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    Bihar Election: महागठबंधन के लिए आसान नहीं होगी संदेश सीट की लड़ाई, पिछली बार चिराग ने जलाई थी लौ

    Updated: Mon, 13 Oct 2025 03:28 PM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव में संदेश सीट पर महागठबंधन के लिए मुकाबला कठिन होने की संभावना है। पिछली बार चिराग पासवान की पार्टी ने यहाँ कड़ी टक्कर दी थी। इस सीट पर विभिन्न जातियों का प्रभाव है, और महागठबंधन को सभी समुदायों को साथ लेकर चलने की चुनौती होगी। महागठबंधन को यहाँ जीतने के लिए एक ठोस रणनीति बनानी होगी।

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    महागठबंधन के लिए आसान नहीं होगी संदेश सीट की लड़ाई

    विजय कुमार ओझा, उदवंतनगर (आरा)। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में सीटों का बंटवारा तय होने के साथ ही विधानसभा क्षेत्रों में राजग का समीकरण साफ हो गया है। इसका प्रभाव भोजपुर के संदेश विधानसभा क्षेत्र पर भी पड़ेगा।

    कहा जाता है कि यह भोजपुर जिले की ऐसी सीट है, जिस पर लालू परिवार की साख दांव पर रहती है। यहां से विधायक किरण देवी और उनके पति पूर्व विधायक अरुण यादव से उनके ऐसे रिश्ते हैं कि निजी कार्यक्रमों में भी लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्य शामिल होते हैं।

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    2020 के चुनाव में चिराग पासवान की एक चाल ने जदयू का पूरा समीकरण बिगाड़ दिया। लोजपा (रामविलास) ने यहां से श्वेता सिंह को मैदान में उतारा, तो संदेश का मुकाबला एक झटके में त्रिकोणीय हो गया। परिणाम ऐसा निकला कि जदयू का पूरा खेल ही उलट गया।

    महागठबंधन की ओर से उतरीं किरण देवी ने न केवल जीत दर्ज की, बल्कि ऐसा अंतर बनाया जो अब तक का रिकॉर्ड बन गया। उन्होंने जदयू प्रत्याशी व पूर्व विधायक विजयेन्द्र कु सिंह को 50,677 मतों से हराकर नया इतिहास रच दिया।

    किरण देवी को 79599 वहीं विजेन्द्र कुमार सिंह को 28992 तथा श्वेता सिंह को 28500 मत मिले। संदेश सीट सीट बंटवारे में जदयू के खाते में गई थी, जिससे भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी।

    भाजपा से टिकट की प्रबल दावेदार सक्कड़ी पंचायत की तत्कालीन मुखिया श्वेता सिंह ने बगावत का बिगुल फूंकते हुए लोजपा (रामविलास) का हाथ थाम लिया। यहीं से समीकरण बिगड़ने शुरू हो गए।

    सवर्ण मतदाता दो फाड़ हो गए — एक हिस्सा भाजपा-जदयू गठबंधन से अलग होकर श्वेता सिंह के साथ चला गया। वहीं, एनडीए के वोटर भी उदासीन हो गए। जिससे जदयू को पराजय का मुंह देखना पड़ा।

    कानूनी प्रक्रिया झेल रहे पूर्व विधायक अरुण यादव की जगह महागठबंधन ने उनकी पत्नी किरण देवी पर दांव लगाया था। जनता ने भरोसा जताया और उन्हें ऐतिहासिक जीत दिलाई। 2015 में जहां अरुण यादव ने भाजपा के संजय सिंह टाइगर को 25,427 मतों से हराया था, वहीं 2020 में किरण देवी ने यह बढ़त दोगुनी से भी अधिक कर दी।

    भोजपुर की तीन सीटों पर असर

    चिराग पासवान की इस रणनीति का असर सिर्फ संदेश तक सीमित नहीं रहा। अगिआंव और जगदीशपुर सीटों पर भी जदयू को भारी नुकसान उठाना पड़ा। जदयू ने भोजपुर की सात में से तीन विधानसभा क्षेत्र में अपने प्रत्याशी उतारे और किसी में जीत नहीं मिली।