Darbhanga news : 19 साल बीत गए रेल लाइन के इतजार में, सकरी-हसनपुर वाया कुशेश्वरस्थान रेल लाइन ठप क्यों?
दरभंगा में सकरी-हसनपुर वाया कुशेश्वरस्थान रेल लाइन का काम 19 साल से अटका हुआ है। भूमि अधिग्रहण के कारण परियोजना में देरी हो रही है। इस वजह से कुशेश्वरस्थान के लोगों को आने-जाने में दिक्कत हो रही है और वे रेल लाइन के शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं।

दरभंगा जिले के बिथान रेलवे स्टेशन। जागरण
संवाद सहयोगी, कुशेश्वरस्थान (दरभंगा) । सकरी-हसनपुर महत्वाकांक्षी रेल परियोजना का काम 19 वर्षों से अधर में है। प्रस्तावित पक्षी विहार के नाम पर हरनगर से कुशेश्वरस्थान होते हुए बिथान तक रेलवे लाइन के निर्माण पर वर्ष 2006 में तत्कालीन डीएफओ ने रोक लगा दी थी। इसके बाद से करीब 18 किलोमीटर के इस महत्वपूर्ण खंड में निर्माण पूरी तरह ठप है।
इससे स्थानीय लोगों में रेलवे और वन व पर्यावरण विभाग के प्रति तीखा आक्रोश है। बताते चलें कि दरभंगा और समस्तीपुर जिले का यह सुदूर इलाका आज भी यातायात के लिहाज से पिछड़ा है। कुशेश्वरस्थान का शिव मंदिर मिथिलांचल का प्रमुख तीर्थ स्थल है, लेकिन अब तक यह रेल संपर्क से वंचित है।
बताते चलें कि 1972 में तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र ने सकरी हसनपुर छोटी रेल लाइन परियोजना का सर्वे कराया था। 22 फरवरी 1974 को हसनपुर में शिलान्यास किया गया, लेकिन उनके निधन के बाद परियोजना फाइलों में दब गई। फिर 1995 में रामविलास पासवान रेल मंत्री बने और उन्होंने इस परियोजना को फिर सक्रिय किया। 1996 में बड़ी रेल लाइन का पुनः शिलान्यास हुआ। बिथान, कुशेश्वरस्थान व बिरौल में स्टेशन निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई।
1998 में एनडीए सरकार में नीतीश कुमार रेल मंत्री बने, तो निर्माण को फिर गति मिली और लगभग 79 किलोमीटर लंबी लाइन पर मिट्टी का अधिकांश काम पूरा हुआ। लेकिन उनके हटते ही काम फिर रुक गया। इसके बाद 2005 में लालू प्रसाद के कार्यकाल में एक बार फिर इस रेलखंड को गति मिली और सकरी हसनपुर के बीच अर्थवर्क लगभग पूरा हो गया। पक्षी विहार के नाम पर तत्कालीन डीएफओ ने वर्ष 2006 में बरारी, लरैल सहित चयनित चौर से होकर लाइन गुजरने पर रोक लगा दी थी। तर्क दिया गया कि इंजन की आवाज प्रवासी पक्षियों के ठहराव में बाधक बनेगी।
पक्षी विहार की अवधारणा हो चुकी है अप्रासंगिक
स्थानीय लोगों का कहना है कि बीते चार वर्षों से इस क्षेत्र में विदेशी पक्षियों का आना लगभग बंद हो चुका है। वर्तमान में चयनित क्षेत्रों में अब बड़े पैमाने पर गेहूं-मक्का की खेती होती है और पक्षी विहार की अवधारणा अप्रासंगिक हो चुकी है। हरनगर से कुशेश्वरस्थान तक पुरानी स्वीकृत लाइन पर लगभग 90 प्रतिशत तक मिट्टीकरण का काम पूरा है।
पुल-पुलिया भी बन चुके हैं। ऐसे में काम पुनः शुरू करने पर मामूली लागत लगेगी। इधर, रेलवे ने हरनगर से कुशेश्वरस्थान तक पुरानी स्वीकृति से नौ किलोमीटर हटकर नई लाइन बनाने की मंजूरी दी है। इससे नई भूमि अधिग्रहण, नया अर्थवर्क और नए पुल-पुलियों के निर्माण पर विभाग को अरबों रुपये की अतिरिक्त खर्च उठानी पड़ेगी।
स्थानीय शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता शंकर कुमार झा, मधुकांत झा मिन्टू, चंद्रशेखर साह, त्रिभुवन कुमार, जीवछ हजारी, जयप्रकाश नारायण पासवान, ललितेश्वर पासवान, अखिलेंद्र कुमार सिंह आदि ने कहा कि पक्षी विहार के नाम पर रेलवे लाइन का निर्माण कार्य पर रोक अब उचित नहीं। इसलिए पूर्व निर्धारित स्थल पर ही रेल लाइन का निर्माण कार्य शुरू किया जाना चाहिए। पूर्व निर्धारित मार्ग पर खर्च कम आएगा और परियोजना जल्दी पूरी होगी। नये मार्ग का प्रस्ताव अव्यावहारिक है और इससे जनता को लाभ मिलने में और वर्षों की देरी हो जाएगी।
अधूरे सकरी हसनपुर रेल परियोजना पर बचे हुए निर्माण कार्य जल्द शुरू हो, इसके लिए हर संभव प्रयास करुंगा। जल्द रेल मंत्री से मिलकर इस मांग को रखेंगे।
अतिरेक कुमार, नवनिर्वाचित विधायक, कुशेश्वरस्थान।
वन विभाग के डीएफओ द्वारा पक्षी विहार के लिए प्रस्तावित क्षेत्र से होकर रेल लाइन का निर्माण करने पर रोक लगा दिए जाने से निर्माण कार्य ठप था। इधर वन विभाग और रेलवे के बीच हुई वार्ता के बाद पूर्व के मार्ग से नौ किलोमीटर दूर हटकर अब रेल लाइन का निर्माण होगा। इसके लिए प्राक्कलन तैयार करने का काम शुरू कर दिया गया है। हरनगर और बिथान के बीच की दूरी बढ़कर 32 किलोमीटर हो जाएगी।
सरस्वती चंद्र, मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी, पूर्व मध्य रेलवे, हाजीपुर।

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