दों में भावनाएं। मोहित, जो मुंबई से छठ मनाने लौटे हैं, कहते हैं, भाई, अबकी बार पार्टी नहीं, प्रत्याशी देखा जाएगा। जो सड़क बना दे, जो नाली ठीक कर दे, वही हमारा नेता है।
उनके साथी राजेश बीच में बोलते हैं। देखिए, यहां उद्योग-धंधे का माहौल नहीं है, नौकरी के लिए बाहर जाना पड़ता है। नेता सिर्फ आश्वासन देते हैं, लेकिन जमीनी बदलाव नहीं हुआ। दोनों की बातें सुनते हुए पास के दुकानदार ने मुस्कुरा कर कहा जनता अब सब जानती है, अब भावनाओं पर वोट नहीं पड़ेगा।
निशा भारती बोलीं, सरकार की योजनाएं काम आई हैं
जागरण की टीम आगे बढ़ती है, तो इशाकचक मोहल्ले की गलियां अपने आप कहानी सुनाती हैं। जलजमाव, टूटी सड़कें और नालों की गंध सबकुछ बता देती है। पन्ना मिल रोड की निशा भारती कहती हैं। नेता कहते हैं ड्रेनेज बनेगा, लेकिन बरसात में घरों तक पानी घुस जाता है। हां, सरकार की कुछ योजनाएं जरूर काम आई हैं। बिजली बिल में राहत मिली है, मुफ्त बिजली योजना से थोड़ी मदद होती है, पर सफाई का हाल वही पुराना है।
तबला वादक अनुमेह मिश्रा ने कहा, नेता चुनाव में हाथ जोड़ते, जीतने के बाद भूल जाते
मिरजानहाट के पास बुजुर्ग गुलाम रसूल अपने दरवाजे पर बैठे कहते हैं। अब 125 यूनिट तक बिजली मुफ्त मिलती है, थोड़ा चैन है, लेकिन वोट अब भरोसे पर पड़ेगा। सरकार ने पेंशन बढ़ाया, ठीक किया, पर सबको समान लाभ मिले तब बात बने। टीम जब बूढानाथ पहुंचती है तो वहां कलाकारों की टोली मिलती है।
तबला वादक अनुमेह मिश्रा अपनी चिंता साझा करते हैं। भागलपुर में हुनर की कमी नहीं है, पर मंच नहीं है। नेता चुनाव में हाथ जोड़ते हैं, जीतने के बाद भूल जाते हैं। साथ बैठे मनीष कहते हैं। हमारा शहर साफ-सुथरा हो, ट्रैफिक सुधरे, रोजगार के मौके बढ़ें। बस यही चाहत है। वादों से पेट नहीं भरता। सुमित जोड़ते हैं। अब जनता को समझ आ गया है, जो पांच साल जनता के बीच रहेगा, वही पसंद आएगा।
रवि प्रकाश बोले, दस हजार की मदद कई घरों में राहत लाई
नाथनगर की ओर बढ़ते हुए माहौल और विचारशील हो जाता है। चौराहे पर खड़े रवि प्रकाश कहते हैं। नीतियों की बात करें तो मइया-बहिन योजना जैसी योजनाएं महिलाओं को ताकत दे रही हैं। दस हजार की मदद कई घरों में राहत लाई है, लेकिन हर योजना का असर समान नहीं है। कोई खुश है तो कोई उपेक्षित महसूस करता है। पास में खड़े ज्ञानू गुप्ता कहते हैं। हमारे इलाके में तांती समाज की संख्या अच्छी है, सब चाहते हैं कि विकास बिना भेदभाव के हो। जाति-धर्म से ऊपर उठकर काम की राजनीति हो।
जावेद अंसारी ने कहा, सरकार ने कुछ काम अच्छे किए हैं
मो. जावेद अंसारी, जो पान की दुकान चलाते हैं, थोड़ा ठहरकर कहते हैं। सरकार ने कुछ काम अच्छे किए हैं, लेकिन वक्फ बोर्ड के मामले में कई लोग नाराज हैं। फिर भी लोगों में उम्मीद है कि अब नेता धर्म या जाति नहीं, काम की बात करे। वहीं महिलाओं का एक समूह मइया-बहिन योजना पर चर्चा करता है। शबाना खातून कहती हैं, हमको जो दस हजार मिला उससे घर में थोड़ी राहत आई। लेकिन हर महिला तक ये योजना पहुंचे, ये जरूरी है।
वृद्धा की पीड़ा, पेंशन 1100 हुई, लेकिन देर से आती है
पास ही बैठी वृद्धा कहती हैं पेंशन पहले चार सौ थी, अब बढ़कर ग्यारह सौ हुई है, इससे दवा मिल जाती है, लेकिन देर से आती है, समय पर मिले तो और अच्छा। हुसैनाबाद के बुनकर मजरून नवी करघे पर धागा समेटते हुए बोलते है। भागलपुर की पहचान सिल्क से है, लेकिन बुनकरों के लिए ठोस योजना चाहिए। चुनाव में हमसे वादा तो सब करते हैं, पर बुनकर नीति पर कोई ध्यान नहीं देता। एसके हारून कहते हैं। हर चुनाव में वही बातें दोहराई जाती हैं। विकास, सड़क, रोजगार लेकिन जनता अब समझदार है। अबकी बार जो बोलेगा, उसे सुनने से पहले लोग काम का हिसाब पूछेंगे।
वोट उसी को देंगे जो हमसफर बने
शाम ढलने पर जब टीम फिर तिलकामांझी लौटती है तो माहौल और साफ दिखता है। लोग कहते हैं, अब नेता आएं तो सवालों के जवाब के साथ आएं, वादों के साथ नहीं। कोई कहता है, अब वोट उसी को देंगे जो हमदर्द नहीं, हमसफर बने। बूढ़े से लेकर युवा तक का एक ही सुर है काम करेगा तो भरोसा मिलेगा, वरना इस बार जनता खामोश नहीं रहेगी। भागलपुर की हवा में अब उत्साह की जगह सजगता है। गलियों से लेकर चौक-चौराहों तक यही बात घूम रही है। नेताओं ने जनता का दुख नहीं बांटा, अब जनता खुद अपने सुख-दुख का फैसला करेगी। इस बार भागलपुर की जनता किसी नारे पर नहीं, अपने अनुभवों पर वोट डालेगी।

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