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    दरभंगा में हर राह पर बेसहारा पशु, क्या हादसे का इंतजार कर रहा प्रशासन?

    By Mrityunjay Bhardwaj Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Thu, 27 Nov 2025 06:07 PM (IST)

    Darbhanga News: शहर में बेसहारा पशुओं की समस्या गंभीर होती जा रही है। सड़कों पर आवारा पशुओं के झुंड यातायात में बाधा बन रहे हैं और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन इस समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा है और किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है। लोगों ने प्रशासन से जल्द कार्रवाई करने की मांग की है।

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    बेला मोड़ के पास आधी सड़क पर बेसहारा पशुओं का कब्जा। जागरण

    जागरण संवाददाता, दरभंगा । राज्य के चार प्रमुख शहरों में एक दरभंगा शामिल है। लेकिन, पशुओं के कारण यह शहर, शहर नहीं लग रहा है। जवाबदेह नगर निगम भी गंभीर नहीं है। परिणाम, सड़कों पर पशुओं का कब्जा रहता है। आने-जाने वाले वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। कार्रवाई हो भी तो कैसे, सरकारी स्तर पर इसे रखने के लिए खटाल ही नहीं है।

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    पूर्व में आजमनगर मोहल्ला में एक खटाल हुआ करता था, जो आज बंद है। नतीजा, पशुपालक सहित अवैध स्लाटर हाउस वाले अपनी गायों, भैंसों और बछड़ों को सड़क पर छोड़ देते हैं। सड़क पर पशु विचरण करते हैं। पशुपालक सिर्फ दूध निकालने के समय अपने पशुओं के पास पहुंचते हैं और दूध निकालने के बाद पशुओं को वहीं छोड़कर चले जाते हैं। जबकि, अवैध स्लाटर हाउस वाले खपत के हिसाब से पशुओं ले जाते हैं।


    ऐसे में कई वाहनों की ठोकर लगने से सड़क किनारे गंभीर स्थिति में पड़े रहते हैं। इससे आने-जाने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके चपेट में आने से कई बाइक सवार जख्मी हो गए हैं। शहर तो शहर, इसका कहर गांव में भी देखने को मिल रहा है। घनश्यामपुर में 19 मई 2025 को भैंस की टक्कर में झगरुआ निवासी मजिद शाह के 22 वर्षीय पुत्र जसीम शाह की मौत हो गई थी।

    बावजूद कोई संज्ञान लेने को तैयार नहीं है। ट्रस्ट स्तर पर मिर्जापुर में एक गौशाला और निजी स्तर पर भटियारीसराय मोहल्ले में एक खटाल है। अर्थात निजी स्तर पर दूसरे के पशुओं को रखने की व्यवस्था इस शहर में नहीं है।

    नगर निगम से एक भी खटालों का निबंधन नहीं है। ऐसी स्थिति में बेसहारा पशु इस शहर को सुंदर शहर बनने में बाधक साबित हो रहे हैं। इसकी जांच की बात तो दूर कभी कार्रवाई भी नहीं की जाती है। जबकि, इससे यातायात प्रभावित होता है। हाल के दिनों में बेला मोड़ के पास एक सांड ने जमकर उत्पात मचाया था। इसमें दो लोग जख्मी गए। सैदनगर में एक माह पहले सांड की लड़ाई में दो गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गई थी। इतने परेशानी के बावजूद निगम प्रशासन मौन है।

    अधिकारी के जाते ही अभियान बंद 

    तत्कालीन नगर आयुक्त महेंद्र कुमार ने आठ वर्ष पूर्व बेसहारा पशुओं के खिलाफ अभियान चलाया था। पशु पालकों से जुर्माना की राशि भी वसूली गई। इससे निगम को राजस्व की भी प्राप्ति हुई। लेकिन, उनके तबादले के साथ अभियान को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया। आज हालात यह है कि शहर में बेसहारा कुत्तों समेत गाय, सांड, बंदर सैकड़ों में हैं। इससे लोग परेशान हैं। खासकर बच्चों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

    बजट में प्रविधान, धरातल पर नहीं होता काम 

    बेसहारा पशुओं पर अंकुश लगाने के लिए नगर निगम की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। हालांकि, बोर्ड की बैठक में लगातार पार्षदों द्वारा आवाज उठाई जाती रही है। इसके बावजूद इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता है। बेसहारा पशुओं की धर-पकड़ के लिए हर वर्ष निगम बजट में प्रविधान किया जाता है। इस वर्ष भी करीब 10 लाख का प्रविधान है। लेकिन, इसका खर्च कब और कैसे होगा यह बताने वाला कोई नहीं है। नतीजा, पूरे शहर के लोग गाय, सांड, घोड़ा, बंदरों और सुअरों से परेशान हैं।

    बंदर और कुत्तों से भी लोग हैं परेशान 

    शहर के लोग बंदरों व कुत्तों से काफी परेशान हैं। इसके काटने से पीड़ितों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। यह समस्या बेहद गंभीर और लाइलाज-सी हो गई है। शहरों के तमाम मोहल्लों में अनगिनत बेसहारा कुत्ते सड़कों-गलियों पर विचरते रहते हैं और उस इलाके से गुजरने वाले इंसानों पर न सिर्फ गुर्राते-भौंकते रहते हैं, बल्कि कई बार हमला कर काट भी लेते हैं। लोगों को सबसे ज्यादा खतरा बंदरों व कुत्तों से है। बंदरों के कारण छत के ऊपर एक भी सिंटेक्स सुरक्षित नहीं है। घरों में घुसकर यह हमला कर देता है।

    अभी दो-तीन बैठक में बंदर एवं कुत्ता से निपटने की योजना पर विमर्श किया गया है। इससे निपटने के बाद बेसहारा मवेशियों के प्रबंधन पर विचार किया जाएगा।
    अंजुम आरा, मेयर, नगर निगम, दरभंगा