बिहार की राजनीति का पावरहाउस रहा तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, अब तक प्रदेश को दे चुका पांच मुख्यमंत्री
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय बिहार की राजनीति का एक प्रमुख केंद्र रहा है। इस विश्वविद्यालय ने प्रदेश को पांच मुख्यमंत्री दिए हैं, जिससे इसकी राजनीतिक भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। टीएमबीयू के पूर्व छात्रों ने बिहार के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, और भविष्य में भी विश्वविद्यालय से प्रदेश को नेतृत्व मिलने की उम्मीद है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय न सिर्फ शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा है, बल्कि यह राजनीति की दृष्टि से भी उपजाऊ भूमि साबित हुआ है।
विश्वविद्यालय और इसके अधीन आने वाले महाविद्यालयों ने बिहार ही नहीं, देश को भी अनेक ऐसे जनप्रतिनिधि दिए हैं, जिन्होंने अपनी कार्यशैली, विचारधारा और नेतृत्व क्षमता से समाज में गहरी छाप छोड़ी।
इनमें तेज नारायण बनैली महाविद्यालय (टीएनबी कलेज) का योगदान विशेष उल्लेखनीय है। इस कॉलेज ने सूबे को चार मुख्यमंत्री और एक शिक्षक के रूप में मुख्यमंत्री देने का गौरव प्राप्त किया है।
तेज नारायण बनैली महाविद्यालय के इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. रविशंकर कुमार चौधरी के अनुसार, जगन्नाथ मिश्रा, भागवत झा आजाद, सतीश प्रसाद सिंह और दरोगा प्रसाद राय इसी महाविद्यालय के छात्र रहे हैं, जबकि सबसे कम अवधि के मुख्यमंत्री सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा यहां के शिक्षक रह चुके हैं।
पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र और भागलपुर के वर्तमान विधायक अजीत शर्मा भी इसी कॉलेज के छात्र रहे हैं। इस बार भी कई शिक्षक रहे टिकट की दौड़ में सिंडिकेट सदस्य प्रो. (डॉ.) डी. एन. राय ने बताया कि हालिया विधानसभा चुनाव में भी विश्वविद्यालय के कई शिक्षक टिकट की दौड़ में शामिल रहे।
अंबेडकर विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. संजय रजक को राजद से पीरपैंती सीट का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। टीएमबीयू ने बिहार की राजनीति को नई दिशा दी है और यहां के शिक्षक व छात्र समाज की नब्ज को गहराई से समझते हैं। भविष्य में भी विश्वविद्यालय का यह राजनीतिक योगदान और सशक्त रूप में सामने आने की संभावना है।

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