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    Mumbai Train Blast: मुंबई ट्रेन ब्लास्ट में बरी हुए कमाल का दरभंगा से था कनेक्शन, इन आरोपों में मिली थी सजा

    मुंबई ट्रेन धमाका मामले में बरी हुए 12 दोषियों में से एक का दरभंगा से नाता है। मधुबनी के मो. कमाल अंसारी जिनकी कोविड से मृत्यु हो गई थी इस मामले में आरोपी थे। 2006 में उनकी गिरफ्तारी के बाद परिवार गुमनामी में चला गया और सामाजिक अपमान का सामना करना पड़ा। अदालत के फैसले के बाद भी परिवार सामने आने को तैयार नहीं है।

    By Mukesh Srivastava Edited By: Ashish Mishra Updated: Wed, 23 Jul 2025 10:44 AM (IST)
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    मुंबई ट्रेन ब्लास्ट में बरी होने वाले मृतक कमाल के दरभंगा से गहरा रिश्ता। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, दरभंगा। मुंबई ट्रेन धमाका मामले में जिन 12 दोषियों को मुंबई उच्च न्यायालय ने बरी किया है, उनमें से एक का गहरा संबंध दरभंगा से है। मधुबनी जिले के बासापेट्टी पश्चिमी पंचायत निवासी मो. कमाल अंसारी की 2021 में कोविड-19 संक्रमण से नागपुर जेल में मृत्यु हो गई थी।

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    हालांकि, न्यायालय के आदेश के बाद परिवार और रिश्तेदारों में खुशी का माहौल है। 11 जुलाई 2006 को मुंबई की सात उपनगरीय लोकल ट्रेनों के प्रथम श्रेणी डिब्बों में हुए सात बम विस्फोटों में 187 लोगों की जान गई और लगभग 824 लोग घायल हुए।

    इस मामले में सबसे पहले कमाल अंसारी की गिरफ्तारी हुई थी। यही कारण है कि उसे आरोपितों की सूची में पहले स्थान पर रखा गया। जब 20 जुलाई 2006 को मुंबई एटीएस की टीम ने उसे बासोपट्टी बाजार से गिरफ्तार किया, तो परिवार पर गहरा धक्का लगा।

    इसके बाद से परिवार ने गुमनामी का जीवन जीने को मजबूर होना पड़ा। बासोपट्टी को छोड़कर पूरा परिवार दरभंगा में रहने लगा, लेकिन किसी स्थायी ठिकाने की तलाश में बार-बार स्थान बदलते रहे। जैसे ही लोगों को उनके बारे में जानकारी मिलती, वे तुरंत कमरा खाली कर देते थे।

    इस कारण परिवार को कई बार सामाजिक अपमान का सामना करना पड़ा। कभी कादिराबाद तो कभी उर्दू मोहल्ले में उनका ठिकाना रहा, लेकिन कभी भी उन्होंने अपना सही परिचय नहीं दिया।

    मुंबई उच्च न्यायालय के फैसले के बाद भी परिवार के लोग सामने आने को तैयार नहीं हैं। एक रिश्तेदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अतीत में जाने का कोई फायदा नहीं है। परिवार ने काफी संघर्ष के बाद जीने की कोशिश की है।

    इस बीच, मीडिया परिवार की तलाश में जुटा रहा, लेकिन कोई भी बातचीत के लिए तैयार नहीं हुआ। कमाल पर पाकिस्तान में हथियार चलाने का प्रशिक्षण लेने और माटुंगा में विस्फोट करने वाले बम को लगाने का आरोप था।

    इसमें निचली अदालत उन्हें तब तक फांसी पर लटकाने की सजा दी थी कि जब तक उनकी मृत्यु न हो जाए।

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