गंगा के रास्ते साहिबगंज-भागलपुर से पटना तक होगी कोयला-गिट्टी की ढुलाई, बरौनी थर्मल पावर को मिलेगा फायदा
गंगा जलमार्ग से साहिबगंज से भागलपुर होते हुए पटना और बनारस तक कोयला और गिट्टी की ढुलाई जल्द शुरू होगी। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण को प्रस्ताव भेजा गया है। शुरुआत में यह सेवा साहिबगंज से पटना तक शुरू होगी फिर बनारस तक विस्तारित की जाएगी। गंगा जलमार्ग का विकल्प चुनने से एनटीपीसी बाढ़ और बरौनी थर्मल पावर को फायदा मिलेगा।

अभिषेक, भागलपुर। गंगा जलमार्ग से साहिबगंज से होकर भागलपुर होते हुए पटना और आगे बनारस तक कोयला और गिट्टी की ढुलाई शुरू करने की दिशा में काम तेज हो गया है। इसको लेकर भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण को विस्तृत प्रस्ताव भेजा गया है।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल यह सेवा साहिबगंज से पटना तक शुरू करने की तैयारी है, इसके बाद इसे बनारस तक विस्तारित किया जाएगा। सड़क मार्ग से कोयला और गिट्टी ढोने में लागत के साथ-साथ समय भी ज्यादा लगता है। इसी को देखते हुए गंगा जलमार्ग का विकल्प चुना गया है।
इसका सीधा फायदा एनटीपीसी बाढ़ और बरौनी थर्मल पावर को मिलेगा। हाल ही में आईडब्ल्यूएआई और अन्य पदाधिकारियों की टीम ने साहिबगंज के आसपास स्थित कोल माइंस और गिट्टी क्रशर साइट का निरीक्षण भी किया है।
प्राधिकरण से सहमति मिलने के बाद कार्गो जहाज चलाने की प्रक्रिया शुरू होगी। वहीं गंगा जलमार्ग का बेहतर इस्तेमाल व्यापारिक गतिविधियों को नई दिशा देगा और भागलपुर सहित पूरे गंगा बेसिन क्षेत्र में औद्योगिक विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी। स्थानीय व्यापारियों को भी इससे बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है।
व्यापारिक दृष्टिकोण से कई जगहों पर होंगे जेटी के निर्माण:
प्रस्ताव के तहत साहिबगंज से पटना के बीच कई जगहों पर जेटी (छोटे जलपोत ठहराव स्थल) का निर्माण किया जाएगा। जेटी व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगा और इनके जरिए माल की लोडिंग-अनलोडिंग की सुविधा मिलेगी। जेटी निर्माण को लेकर उप कार्यालय द्वारा सर्वे भी किया गया है।
साहिबगंज से भागलपुर शिफ्ट हुआ कार्यालय
भागलपुर में भारतीय जलमार्ग प्राधिकरण का उप कार्यालय इस साल फरवरी में आठ साल बाद फिर से खोला गया है। बनारस में रीजनल कार्यालय बनने के बाद पटना का दायरा सीमित हो गया था। इसके बाद ही साहिबगंज से फिर उप कार्यालय को भागलपुर शिफ्ट कर दिया गया।
उपकार्यालय शुरू होने के बाद भागलपुर क्षेत्र से जुड़े कई प्रोजेक्ट्स को रफ्तार दी गई है। जलमार्ग से माल ढुलाई शुरू होने पर लागत में कमी आएगी।
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