आरा में दाखिल-खारिज कराने में किसानों का छूट रहा पसीना, कर्मचारियों पर लगाए गंभीर आरोप
अगिआंव अंचल में दाखिल खारिज के मामलों में देरी से किसान परेशान हैं। किसानों का आरोप है कि कर्मचारी आवेदकों से नजराना मांग रहे हैं और बिना कारण बताए आव ...और पढ़ें

जमीन दाखिल खारिज में हो रही परेशानी। (जागरण)
संवाद सूत्र, अगिआंव। सरकार द्वारा दाखिल खारिज के वादों को समय सीमा के अंदर निष्पादन का निर्देश दिया गया है। ताकि आवेदकों को इसके लिए ज्यादा परेशानी ना झेलनी पड़े।
लेकिन अगिआंव अंचल मे कर्मी एवं पदाधिकारियों के मनमानी के कारण इसका समुचित लाभ आवेदकों को नहीं मिल पा रहा है। अंचल में कई ऐसे मामले है जिसे बिना ठोस कारण बताये की निरस्त कर दिया जाता है। अगिआंव अंचल क्षेत्र में सैकड़ो ऐसे आवेदक है जो ऑनलाइन आवेदन करने के बाद कार्यालय का चक्कर लगाते-लगाते परेशान हो गए हैं।
इसके बावजूद समय सीमा पर दाखिल-खारिज और परिमर्जन नहीं हो पा रहा है। राजस्व कर्मचारियों के मनमानी का आलम यह है की आपने क्षेत्र के आवेदकों को आज-कल बोलकर महीनों से कार्यालय का चक्कर लगवा रहे है। साथ ही जब तक आवेदकों से नजराना नहीं ले लेते है तब तक उनका काम आगे नहीं बढ़ाते हैं।
जो लोग नजराना देने से मना करते है वैसे लोगो को कर्मचारी द्वारा कोई ना कोई बहाना बनाकर या तो आवेदन को निरस्त कर दिया जाता है या उसे अनिश्चितकाल के लिए लंबित रखा जाता है।
पावना गांव निवासी भाजपा जिला महामंत्री अजित सिंह, बीरबहादुर सिंह, रवि कुमार, जय कुमार मिश्रा, गणेश केशरी समेत दर्जनों किसानो ने बताया की करीब छः माह से वे लोग दाखिल खारिज के लिए कार्यालय का चक्कर लगा रहे है। उनका कहना है की दाखिल-खारिज और परिमर्जन के लिए काफी ज्यादा नजराना मांगा गया है। जिसे देने में वे लोग असमर्थ हैं।
यही कारण है की उनका दाखिल खारिज आदि नहीं हो पा रहा है। नाम ना छापने के शर्त पर एक राजस्व कर्मचारी ने बताया दाखिल-खारिज आदि का रिपोर्ट करते समय व्यवहार की पालन की जिम्मेदारी उन्हीं पर होती है।
वहीं, जब इस सम्बन्ध में जानकारी लेने के लिए अगिआंव अंचलाधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनसे संपर्क नहीं हो सका।

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