Kartik Purnima 2025: कार्तिक पूर्णिमा का ये है सबसे शुभ मुहूर्त, आज करें गंगा स्नान और दीपदान तो मिलेगा विशेष पुण्य
Kartik Purnima 2025 : बुधवार, 5 नवंबर 2025 को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जा रही है। कार्तिक पूर्णिमा का पर्व सनातन धर्म में धार्मिक रूप से अत्यंत पवित्र माना गया है। गंगा स्नान के बाद इच्छित दान करने से इस दिन भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है। देव दिवाली भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही मनाई जाती है। कहा जाता है कि देवता गण स्वर्ग से उतरकर पृथ्वी पर गंगा किनारे दीप जलाकर यह पावन उत्सव मनाते हैं। Kartik Purnima Kab Hai

Kartik Purnima 2025: बुधवार, 5 नवंबर 2025 को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जा रही है। देखें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि Kartik Purnima Kab Hai
संवाद सहयोगी, भागलपुर। Kartik Purnima Kab Hai, Kartik Purnima 2025 कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर बुधवार को शहर के गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटेगी। बरारी पुल, सीढ़ी घाट, हनुमान घाट, आदमपुर समेत अन्य गंगा घाटों पर सुबह से ही गंगा स्नान, पूजा-अर्चना और दीपदान के लिए श्रद्घालुओं का तांता लगेगा। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान से दस यज्ञ के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। Kartik Purnima 2025 Date
यह दिन सिख धर्म के लिए भी विशेष है। इसी दिन सिख धर्म के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। श्रद्धालु गुरुद्वारों में जाकर कीर्तन सुनते हैं और सेवाभाव का संकल्प लेते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा 2025: स्नान-दान मुहूर्त (Kartik Purnima 2025 Shubh Muhurat)
तिलकामांझी महावीर मंदिर के पंडित आनंद झा ने बताया कि पूर्णिमा तिथि मंगलवार 4 नवंबर की रात 9:46 बजे से शुरू होकर बुधवार 5 नवंबर रात 7:28 बजे तक रहेगी। कार्तिक पूर्णिमा को सिद्धि योग और अश्विनी नक्षत्र का संयोग बनने से इसका महत्व और बढ़ गया है। Kartik Purnima
कार्तिक पूर्णिमा 2025 क्यों है महत्वपूर्ण (Kartik Purnima 2025 Significance)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य ने महापुण्य पर्व के रूप में प्रमाणित किया है। इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसी तिथि को गंगा-गंडक संगम पर गज-ग्राह युद्ध में प्रभु विष्णु ने गज की रक्षा की थी।
कार्तिक पूर्णिमा 2025 पूजा-विधि (Kartik Purnima 2025 Puja Vidhi)
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर भगवान विष्णु का पूजन करें। घी या तिल के तेल से दीपदान करें। घर में हवन,पूजन, पीपल व तुलसी के पास दीप प्रज्वलित करें। मान्यता है कि दीप जलाने से विष्णु कृपा, धन, यश व सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान एवं दीपदान का है विशेष महत्व
सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर आस्था के साथ गंगा नदी में स्नान करने की परंपरा है। साथ ही सांयकाल में दीपदान का विशेष महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान करने से मनुष्य के सभी तरह के पापों का क्षय होता है। वहीं गंगा स्नान के बाद नदी किनारे दीपदान करने से 10 यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है।
पंडित पवन झा ने बताया कि इस बार कार्तिक पूर्णिमा का योग शिवयोग एवं कृतिका नक्षत्र में बन रहा है। उसके बाद रोहिणी नक्षत्र हो जाएगा। इस तिथि को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा, आदित्य ने महापुनीत पर्व प्रमाणित किया है। चंद्रायण व्रत की समाप्ति भी इसी तिथि को होती है। इस दिन गंगा स्नान एवं सांयकाल में दीपदान का विशेष महत्व है।
इसी दिन जहां भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार लिया था। वहीं इसी दिन गंगा-गंडक के संगम पर गज और ग्राह का युद्ध हुआ था। गज की करुणामयी पुकार सुनकर विष्णु ने ग्रह का संहार कर गज की रक्षा की थी। इन्हीं कारणों से हिंदुओं के लिए पुर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का काफी विशेष स्थान है।
कार्तिक पूर्णिमा 2025 : भगवान विष्णु की खास कृपा मिलती है
उन्होंने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्राह्मणों एवं गरीबों को दान देने, भोजन कराने, क्षीर दान करने, शिक्षा दान करने के साथ बड़ों से आशीष लेने पर भगवान विष्णु की खास कृपा मिलती है। साथ ही घर में धन, यश एवं कीर्ति आती है। इसीलिए इस मौके पर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए मंदिर,पीपल के पेड़ के नीचे,चौराहा या फिर नदी किनारे दीप जलाने का रिवाज है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। इस दिन सिख धर्म से जुड़े लोग सुबह स्नान कर गुरुद्वारे में जाकर जहां गुरु नानक देव की वचन सुनते हैं। वहीं धर्म के रास्ते पर चलने का प्रण लेते हैं ।इस दिन शाम को सिख धर्म के लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार लोगों को भोजन भी कराते हैं।
पूर्णिमा के दिन पड़ने वाले गुरु नानक देव जी के जन्मदिन को गुरु पर्व के भी नाम से जाना जाता है। पंडित पवन झा ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा सहित गंगा स्नान की पूर्णिमा भी कहा जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार में जन्म लेने तथा भगवान शिव द्वारा राक्षस त्रिपुरासुर एवं उसके पुत्रों का वध करने की वजह सहित इस दिन चंद्रायण व्रत की समाप्ति के मौके पर सभी मंदिरों में दीप जलाकर देव दीपावली मनाई जाती है।

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