Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Buxar News: शराबबंदी के बावजूद गांवों में कायम है ‘लालपरी’ का जलवा, खुलेआम बिक रही अवैध शराब

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 11:30 PM (IST)

    बक्सर जिले में शराबबंदी के बावजूद गांवों में अवैध शराब का धंधा खूब चल रहा है। ‘लालपरी’ नाम से मशहूर शराब खुलेआम बिक रही है, जिससे प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार चल रहा है, और शराब माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।

    Hero Image

    शराबबंदी के बावजूद गांवों में धड़ल्ले से बिक रही शराब। सांकेतिक तस्वीर

    संवाद सहयोगी, सिमरी (बक्सर)। सिमरी प्रखंड के तीनों थानों की पुलिस इन दिनों शराब तस्करों की बजाय पियक्कड़ों को पकड़ने में अधिक सक्रिय दिखाई दे रही है। पुलिस की इस कार्यशैली को लेकर ग्रामीणों में नाराजगी बढ़ने लगी है।

    लोगों का कहना है कि इलाके में खुलेआम अवैध शराब की बिक्री हो रही है, इसके बावजूद तस्करों पर कार्रवाई उम्मीद के मुताबिक नहीं की जा रही है। वहीं पुलिस छोटे-छोटे मामलों में पियक्कड़ों को हिरासत में लेकर खानापूर्ति करती नजर आ रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ग्रामीणों का कहना है कि शराबबंदी लागू होने के बाद भी सिमरी, तिलक राय के हाता एवं रामदास राय के डेरा थाना क्षेत्र के विभिन्न गांवों में शराब की उपलब्धता किसी से छिपी नहीं है। कई स्थानों पर तो ऐसी स्थिति है कि शराब की बिक्री आम चीजों की तरह हो रही है।

    लोगों का कहना है कि नियमित गश्ती और छापेमारी के बावजूद तस्करों का नेटवर्क जस का तस बना हुआ है। इससे पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े होना स्वाभाविक है।स्थानीय लोगों का आरोप है कि पियक्कड़ों को पकड़कर पुलिस अपनी उपलब्धि गिनाना चाहती है, जबकि असली चुनौती शराब के अवैध कारोबार को जड़ से खत्म करना है।

    उनका कहना है कि जब तक तस्करों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक शराबबंदी का उद्देश्य पूरा नहीं हो सकता। कई ग्रामीणों ने दावा किया कि उन्होंने तस्करों की गतिविधियों की सूचना पुलिस को दी थी, लेकिन अपेक्षित कार्रवाई नहीं हो सकी।

    इधर, क्षेत्र में बढ़ रही आलोचनाओं के बीच पुलिस की भूमिका को लेकर चर्चाएं तेज हैं। लोग पूछ रहे हैं कि जब शराब की बिक्री इतनी सहजता से हो रही है तो आखिर पुलिस की कड़ी कार्रवाई तस्करों तक क्यों नहीं पहुंच पा रही है?

    ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस को चाहिए कि वह पियक्कड़ों पर सिर्फ औपचारिक कार्रवाई करने की बजाय तस्करों के जाल को ध्वस्त करने पर ध्यान दे, ताकि शराबबंदी कानून प्रभावी रूप से लागू हो सके।