Bihar Election 2025: मतदान खत्म, चर्चा शुरू; बक्सर में चाय की चुस्कियों संग सरकार बनने-बिगड़ने की हो रही बातें
बिहार चुनाव 2025 के मतदान समाप्त होने के बाद, बक्सर में चाय की दुकानों पर सरकार बनाने और बिगाड़ने की चर्चाएँ शुरू हो गई हैं। लोग चाय की चुस्कियों के साथ चुनावी नतीजों और संभावित सरकार पर अपनी राय रख रहे हैं।

बिहार चुनाव 2025: बक्सर में मतदान के बाद सरकार पर चर्चा
जागरण संवाददाता, बक्सर। विधानसभा चुनाव में मतदान संपन्न होते ही सियासी हलकों में हलचल मच गई है। मतपेटियां बंद होते ही चर्चा जोरों पर हो रही है। स्थानीय निवासी जितेंद्र कुमार कहते हैंं कि दुकानों पर चाय की चुस्कियां खत्म होने से पहले ही “सरकार बन जा रही है।”
हर आदमी अपने मन के मुताबिक सरकार बना और बिगाड़ रहा है। आम मतदाता से लेकर राजनीतिक विश्लेषकों तक, सभी इस अचानक बढ़ी राजनीतिक सरगर्मी को लेकर कयास लगा रहे हैं।
हर चुनाव की तरह इस बार भी मतदान के बाद का माहौल दिलचस्प हो गया है। गांव-गांव और शहरों में लोग परिणामों को लेकर अपने-अपने अनुमान लगा रहे हैं। खास बात यह है कि मतगणना से पहले ही इंटरनेट मीडिया पर “सरकार बनने व जाने वाली है” जैसे संदेशों की बाढ़ आ गई है।
लोग एक-दूसरे से पूछ रहे हैं कि आखिर इस बार किसकी किस्मत चमकेगी और किसकी कुर्सी डगमगाएगी। विमल कुशवाहा और प्रदीप कुमार का कहना है कि यह भारतीय लोकतंत्र की जीवंतता का हिस्सा है।
चुनाव खत्म होते ही हर कोई विश्लेषक बन जाता है, और चाय की दुकानों पर चर्चा का दौर शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है- मतदान खत्म होते ही सरकार बनने की बातें इतनी तेजी से फैल गई हैं कि लग रहा है मानो परिणाम घोषित होने का इंतजार ही नहीं है।
कुछ लोग इसे जनता के रुझान का संकेत मान रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि यह सिर्फ अफवाहों और अटकलों का खेल है।हालांकि, असल तस्वीर मतगणना के दिन ही साफ होगी।
तब तक प्रदेश की सियासत में चर्चा का दौर यूं ही जारी रहेगा—कहीं चाय की चुस्कियों के साथ तो कहीं सोशल मीडिया की पोस्टों के जरिए। लेकिन इतना तय है कि इस बार चुनाव के बाद की राजनीति में “सरकार बनने व गिरने” की बात ने माहौल को पहले ही गरमा दिया है।
इटाढ़ी में चाय की दुकान पर रामेश्वर शर्मा, बिहारी कुशवाहा, अनिल केशरी व राजेश गुप्ता सहित अन्य ने कहा कि मतदान के बाद सियासी चर्चाओं ने साबित कर दिया है कि लोकतंत्र में जनता सिर्फ वोट डालकर ही नहीं, बल्कि चर्चा और बहस के जरिए भी अपनी भागीदारी निभाती है।

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