Nathnagar Election 2025: एनडीए-महागठबंधन का नए चेहरे पर दांव, AIMIM की एंट्री से बिगड़ेगा समीकरण?
भागलपुर जिले का नाथनगर विधानसभा क्षेत्र 2025 के बिहार चुनाव के लिए तैयार है। एनडीए और महागठबंधन नए चेहरों को मैदान में उतारने की तैयारी में हैं। एआईएमआईएम की संभावित एंट्री से चुनावी समीकरण बदल सकते हैं, खासकर मुस्लिम वोटों पर असर पड़ सकता है। जातीय समीकरण और विकास के मुद्दे भी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जिससे मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना है।

एनडीए-महागठबंधन का नए चेहरे पर दांव
नवनीत मिश्र, भागलपुर। नाथनगर विधानसभा क्षेत्र में इस बार सभी पार्टियों ने नए चेहरे पर दांव खेला है। नाथनगर सीट से राजद ने अपने विधायक का टिकट काटकर पूर्व प्रशासनिक अधिकारी शेख जियाउल हसन को मैदान में उतारा है। लोजपा से जिला परिषद अध्यक्ष मिथुन यादव मैदान में हैं। यहां से एआईएमआईएम भी चुनाव लड़ रही है।
बसपा व जनसुराज पार्टी के उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं। इन नए चेहरे के दम पर पार्टियां जीत का स्वाद चखना चाहती है। नए चेहरे कितने कामयाब होंगे, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन कई निर्दलीय प्रत्याशी दोनों प्रमुख गठबंधन के प्रत्याशियों के सियासी समीकरण को बिगाड़ सकती है।
यादव व मुस्लिम वोट पर सेंधमरी होने की संभावना को लेकर राजद सजग है तो गंगौता वोट में सेंधमारी रोकने को लेकर एलजेपी प्रत्याशी पसीना बहा रहे हैं। नाथनगर विधानसभा क्षेत्र के बगल से गंगा बहती है। बाढ़-बरसात के समय गंगा कटाव करती है। एक तरफ की मिट्टी काट कर दूसरे तरफ जोड़ देती है। यहां का राजनीतिक मिजाज भी कुछ इसी तरह है।
सेंधमारी रोकने और दूसरे के वोट बैंक में सेंध लगाने में सफलता हासिल करने वाले प्रत्याशियों को ही यहां सफलता मिलेगी। नाथनगर विधानसभा अब केवल एक सीट नहीं, बल्कि बिहार की चुनावी नब्ज का प्रतीक बन चुकी है। यहां की जनता ने वर्षों से राजनीति के कई दौर देखे हैं। इस बार की हवा अलग है। लोग अब नेता की जाति, नहीं काम पूछ रहे हैं।
यह वही मनोवृत्ति है जो नाथनगर को बिहार की “बदलाव की प्रयोगशाला” बनाती है। यहां जातीय संतुलन, धार्मिक जुड़ाव और विकास की आकांक्षाएं, तीनों एक साथ टकरा रही हैं। नाथनगर में इस बार चुनावी मुकाबला पारंपरिक नहीं रहेगा। पिछले चुनावों में आरजेडी और जदयू के बीच कड़ी टक्कर देखी गई।
2020 में अली अशरफ सिद्दीकी को 40.4 प्रतिशत वोट मिला और उनकी जीत का मार्जिन करीब 7756 वोट रहा, यह दर्शाता है कि इस सीट पर भीड़-मतभेद, छोटे-मोटे अंतर से चुनाव परिणाम बदल सकते हैं। उम्मीदवारों की व्यक्तिगत छवि और स्थानीय संगठनात्मक कामकाज यहां बार-बार असर डालते हैं।
| उम्मीदवार का नाम | पार्टी | सिंबल |
|---|---|---|
| मिथुन कुमार | एलजेपी | हेलीकॉप्टर |
| रविश चंद्र रवि कुशवाहा | बीएसपी | हाथी |
| शेख जियाउल हसन | राजद | लालटेन |
| अजय कुमार राय | जन सुराज पार्टी | स्कूल का बस्ता |
| मो. इस्माइला | ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन | पतंग |
| मो. मंजर आलम | भारतीय पार्टी (लोकतांत्रिक) | बाल्टी |
| सुशील कुमार यादव | पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक) | फलों से युक्त टोकरी |
| अरविंद मंडल | निर्दलीय | अलमारी |
| चेतन राम | निर्दलीय | गैस सिलेंडर |
| जयप्रकाश मंडल | निर्दलीय | प्रेशर कुकर |
| जयकरण पासवान | निर्दलीय | अंगूठी |
| दयाराम मंडल | निर्दलीय | एयरकंडीशनर |
| शनिज कुमार | निर्दलीय | सेब |
| शारदा देवी | निर्दलीय | बेबी वॉकर |
| सुधीर कुमार | निर्दलीय | बल्ला |
चुनाव के लिए प्रत्याशियों ने झोंकी पूरी ताकत
राजद के पास अभी भी नाथनगर का सबसे सुदृढ़ सामाजिक समीकरण मौजूद है। मुस्लिम और यादव समुदाय का लगभग 45 प्रतिशत संयुक्त वोट-बैंक है, लेकिन एआईएमआईएम की एंट्री ने राजद प्रत्याशी की परेशानी बढ़ा दी है। यदि वोटों का बंटवारा हुआ, तो उसका सीधा लाभ एनडीए को मिलेगा।
वहीं, इस बार एनडीए गठबंधन में नाथनगर की सीट लोजपा आर के हिस्से में गई है। डबल इंजन सरकार की उपलब्धियों के भरोसे लोजपा प्रत्याशी गांव से लेकर शहर तक मतदाताओं के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं।

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