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    Bihar: नई शिक्षा नीति के तहत तैयार हो रहा संस्कृत बोर्ड का सिलेबस, रामचरितमानस -श्रीमद्भागवत गीता भी पढ़ेंगे छात्र

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 09:33 AM (IST)

    बिहार संस्कृत बोर्ड के पाठ्यक्रम में रामचरितमानस श्रीमद् भागवत गीता बिहार की विभूतियां और भारतीय संस्कृति को शामिल किया जाएगा। बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा ने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 के तहत पाठ्यक्रम को अपडेट किया जा रहा है जिसमें कौशल विकास और रोजगारोन्मुखी शिक्षा पर विशेष बल दिया जाएगा। उन्होंने विद्यालयों के आधुनिकीकरण के लिए जन सहयोग का आह्वान किया।

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    बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा को स्वागत सह सम्मान करते हुए। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, भागलपुर। संस्कृत बोर्ड के सिलेबस में रामचरितमानस के गूढ़ रहस्यों, श्रीमद् भागवत गीता के गूढ़ विचारों, बिहार के विभूतियों एवं भारतीय संस्कृति से छात्रों को परिचित कराया जाएगा।

    1981 से संचालित हो रहे बिहार संस्कृत बोर्ड का नया सिलेबस नई शिक्षा नीति 2020 के तहत तैयार की जा रही है। जो वर्ग एक से लेकर दशम तक की होगी।

    यह बातें बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा ने विद्यासागर स्मारक संस्कृत विद्यालय कर्णगढ़ मे आयोजित स्वागत व समीक्षा समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा।

    उन्होंने कहा कि इसके अलावा पाठ्यक्रम में कौशल विकास एवं रोजगारोन्मुखी शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है। संस्कृत विद्यालयों में गहन निरीक्षण कर उनके विभिन्न शैक्षणिक गुणवत्ता संवर्धन की दिशा में कार्य किया जा रहा है।

    विद्यालयों के आधारभूत संरचनाओं पर भी बोर्ड काम कर रहा है। केंद्रीय शिक्षा विभाग को डीपीआर सौंपा गया है। आने वाले समय में संस्कृत बोर्ड एक अलग स्वरूप में समाज के सामने प्रस्तुत हो, इसके लिए हम सभी को समवेत रूप से सहयोग करने की आवश्यकता है।

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    साथ ही बताया कि बिहार संस्कृत बोर्ड को डिजिटाइजेशन प्रगट रूप से दिखेगा। शीघ्र ही बोर्ड का अपना अधिकृत वेबसाइट विद्यालय और आम लोगों के उपयोग में आ जाएगा, छात्र और छात्रा फॉर्म भर सकेंगे।

    संस्कृत विद्यालय के आधुनिक रूप में सुसज्जित करने के लिए जन सहयोग की है जरूरत

    बिहार संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय झा ने कहा कि संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी है। सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण रखने में इस भाषा की महती भूमिका है। संस्कृत एवं संस्कृति परस्पर एक दूसरे के पूरक है। हमें बाल्यकाल से ही अपने बच्चों को संस्कारित करने के आवश्यकता है।

    इसके लिए प्राथमिक कक्षा से ही नैतिक शिक्षा पर बल देना होगा। उन्होंने ने आह्वान किया कि संस्कृत विद्यालय आधुनिक दौर मे सुसज्जित कैसे हो इस दिशा मे आम लोगों का सहयोग लिया जायेगा।

    साथ ही संस्कृत विद्यालय के परिसर का माहौल संस्कृत विद्यालय जैसा दिखे, मंत्रो के स्मरण सहित संस्कृत मे प्रार्थना हो। विद्यालय का वातावरण को बेहतर बनाने हेतु सभी उपस्थित प्रधानाध्यापक व शिक्षक से संकल्प दिलाया।