स्कूल-कॉलेज का गढ़ बना बक्सर: कृषि से लेकर इंजीनियरिंग तक की होती है पढ़ाई; जल्द मिलेगी डॉक्टरी की डिग्री
बक्सर प्राचीन काल से शिक्षा का केंद्र रहा है जहां भगवान श्रीराम और लक्ष्मण ने शिक्षा प्राप्त की। अब विद्यालयों की संख्या में वृद्धि शिक्षकों की नियुक्ति और सरकारी प्रयासों से शिक्षा के क्षेत्र में नई उम्मीदें जगी हैं। जिले में इंजीनियरिंग पॉलिटेक्निक और मेडिकल कॉलेज खुलने से शिक्षा के नए अवसर मिल रहे हैं।

राजेश तिवारी, बक्सर। वैसे तो ऐतिहासिक, पौराणिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध महर्षि विश्वामित्र की यह धरती, प्राचीन काल से ही ज्ञान और शिक्षा का केंद्र रही है। त्रेतायुग में भगवान श्रीराम और लक्ष्मण का यहां से शिक्षा और युद्ध कौशल में महारत हासिल करना, इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। हालांकि, आजादी के पहले और उसके बाद इसकी स्थिति खूब अच्छी नहीं रही। अब विद्यालयों की संख्या बढ़ने, विद्यालयों में बीपीएससी शिक्षकों की बहाली और सरकार द्वारा शिक्षा पर ध्यान देने तथा शिक्षा के क्षेत्र में नई योजनाओं को लाने से नई उम्मीदें जरूर जगी हैं।
अब तो जिले में इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक की पढ़ाई हो ही रही है, आने वाले दिनों में बक्सर चिकित्सक की डिग्री देने की भी तैयारी कर रहा है। आंकड़ों पर गौर करें तो, आज जिले में केवल सरकारी स्कूलों की संख्या एक हजार से अधिक है। इसके अलावा, सैकड़ों निजी स्कूल और कोचिंग संस्थान भी शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं।
बक्सर में स्कूल-कॉलेजों की भरमार
शिक्षा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, जिले में 624 प्राथमिक विद्यालय, 12 छठी से आठवीं तक के स्कूल, 407 मध्य विद्यालय, 48 पहली से 12वीं तक के स्कूल, 110 नौवीं से 12वीं तक के स्कूल और एक छठी से 12वीं तक का स्कूल है। साथ ही, सात बुनियादी स्कूल, एक नवोदय विद्यालय और एक केंद्रीय विद्यालय भी संचालित हैं। उच्च शिक्षा के लिए दो अंगीभूत और 15 संबद्ध महाविद्यालय हैं।
इसके अतिरिक्त, एक सरकारी और कई निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान भी मौजूद हैं, जहां से हर साल छात्र प्रशिक्षण लेकर निकलते हैं। यहां एक कृषि महाविद्यालय, एक जीएनएम ट्रेनिंग स्कूल, एक पारा मेडिकल संस्थान, एक सरकारी पॉलिटेक्निक, एक इंजीनियरिंग कॉलेज और नाइलेट की स्थापना हुई है। इन संस्थानों से पढ़कर छात्र नए क्षेत्रों में सफलता अर्जित कर रहे हैं। एक सरकारी मेडिकल कॉलेज की योजना भी प्रगति पर है, जो पूरा होने पर चिकित्सा और शिक्षा दोनों क्षेत्रों में नया आयाम जोड़ेगा।
इन सबसे अलग जिले में एक सरकारी आयुर्वेद कॉलेजभी है, हालांकि वहां लंबे समय से पढ़ाई बंद है, लेकिन इसे फिर से शुरू करने की बात चल रही है। निजी शिक्षण संस्थानों ने भी खासी तरक्की की है। जिले में कई नए और महंगे स्कूल खुल गए हैं, और अब जिले में ही बी-एड की पढ़ाई भी उपलब्ध है। शिक्षा की गुणवत्ता में भी पहले की तुलना में काफी सुधार हुआ है।
त्रेतायुग में आक्सफोर्ड से कम नहीं था बक्सर
त्रेतायुग में बक्सर आक्सफोर्ड से कम नहीं था। तब यह महर्षि विश्वामित्र का आश्रम था, जहां भगवान श्रीराम और लक्ष्मण शिक्षा और युद्ध कौशल में पारंगत हुए थे। 1966 में प्रकाशित शाहाबाद गजेटियर के अनुसार, वेदों की ऋचाओं का संकलन करने वाले कई महान ऋषि इसी क्षेत्र में जन्मे थे।
इस क्षेत्र का प्राचीन नाम वेदगर्भापुरी था, और ऐसा माना जाता है कि वेदों की उत्पत्ति यहीं हुई। लोक कथाओं के अनुसार, रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास का जन्म भी इसी जिले के रघुनाथपुर गांव में हुआ था। बक्सर को सिद्धाश्रम के नाम से भी जाना जाता था, जो मुनि विश्वामित्र सहित कई संतों की तपोभूमि थी।
आधुनिक बक्सर : शिक्षा का नया अध्याय
- 624 प्राथमिक विद्यालय
- 12 छठी से आठवीं तक के स्कूल
- 407 मध्य विद्यालय
- 48 पहली से बारहवीं तक के स्कूल
- 110 नौवीं से बारहवीं तक के स्कूल
- 1 छठी से बारहवीं तक का स्कूल
- 7 बुनियादी स्कूल
- 1 नवोदय विद्यालय
- 1 केंद्रीय विद्यालय
- 2 अंगीभूत महाविद्यालय
- 15 संबद्ध महाविद्यालय
- 1 सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान
बक्सर में हाल के वर्षों में स्थापित हुए संस्थान
- एक कृषि महाविद्यालय
- एक जीएनएम ट्रेनिंग स्कूल
- एक पारा मेडिकल संस्थान
- एक सरकारी पालिटेक्निक
- एक इंजीनियरिंग कालेज
- नाइलेट की स्थापना
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