Darbhanga News: ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में 16 अक्टूबर को होगा दीक्षांत समारोह
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में 5 वर्षों से दीक्षांत समारोह नहीं हुआ है। कुलाधिपति ने 16 अक्टूबर को 11वां दीक्षांत समारोह आयोजित करने की तिथि निर्धारित की है। समारोह में 40 हजार छात्रों को उपाधि मिलेगी। पिछले 5 वर्षों से लगभग 40 हजार छात्र-छात्राओं को मूल उपाधि का इंतजार है।

जागरण संवाददाता, दरभंगा। दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय के सबसे प्रमुख आयोजनों में से एक है। विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्राएं इस पावन अवसर का वर्षों से इंतजार करते हैं। अब जाकर छात्रों का इंतजार खत्म हुआ है।
इस बाबत 14 अगस्त यानी गुरुवार को राज्यपाल के प्रधान सचिव राबर्ट एल चोंग्थू ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति के नाम पत्र जारी कर बताया है कि कुलाधिपति ने 11 वां दीक्षांत समारोह आयोजित करने के लिए 16 अक्टूबर की तिथि निर्धारित कर दी है।
दीक्षांत समारोह की कार्यसूची, मिनट टू मिनट कार्यक्रम आदि की प्रति सचिवालय को अविलंब उपलब्ध कराने को कहा गया है। बता दें कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में पांच वर्षों से लंबित दीक्षांत समारोह के आयोजन को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई थी।
दीक्षांत समारोह का आयोजन लगातार टलता जा रहा था। दीक्षांत समारोह में करीब 40 हजार छात्रों को अपनी मूल उपाधि मिलेगी। इनमें पीजी, पीएचडी और डिलीट के छात्र शामिल हैं। विश्वविद्यालय को दीक्षांत समारोह के आयोजन के लिए लंबित सत्रों की मूल उपाधि तैयार की जा रही है।
पूर्व कुलपति सुरेन्द्र कुमार सिंह अपने कार्यकाल में वर्ष 2019 में मार्च और नवंबर में दो बार दीक्षांत समारोह का आयोजन किया था। वही पूर्व कुलपति प्रो. सुरेन्द्र प्रताप सिंह अपने लगभग साढे तीन वर्ष के कार्यकाल में एक भी दीक्षांत समारोह कराने में सफल नही हो सके।
चार सत्रों के छात्रों को उपाधि का इंतजार
दीक्षांत समारोह का आयोजन नहीं होने के कारण पांच वर्षों से लंबित करीब दो दर्जन विषयों में पीजी, पीएचडी एवं डिलीट कर चुके करीब 40 छात्र छात्राओं व शोधार्थियों को मूल उपाधि का इंतजार है। अंतिम बार विश्वविद्यालय का 10 वां दीक्षांत समारोह 12 नवंबर 2019 को हुआ था।
इसमें पीजी के सत्र 2017-19 के उत्तीर्ण छात्रों एवं सितंबर 2019 तक विभिन्न संकाय से जुड़े विषयों के अवार्डेड 273 पीएचडी छात्रों को प्रमाणपत्र दिया गया था। इसके बाद से अब तक दीक्षांत समारोह का आयोजन नहीं हो सका है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पीजी के चार सत्र यानी 2018-20, 2019-21, 2020-22, 2021-23 के छात्र छात्राओं का दीक्षांत समारोह के माध्यम से प्रमाण पत्र दिया जाना लंबित है। बताया जाता है कि फिलहाल जिन छात्र छात्राओं को मूल प्रमाण पत्र देने की अनिवार्यता होती है उसे वैकल्पिक व्यवस्था के तहत विवि द्वारा यह लिखकर दे दिया जाता है कि जब तक मूल उपाधि विवि जारी नहीं कर रही है।
तब तक जारी औपबंधिक प्रमाणपत्र को मूल उपाधि के रूप में माना जाए। विशेष परिस्थिति में जरूरतमंद छात्र छात्रा फिलहाल उसी से काम चला रहे हैं। इस तरह लंबित सत्र के मूल उपाधि वाले छात्रों का आकलन किया जाय तो पीजी के एक सत्र में औसतन 14460 सीटों के विरुद्ध प्रत्येक सत्र में 11-12 हजार छात्र छात्रा नामांकन लेते हैं। प्रत्येक सत्र में औसतन 90 प्रतिशत छात्रों को सफल घोषित करने का दावा करती है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।