बिहार के इन जिलों में हैं टीबी के सबसे अधिक मरीज, लाखों खर्च करने के बाद भी नहीं हो रहा सुधार
केंद्र सरकार 2030 तक भारत को टीबी मुक्त करने के लिए प्रयासरत है। भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 305 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है जिनमें एमडीआर मरीज अधिक हैं। सरकार बी पाल एम नामक नई दवा से मरीजों का इलाज कर रही है जिस पर प्रति मरीज छह महीने में सात लाख रुपये खर्च हो रहे हैं।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। देश को साल 2030 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य केंद्र सरकार ने रखा है। सरकार टारगेट को पूरा करने के लिए नई जांच एवं दवा भी लेकर आई है।
सारी कवायद के बीच केवल जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज अस्पताल के टीबी एंड चेस्ट विभाग में जनवरी माह से अब तक 305 मरीजों का इलाज हो रहा है। इस संख्या में सबसे ज्यादा एमडीआर मरीज भागलपुर, बांका, कटिहार एवं पूर्णिया में है।
नई दवा मरीज को छह माह में कर रहा ठीक
एमडीआर टीबी मरीजों के लिए केंद्र सरकार ने नई दवा लॉन्च किया है। जिसको बी पाल एम के नाम से जाना जाता है। बिहार में यह दवा 12 मई को लॉन्च हुई है।
ऐसे में जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज अस्पताल में कुल 98 मरीजों को यह दवा दी गई है। इन मरीजों को यह दवा छह माह लगातार खानी है। वहीं शेष मरीजों को भी यहां से दवा दी जा रही है, लेकिन इनको नौ माह तक दवा खानी है।
वहीं जेएलएनएमसीएच के टीबी एंड चेस्ट विभाग में इलाज कराने भागलपुर, बांका, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, मुंगेर और खगड़िया से मरीज आते है। यह संख्या इन सभी आठों जिले की है।
एक मरीज पर छह माह में सात लाख खर्च
टीबी एंड चेस्ट विभाग में बी पाल एम दवा 98 मरीजों को चलाया जा रहा है। केंद्र सरकार यह दवा उपलब्ध कराती है। मरीज को छह माह तक यह दवा खानी है।
ऐसे में एक मरीज पर केंद्र सरकार सात लाख रुपया खर्च करती है। ऐसे में कुल 98 मरीज पर केंद्र सरकार का छह माह में 6 करोड 86 लाख रुपया का खर्च होता है।
वहीं इतना खर्च होने के बाद सकारात्मक रिपोर्ट भी सामने आ रही है। जिन लोगों को बी पाल एम दवा दिया गया है। वह तेजी से ठीक हो रहे है।
वहीं इस खर्च के अलावा सरकार पोषण के लिए प्रत्येक मरीज को प्रत्येक माह राशि देती है। इसके अलावा जांच पर भी सरकार खर्च करती है।
15 दिन से मास्क नहीं
टीबी एंड चेस्ट विभाग में 15 दिन से एन 95 मास्क नहीं था। बिना मास्क के यहां काम होना संभव नहीं है। ऐसे में मेडिसिन विभाग से ये लोग मास्क ले रहे थे।
ऐसे में विभाग के अंदर जाने से पहले इनको मास्क के लिए मेडिसिन विभाग जाना होता था। इस परेशानी की जानकारी अस्पताल अधीक्षक डॉ. अविलेश कुमार को दिया गया। तत्काल अधिक संख्या में मास्क खरीदने का निर्देश जारी किया।
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