Chhath Puja 2025: छठ के प्रसाद में आयुर्वेदिक गुणों का भंडार, इन रोगों से मिलती है मुक्ति
छठ पर्व के प्रसाद न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि आयुर्वेदिक गुणों से भी भरपूर होते हैं। इन पारंपरिक व्यंजनों में प्रयुक्त सामग्री शरीर को रोगों से बचाने में सहायक होती है। ठेकुआ और चावल के लड्डू जैसे प्रसाद औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं और पाचन क्रिया को सुधारते हैं। इनमें गुड़, घी और सूखे मेवे जैसे प्राकृतिक तत्व होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए उत्तम हैं।

छठ के प्रसाद में आयुर्वेदिक गुणों का भंडार
मिहिर, भागलपुर। लोक आस्था का महापर्व छठ, जिसमें चढ़ाया जाने वाला प्रसाद मानव शरीर के लिए एक वरदान के समान है। आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली के अनुसार, बेहतर स्वास्थ्य के लिए छह रसों का सेवन आवश्यक है।
ये रस हैं: मधुर, अम्ल, लवण, कटु, तीखा और कसैला। इस महापर्व में इन सभी का समावेश होता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज नाथनगर के प्राचार्य डा. सीबी सिंह का कहना है कि यह महापर्व हमें जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
इस पूजा में गन्ना, सिंघाड़ा, संतरा, आंवला, केला, नारियल, सुपारी, चकोतरा, अदरक, मूली, ठेकुआ, चावल का लड्डू और कच्ची हल्दी का विशेष उपयोग होता है। आइए जानते हैं इन सामग्रियों का आयुर्वेद में क्या महत्व है।
कच्ची हल्दी : इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं और इसका उपयोग रक्त को साफ करने में किया जाता है। इसका तीखा स्वाद शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होता है।
सिंघाड़ा : इसमें विटामिन-ए, सी, मैंगनीज, कर्बोहाइड्रेट, एमिलोज, फास्फोराइलेज, प्रोटीन और फैट से भरपूर होता है। यह अस्थमा और वायु संबंधी रोगों के लिए रामबाण है।
संतरा और आंवला : अम्ल प्रधान होते हैं, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं। इनके सेवन से रक्तदोष दूर होता है और दर्द को कम करने में भी मदद मिलती है।
केला : आयरन की कमी को दूर करने में सहायक है और एनिमिया रोगियों के लिए आयुर्वेद में इसे विशेष रूप से सेवन करने की सलाह दी जाती है।
नारियल : इसका सेवन कई समस्याओं का समाधान करता है, जैसे नाक से खून आना, स्किन एलर्जी और मुंहासे। यह इम्यूनिटी पावर बढ़ाता है और पेट के कीड़ों को मारता है।
सुपारी : इसका उपयोग कई रोगों से मुक्ति के लिए किया जाता है, जैसे एनीमिया, पाचन और दांत संबंधी समस्याएं।
अदरक : यह खांसी, जुकाम और श्वास संबंधी रोगों में उपयोगी है। यह पेट के दर्द और गठिया में भी लाभकारी होता है।
मूली : इसमें फॉलिक एसिड और विटामिन सी होते हैं, जो मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
ठेकुआ : यह आटा, गुड़ और घी से बनाया जाता है, सर्दियों में लाभकारी होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
चावल का लड्डू : आयुर्वेद में पीलिया, बवासीर, दस्त और उल्टी के इलाज में सहायक है। यह पेट को ठंडा रखता है।
गन्ना : यह कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन और मैग्नेशियम से भरपूर होता है, जो पाचन तंत्र को सुधारता है और पेट में संक्रमण को रोकता है।

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