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    देवोत्थान एकादशी 2025: 1 नवंबर जागेंगे श्रीहरि विष्णु, फिर शुरू होंगे शुभ कार्य

    Updated: Fri, 31 Oct 2025 02:53 PM (IST)

    इस वर्ष देवोत्थान एकादशी 1 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जागकर सृष्टि का भार संभालेंगे, जिससे विवाह और गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य फिर से शुरू होंगे। देवोत्थान एकादशी पर तुलसी और नारायण का विवाह होगा। घरों में थापा लगाने की परंपरा है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सुख-शांति बनी रहती है।

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    1 नवंबर जागेंगे श्रीहरि विष्णु, फिर शुरू होंगे शुभ कार्य

    संवाद सूत्र, उदवंंतनगर (आरा)। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को प्रबोधिनी अथवा देवोत्थान एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2025) कहा जाता है। इस वर्ष यह 1 नवंबर शनिवार एकादशी तिथि को मनाई जाएगी। भोजपुर में इसे देवठन के नाम से पुकारा जाता है।

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    1 नवंबर को 4 महीने की योग निद्रा त्याग कर भगवान श्री हरि विष्णु सृष्टि का संचालन भार संभालेंगे। इसके साथ ही तिलक विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार तथा नए वाणिज्य व्यापार सहित सभी प्रकार के मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। देवोत्थान एकादशी पर तुलसी के साथ नारायण प्रणय सूत्र में बंधेंगे।

    मान्यताओं के अनुसार, इस दिन उपवास और लक्ष्मी नारायण की पूजन से जगत का कल्याण होता है तथा लोगों पर उनकी कृपा बनी रहती है। घरों में देवता जगाने को निमित्त थापा लगाने की परंपरा है। आज के दिन घर की महिलाएं चावल के आटा के साथ सिंदूर मिलाकर पूजा स्थलों से लेकर पूरे घर में थापा लगा कर देवता को जागृत करती हैं, जिससे घरों से नकरात्मक आसुरी शक्ति निकल जाय एवं ईश्वर का वास हो और घर में सुख, शांति व समृद्धि बनी रहे।

    पंडित विवेकानंद पांडेय ने बताया कि आषाढ़ मास के हरि शयनी एकादशी के दिन भगवान शिव को जगत का संचालन कार्य सौंप कर भगवान श्री हरि विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इसे चातुर्मास कहा जाता है। देवोत्थान एकादशी का आगमन 31 अक्टूबर शुक्रवार की रात्रि 4.02 बजे से हो रहा है, जो 1 नवंबर शनिवार की रात्रि 2.57 बजे तक रहेगा। चातुर्मास के दौरान यज्ञ सहित सभी मांगलिक कार्य बंद कर दिए जाते हैं। चातुर्मास 4 महीने का होता है। चातुर्मास में वर्षा काल होता है।

    शुरू होंगे मांगलिक कार्य

    देवोत्थान से चार माह से बंद पड़े यज्ञ सहित सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। गृह प्रवेश, शादी विवाह, मुंडन व नवीन वाणिज्य व्यापार कार्य शुरू हो जाएंगे। 5 नवंबर बुधवार को पूर्णिमा तिथि तथा गंगा स्नान संपन्न होगा। 4 नवंबर को रात्रि 9.33 बजे पूर्णिमा का आगमन जो 5 नवंबर की रात्रि 7.16 बजे तक रहेगा। 3 नवंबर से बड़ी संख्या में गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य संपादित होंगे। इस बार 18 नवंबर से 6 दिसंबर तक शादी विवाह चलेगा।