Bhagalpur Flood: बाढ़ से सात पंचायतों में जनजीवन अस्त-व्यस्त, बाढ़ पीड़ित अब भी राहत शिविरों में रहने को मजबूर
नाथनगर प्रखंड की सात पंचायतों में बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बाढ़ का पानी घटने के बाद भी लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। सामुदायिक रसोई बंद होने से भोजन-पानी की समस्या हो रही है। सड़कें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं और इलाके में महामारी फैलने का खतरा मंडरा रहा है।

जागरण संवाददाता, नाथनगर। प्रखंड की सात पंचायतों में आई बाढ़ ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। इस बार बाढ़ ने भयंकर तबाही मचाई है। बाढ़ का पानी घटने के बावजूद विस्थापित बाढ़ पीड़ित ऊंचे स्थानों या राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं।
सामुदायिक रसोई में भोजन बंद होने से प्रभावित किसान अब भोजन-पानी के लिए परेशान हैं। बाढ़ पीड़ित अपने पशुओं को चराने के लिए अलग-अलग जगहों पर ले जा रहे हैं। दस दिन पहले नाथनगर में रेल दुर्घटना में नौ भैंसों की मौत हो गई थी। पिछले रविवार को भी स्टेशन के प्लेटफार्म पर कई भैंसों की जान बाल-बाल बची थी।
नाथनगर के शंकरपुर, दारापुर, रत्तीपुर बैरिया, बिंदटोली, अजमेरीपुर, बेलखोरिया, भतोड़िया, रामपुर खुर्द आदि पंचायतों को जोड़ने वाली मुख्य सड़कों से बाढ़ का पानी उतर गया है, लेकिन सड़कें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। बाइक से आना-जाना भी मुश्किल हो गया है।
बंगाली टोला निवासी संजय कुमार यादव ने बताया कि नगर निगम वार्ड एक से श्रीरामपुर पुल तक सड़क जर्जर स्थिति में है। बाढ़ का पानी उतरने के बाद भी बदबू और सड़ांध से पूरे इलाके में महामारी फैलने का खतरा मंडरा रहा है। नगर निगम ने अभी तक सफाई और ब्लीचिंग का काम नहीं कराया है।
नगर निगम वार्ड 4 निवासी मोहम्मद चांद ने निगम की उदासीनता की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की है, जिसमें मदनीनगर लेन नंबर एक, दो और तीन में कूड़े का ढेर लगा है। कीचड़ और सड़ांध के कारण लोगों का घरों के सामने से निकलना मुश्किल हो रहा है।
इलाके में डायरिया जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। समाचार पत्र विक्रेता अवधेश कुमार ने बताया कि बेलखोरिया पंचायत के मध्य विद्यालय मनियारपुर में सोमवार को नाममात्र के बच्चे ही उपस्थित थे। भतोड़िया से दरियापुर जाने वाली मुख्य सड़क बाढ़ के बाद चलने लायक बिल्कुल नहीं है।
सात साल पहले बाढ़ में दब गए 40 साल पुराने पुल के बावजूद ग्रामीण इसी पुल से आवागमन करने को मजबूर हैं।
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