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    Bihar Chunav: मैथिली ठाकुर से लेकर खेसारी लाल यादव तक, अब बिहार में एंट्री कर रहा है स्टारडम

    Updated: Sun, 19 Oct 2025 04:08 PM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार भोजपुरी और मैथिली कलाकारों ने खूब धूम मचाई है। खेसारी लाल यादव, मैथिली ठाकुर जैसे कलाकार चुनावी मैदान में उतरे हैं, तो मनोज तिवारी और रवि किशन जैसे स्टार प्रचारक बने हुए हैं। इन कलाकारों के पुराने गाने और वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं, जिससे चुनाव में मनोरंजन का रंग भी देखने को मिल रहा है।

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    मैथिली ठाकुर और खेसारी लाल यादव। (जागरण फोटो)

    शुभ नारायण पाठक, बक्सर। कभी रैलियों में नेताजी का भाषण सुनने से पहले भीड़ खींचने वाले लोक कलाकार अब खुद चुनावी अखाड़े में कूद पड़े हैं। राजनीति और सिनेमा का रिश्ता नया नहीं है।

    हिंदी फिल्मों से अमिताभ बच्चन, राज बब्बर, जया प्रदा, शत्रुघ्न सिन्हा और दक्षिण भारतीय सिनेमा से रजनीकांत, जयललिता जैसे सितारे पहले ही सत्ता के गलियारों तक पहुंच चुके हैं। लेकिन बिहार की लोक-भाषाओं भोजपुरी, मैथिली और मगही से जुड़े कलाकारों को नेताजी का सम्मान पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा।

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    इस बार के विधानसभा चुनाव में यह इंतजार जैसे टूट गया है। खेसारी लाल यादव से लेकर मैथिली ठाकुर और रितेश पांडेय तक सीधे प्रत्याशी बन चुके हैं। वहीं, मनोज तिवारी, पवन सिंह, दिनेश लाल यादव निरहुआ और रवि किशन जैसे उनके साथी स्टार-प्रचारक बनकर मैदान में ताल ठोंक रहे हैं।

    नतीजा यह कि इस बार चुनावी सभाओं में सिर्फ भाषण ही नहीं, बल्कि कलाकारों के मशहूर गानों, डांस स्टेप्स और डायलाग्स की गूंज भी सुनाई दे रही है। गांव-गांव में चर्चा है कि ये गायक-नायक वोट के लायक हैं या नहीं?

    भाजपा ने मैथिली ठाकुर, तो राजद ने खेसारी पर लगाया दांव

    इस बार के चुनाव में जितने भी लोक कलाकारों के नाम चर्चा में हैं, उनमें मैथिली ठाकुर की छवि सबसे साफ-सुथरी है। हिंदी और मैथिली के भक्ति लोक गीतों ने उन्हें विशेष ख्याति दिलाई है। भाजपा ने मिथिला की सांस्कृतिक पहचान के रूप में उनकी ताकत को साधते हुए उन्हें दरभंगा की अलीनगर सीट से उतारा है।

    पार्टी को भरोसा है कि मिथिला की पहचान को मैथिली ठाकुर वोटों में बदल देंगी। उनकी कला की कोई आलोचना राजनीति में नहीं हो रही है। राष्ट्रीय जनता दल ने भोजपुरी कलाकार खेसारी लाल यादव को सारण जिले की छपरा सीट से उम्मीदवार बनाया है। उनकी पहचान यूं तो सीधे-सादे गंवई कलाकार की है, लेकिन उनके कुछ गानों और डांसिंग स्टेप्स को अश्लील या फूहड़ बताकर आलोचना भी होती है।

    वैसे तो यह समस्या भाजपा से जुड़े पवन सिंह, लोजपा रामविलास से जुड़ी सीमा सिंह और जन सुराज पार्टी से जुड़े रितेश पांडेय पर भी कमोबेस लागू होती है। इसलिए विरोधी खेमे इनके पुराने गानों, तस्वीरों और वीडियो पर मीम्स बनाकर खूब मजे ले रहे हैं। इन कलाकारों पर बनने वाले लगभग सभी मीम्स का उद्देश्य उनके चरित्र को कमतर बताना है।

    विरोधी बजा रहे रितेश पांडेय के पुराने गाने, प्रसारित हो रहीं सीमा की तस्वीरें

    रोहतास जिले की करगहर सीट से जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार रितेश पांडेय को उनके पुराने गानों 'लवंडिया लंदन से लाएंगे' और 'पियवा से पहिले हमार रहलू' आदि के लिए विरोधी पक्ष ट्रोल कर रहा है।

    खुद को आइटम क्वीन कहने वाली भोजपुरी की डांसिंग स्टार सीमा सिंह ने लोजपा रामविलास के टिकट पर चुनाव में उतरने की पूरी की तैयारी कर ली थी, लेकिन उनका नामांकन रद हो गया। अब उनके पुराने वीडियो और तस्वीरों को खूब शेयर किया जा रहा है, जब वह खुद को भोजपुरी सिनेमा में आइटम डांस के लिए स्थापित करने में जुटी थीं।

    पवन सिंह के गानों पर भी बन रही मीम्स, मगही अभी मंच से नदारद

    भाजपा से जुड़े पवन सिंह की पत्नी काराकाट से निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। उनका जोर मुख्यत: अपने पति के साथ चल रहे विवाद को आमजन के सामने लाने पर है। इससे उनके प्रति एक वर्ग में सहानुभूति मिल रही है। इसलिए पवन सिंह पर भी खूब मीम्स बन रही हैं।

    भोजपुरी लोकगायक से सांसद बने मनोज तिवारी, दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’, रवि किशन प्रत्याशी तो नहीं, लेकिन प्रचार मैदान में दलों के तुरुप के इक्के बने हुए हैं। भोजपुरी और मैथिली के कलाकार चुनावी मैदान में हैं, मगर मगही कलाकारों की सीधी भागीदारी इस बार नजर नहीं आई।

    गया-नवादा के इलाकों में मगही संस्कृति की ताकत गहरी है, पर चुनावी टिकट अभी तक पारंपरिक नेताओं के हिस्से ही गया।