Bihar Assembly Election 2025 : एनडीए बनाम निर्दलीय! अब कुशेश्वरस्थान में बदला मुकाबले का रंग
कुशेश्वरस्थान विधानसभा क्षेत्र में बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का मुकाबला दिलचस्प हो गया है। एनडीए और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच सीधी टक्कर होने की संभावना है, जिससे राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। पहले राजद का दबदबा था, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। एनडीए और निर्दलीय उम्मीदवार अपनी-अपनी रणनीति से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि महागठबंधन को पुनर्विचार की आवश्यकता है।

इस खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है।
संवाद सहयोगी, (कुशेश्वरस्थान), दरभंगा । बिहार विधानसभा चुनाव की रणभूमि में उतरने वाले प्रत्याशियों के नाम और चुनाव चिह्न तय हो गए हैं। कुशेश्वरस्थान विधानसभा क्षेत्र में कुल 10 उम्मीदवार मैदान में हैं। मुकाबला भले एनडीए और आइएनडीआइए के बीच आमने-सामने का माना जा रहा था, परंतु तकनीकी कारणों से आइएनडीआइए उम्मीदवार का नामांकन रद होने से अब वह निर्दलीय प्रत्याशी बन चुके हैं।
बावजूद एनडीए का मुकाबला उन्हीं के बीच सिमटता दिख रहा है, क्योंकि क्षेत्र में यह चर्चा आम है कि देर-सबेर उन्हें आइएनडीआइए का समर्थन मिल ही जाएगा। प्रत्याशियों के नाम और चुनाव चिह्न घोषित होते ही चौक-चौराहों, हाट-बाजारों, चाय-पान की दुकानों और सार्वजनिक स्थानों पर चुनावी चर्चा ने रफ्तार पकड़ ली है। लोग हार-जीत के आंकलन में प्रत्याशियों के बैकग्राउंड, स्वभाव, शिक्षा और राजनीतिक पकड़ पर बहस करते दिख रहे हैं। इन्हीं चर्चाओं के बीच बाइक से जब कुशेश्वरस्थान से निकले तो वे दिन याद आ गए जब यहां सड़क का नामोनिशान नहीं था। कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड का यह पूरा इलाका नदी-नाले और उपधाराओं से घिरा दियारा क्षेत्र रहा है। जहां बरसात में नाव और बाढ़ उतरने के बाद खेतों की पगडंडियों पर बैलगाड़ी या पैदल ही सफर करना मजबूरी थी। कुछ संपन्न लोग या दबंग ही घोड़े की सवारी करते थे।
अब बदल चुका है कुशेश्वरस्थान का चेहरा
आज वही इलाका विकास की नई तस्वीर पेश कर रहा है। कुशेश्वरस्थान बाजार से निकलते ही अब बाइक और अन्य वाहन फर्राटे भरते हैं। सड़कें गांवों को जोड़ रही हैं और नदी-नालों पर पुलों का जाल बिछ चुका है। तिलकेश्वर गांव पहुंचने पर एक चाय की दुकान पर चुनावी बहस में डूबे लोगों से बात हुई। गांव के दिलीप कुमार मुखिया ने कहा विकास का सबसे बड़ा नमूना यही सड़क है जिस रास्ते आप आए हैं। कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि इस दियारा क्षेत्र में कभी पक्की सड़क बनेगी। रामदेव यादव ने बताया कि अब हर गांव तक सड़क पहुंच चुकी है, जिससे किसान अपने फसलों को मंडियों में बेचकर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं। पहले सीधा सड़क संपर्क नहीं होने के कारण उचित दाम नहीं मिल पाता था। अब घर से निकलते ही वाहन की सुविधा उपलब्ध हो जाता है।
ग्रामीण बोले- अब गांवों में भी शहरी जैसी सुविधाएं
गोलमा के रामकुमार राय ने कहा कि गांवों में अब पक्की नली-गली, हर घर नल का जल, शौचालय और 20 से 22 घंटे तक बिजली की सुविधा है। यह सब विकास का ही परिणाम है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर भ्रष्टाचार पर अंकुश लग जाए तो सरकारी योजनाओं की शत-प्रतिशत सफलता सरजमीं पर सुनिश्चित हो जाएगी। वहीं, वापस लौटने पर गोलमा गांव के निकट अनिल राय ने बताया कि कोसी नदी के कटाव से गांव दो हिस्सों में बंट गया था, लेकिन अब पुल और पक्की सड़क के निर्माण की स्वीकृति मिल गई है, जिससे लोगों को राहत मिलेगी।
इधर तेगच्छा गांव के पास खड़े कुछ लोगाें के साथ खड़े बमबम कुमार, बिनोद यादव आदि बताया कि उजुआ से सिमरटोका तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 2019 में सड़क निर्माण शुरू हुआ था, लेकिन ठेकेदार काम अधूरा छोड़कर गायब हो गया। इस कारण आज भी उस मार्ग से गुजरने वालों को पगडंडी का सहारा लेना पड़ता है। ग्रामीणों ने कहा कि अधूरा निर्माण कार्य जल्द पूरा करवाने हेतु उम्मीदवारों से आश्वासन देने की मांग करेंगे। क्षेत्र का भ्रमण करने पर यह पाया कि कुशेश्वरस्थान का यह दियारा क्षेत्र अब काफी बदल गया है। कभी जहां नाव ही जीवन रेखा थी, वहीं अब पक्की सड़कों और पुलों ने विकास की नई राह खोल दी है। चुनावी माहौल में यह इलाका बताता है कि जनता अब वादों से नहीं, जमीनी विकास से प्रभावित होती है।

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