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    Dev Uthani Ekadashi: देवउठनी एकादशी पर आज जगेंगे भगवान विष्णु, नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि; कल है तुलसी विवाह

    By Hirshikesh Tiwari Edited By: Alok Shahi
    Updated: Sat, 01 Nov 2025 01:43 AM (IST)

    DevUthani Ekadashi 2025: चार माह के लंबे शयन के बाद भगवान विष्णु आज शनिवार, 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी) के पावन पर्व पर जागृत होंगे। इस दौरान गंगा तटों पर भव्य आरती का आयोजन किया गया है। इस दिन गृहस्थ अपने घरों में भगवान विष्णु के साथ अपने कुल देवता का पूजन करते हैं। श्रीहरि को जगाने के लिए घंटा, शंख, मृदंग के साथ जयकारों की गूंज मंदिरों और ठाकुरबाड़ियों में होगी।       

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    DevUthani Ekadashi 2025: भगवान विष्णु आज शनिवार, 1 नवंबर 2025 को देवउठनी एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी) के पावन पर्व पर जागृत होंगे।

    संवाद सहयोगी, भागलपुर। DevUthani Ekadashi 2025 कार्तिक शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को चार माह के लंबे शयन के बाद भगवान विष्णु आज शनिवार, 1 नवंबर 2025 को देवउठनी एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी) के पावन पर्व पर जागृत होंगे। एकादशी तिथि का शुभ मुहूर्त दोपहर बाद 3 बजे तक है। श्रीहरि को जगाने के लिए मंदिरों में घंटा, शंख, मृदंग के साथ जयकारों की गूंज मंदिरों और ठाकुरबाड़ियों में होगी। इसको लेकर तैयारी शहर में किया गया है। चातुर्मास समाप्त होने के साथ ही मांगलिक कार्यों का शुभारंभ होगा। मंदिरों में आध्यात्मिक उल्लास का वातावरण बन गया है और तैयारियां जोरों पर हैं।

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    ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास का देवउठनी एकादशी का पवित्र दान पर्व जीवन में मंगल और पुण्य संचय का संचार करता है।आज के दिन गंगा घाटों व देवालयों में दीपदान,अन्न-वस्त्र दान की परंपरा निभाई जाती है। भागलपुर के बूढ़ानाथ मंदिर, शिवशक्ति मंदिर सहित ठाकुर बाड़ियों में विशेष आयोजन किया गया है। हरि जागरण, भजन संध्या, दीपदान, आरती के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाएगी।

    देवउठनी एकादशी के दिन घर-घर में तुलसी चौरा सजाने, दीपक जलाने और प्रतीकात्मक शयन-शैया जागरण की तैयारी की जा रही है। महिलाओं में विशेष रूप से तुलसी विवाह 2025 को लेकर उत्साह है। देवउठनी एकदशी के अगले दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। इस दिन शालिग्राम (श्रीहरि) और माता तुलसी का दैवीय विवाह कराया जाता है। तुलसी विवाह का पुण्य कन्यादान के समकक्ष माना गया है। इससे घर में शांति, समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है।

    देवउठनी के साथ शुभ संस्कारों के द्वार खुलेंगे

    देवउठनी एकादशी के बाद गृहप्रवेश, नामकरण, मुंडन, यज्ञोपवीत, वाहन-गृह खरीद, नए व्यवसाय का आरंभ जैसे मांगलिक कार्य शुभ माने जाते हैं। हालांकि सूर्य के तुला राशि में रहने के कारण विवाह मुहूर्त देवउठनी के बाद 21 नवंबर से शुरू होंगे।

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