Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Raksha Bandhan 2025: मां लक्ष्मी ने दैत्यराज बलि को माना था भाई, तब मिली थी भगवान नारायण को मुक्ति

    Updated: Fri, 08 Aug 2025 03:15 PM (IST)

    बक्सर की धरती रक्षाबंधन के त्योहार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यहां भगवान वामन ने राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी थी। लक्ष्मी जी ने बलि को भाई मानकर रक्षासूत्र बांधा और भगवान नारायण को मुक्त कराया। येन बद्धो बलि राजा... मंत्र का उच्चारण करते हुए पुरोहित यजमानों को धर्म के प्रति प्रतिबद्ध करते हैं।

    Hero Image
    मां लक्ष्मी ने दैत्यराज बलि को माना था भाई, तब मिली थी भगवान नारायण को मुक्ति

    गिरधारी अग्रवाल, बक्सर। ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रही सिद्धाश्रम की स्थली (बक्सर) कई महत्व रखती है, उनमें एक रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2025) का त्योहार भी है। ब्राह्मण या पुरोहित जब कभी अपने यजमान को रक्षासूत्र बांधते हैं, तो उनके द्वारा भाषित श्लोक "येन बद्धो बलि राजा दानवेंद्रो महाबल: तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल", मंत्र का संबंध बक्सर की धरा से जुड़ा हुआ है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    धार्मिक आख्यान के अनुसार, भगवान नारायण जब बक्सर की इस तपोभूमि पर भगवान वामन के रूप में अवतरित हुए। तब राजा बलि के अश्वमेध यज्ञ में याचक बनकर उसके सम्मुख उपस्थित हुए और दान में तीन पग भूमि प्राप्त कर दैत्यराज का सारा राज-पाट ले लिए, परंतु वहां पर दैत्यराज बलि के हाथों भगवान छले गए और भक्ति भाव से वशीभूत होकर बली के साथ सुतल लोक को चले गए।

    कहा जाता है कि तब लक्ष्मी जी सुतल लोक में जाकर बंदी हुए भगवान नारायण को छुड़ाने के लिए बलि को अपना भाई मानकर रक्षासूत्र बांधी थीं और उन्हें मुक्त कराकर साथ ले गईं।

    प्रसंग की जानकारी देते हुए आचार्य रणधीर ओझा बताते हैं की जिस दिन मां लक्ष्मी ने रक्षासूत्र बांधी थी वो सावन की पूर्णिमा तिथि थी और भद्रा रहित होने के कारण ऋषियों ने इस दिन को सर्वश्रेष्ठ रक्षाबंधन के नाम से प्रतिष्ठित कर दिया। तब से यह तिथि शास्त्र और परंपरा में वर्णित है।

    रक्षासूत्र बांधते समय मंत्र का महत्व:

    सामान्यतः "येन बद्धो बलि राजा.. मंत्रोच्चार का अर्थ यह लिया जाता है कि दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूं। हे रक्षे! (रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो।

    अर्थात, रक्षा सूत्र बांधते समय ब्राह्मण या पुरोहित अपने यजमान को कहता है कि जिस रक्षासूत्र से दानवों के महापराक्रमी राजा बलि धर्म के बंधन में बांधे गए थे। उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं। यानी धर्म के लिए प्रतिबद्ध करता हूं।

    इसके बाद पुरोहित रक्षा सूत्र से कहता है कि हे रक्षे तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना। इस प्रकार रक्षा सूत्र का उद्देश्य ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को धर्म के लिए प्रेरित एवं प्रयुक्त करना है।

    राखी उपाकर्म का श्रेयस्कर समय

    प्रसिद्ध कर्मकांडी पं. अमरेंद्र कुमार शास्त्री ने बताया कि पूर्णिमा तिथि शुक्रवार को दिन में 1:41 बजे से ग्राह्य कर शनिवार को दिन में 1:23 बजे तक है, लेकिन तिथि आगमन के समय से रात्रि 1:23 बजे तक भद्रा का प्रभाव रहने से सर्वमान्य रूप से रक्षाबंधन का त्योहार शनिवार को मनाया जा रहा है।

    उदयातिथि के प्रभाव में वैसे तो राखी पूरे दिन बंधेगी, लेकिन सूर्योदय के उपरांत और दिन के 1:23 से पहले राखी उपाकर्म कर लेना अधिक शुभ होगा।

    comedy show banner
    comedy show banner