Lalit Narayan Mithila University : पढ़ाई के साथ खेल व संस्कृति में भी विश्वविद्यालय का बज रहा डंका
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय अब शिक्षा के साथ शोध को भी बढ़ावा दे रहा है। काशी विद्यापीठ और आईआईटी पटना के साथ समझौते से विश्वविद्यालय शिक्षा का केंद्र बनेगा। कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने कहा कि शिक्षकों की मदद से छात्र खेल और संस्कृति में भी आगे बढ़ रहे हैं। विश्वविद्यालय को शोध विश्वविद्यालय का दर्जा मिला है और छात्रों के लिए कई नई सुविधाएं शुरू की गई हैं।

गोल्ड मेडल के साथ टापर छात्र-छात्राएं। जारगण
जागरण संवाददाता, दरभंगा । ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के तहत अंगीभूत एवं संबद्ध कालेजों में पढ़ाई लिखाई के साथ साथ शोध नवाचार के वातावरण का निर्माण हुआ है।
विश्वविद्यालय को शिक्षा का केंद्र बनाने के लिए काशी विद्यापीठ और आइआइटी पटना के साथ समझौता अंतिम चरण में है। शिक्षकों और कर्मचारियों के सहयोग से हमारे छात्र पढ़ाई लिखाई के साथ साथ खेल व संस्कृति में भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मेधा का डंका बजा रहे हैं।
कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने शुक्रवार को डा. नागेंद्र झा स्टेडियम में आयोजित 11 वें दीक्षा समारोह को संबोधित करते हुए उक्त बातें कहीं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में नित्य नये नये आयाम प्राप्त कर रहा है। शैक्षणिक माहौल सुधर गया है।
कार्यक्रम के दौरान मंच पर मौजूद कुलाधिपति, कुलपति व अतिथिगण।
शिक्षकों की कमी को बहुत हद तक कर दिया गया दूर
सभी शैक्षणिक सत्र नियमित हो गए हैं और समय पर परीक्षा फल का प्रकाशन हो रहा है। पहले विश्वविद्यालय से लेकर कालेज तक में शिक्षकों की जो कमी थी, उसे बहुत हद तक दूर कर दिया गया है।
हमारा विश्वविद्यालय बिहार में अकेला है, जिसे शोध विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है। इसके तहत फारेंसिक प्रयोगशाला की स्थापना होगी। यह न केवल दरभंगा के लिए बल्कि संपूर्ण मिथिलांचल के लिए बड़ी उपलब्धि होने जा रही है। छात्रों को कठिनाई से बचाने के लिए बड़े कदम उठाए गए हैं।
आक्यूएसी ने डीजी लाकर पर अंकपत्र, औपबंधिक प्रमाण पत्र एवं मूल प्रमाण पत्र अपलोड कर राज्य का अग्रणी विश्वविद्यालय बना दिया है। आज तक तीन लाख से अधिक छात्रों का अपार जनरेट कर दिया गया है।
समर्थ पोर्टल पर शिक्षकों एवं कर्मचारियों का संक्षिप्त प्रोफाइल अद्यतन हो चुका है। विश्वविद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए देश के प्रतिष्ठित संस्थाओं और विश्वविद्यालयों से समझौता पत्र हस्ताक्षरित किए जा रहे हैं। शिक्षकों को आवश्यक सुविधाएं देने के लिए यथा संभव प्रयास किए जा रहे हैं। 259 सहायक प्राध्यापकों को लेबल 11 में प्रोन्नति दी गई है। सह-प्राध्यापक के पद पर प्रोन्नति की प्रक्रिया चल रही है। 206 तृतीय एवं 164 चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों को उच्चतर वेतनमान के साथ उच्च पद का प्रभार दिया गया है।
गोल्ड मेडल से सम्मानित होने के बाद खुशी से उछलते टापर छात्र-छात्राएं।
धर्म का तात्पर्य कर्तव्य भाव है, संप्रदाय नहीं
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली के राष्ट्रीय सचिव डा. अतुल कोठारी ने दीक्षा समारोह में उपस्थित छात्र-छात्राओं से कहा कि जीवन में धर्म का आचरण करें। धर्म का तात्पर्य कर्तव्य भाव है, संप्रदाय पंथ नहीं। आजीवन विद्यार्थी मानसिकता से सतत सीखने का प्रयास करते रहें।
भारतीय शिक्षा का आधार छात्रों के चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास का सम्रग विकास है। स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, पंडित मदन मोहन मालवीय आदि महान विभूतियों ने इस बात को अपने-अपने शब्दों में व्यक्त भी किया है। हमारी शिक्षा का एक मंत्र था, आप शिक्षा प्राप्त करने आए थे, यह कार्य पूर्ण हुआ। इसका अर्थ यह नहीं है कि शिक्षा पूरी होने के बाद आप आर्थिक उपार्जन ना करें, हमारे ग्रंथों में चतुर्थ पुरुषार्थ की संकल्पना दी गई है।

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