खाद की कालाबाजारी से किसान परेशान, ऊंचे दाम पर बिक रही यूरिया-डीएपी
पताही में रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही खाद का संकट गहरा गया है। किसान खाद की कालाबाजारी और मुनाफाखोरी से परेशान हैं। यूरिया और डीएपी खाद की कमी के कारण किसानों को अपनी फसलें बचाने में मुश्किल हो रही है। वे खाद के लिए दुकानों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं और ऊंचे दामों पर खाद खरीदने को विवश हैं। किसानों ने प्रशासन से कालाबाजारी करने वालों पर कार्रवाई की मांग की है।

खाद की कालाबाजारी
संवाद सहयोगी, पताही। प्रखंड में रबी सीजन की शुरुआत से ही खाद संकट ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यूरिया और डीएपी खाद की कालाबाजारी तथा मुनाफाखोरी ने किसानों को खेत-खलिहान छोड़ दुकानों का चक्कर लगाने की मजबूरी बना दी है।
खेतों में फसल तैयार है, लेकिन खाद के अभाव में किसान खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। पताही के किसान कृष्ण कुमार सिंह, नवीन सिंह, परसौनी के लालू कुमार, बखरी के मुकेश कुमार, पदुमकेर के राजा साह समेत अन्य किसानों ने बताया कि प्रखंड क्षेत्र में खाद की दर्जनों दुकानें हैं।
किसानों को खाद नहीं दे रहे दुकानदार
सभी दुकानों में पर्याप्त मात्रा में यूरिया और डीएपी मौजूद है, लेकिन दुकानदार किसानों को खाद नहीं होने की बात कहकर टहल रहे हैं। किसान आरोप लगाते हैं कि दिन में खाद अनुपलब्ध दिखाया जाता है, जबकि रात के अंधेरे में कालाबाजारी के माध्यम से खाद बेची जा रही है।
किसानों के अनुसार, दुकानदार यूरिया को 370 से 400 रुपये और डीएपी को 1600 से 1700 रुपये प्रति बोरा की दर से बेच रहे हैं। सबसे बड़ी परेशानी यह है कि जरूरत के अनुसार एक-दो बोरा खाद भी नहीं दिए जा रहे, बल्कि दुकानदार अपनी मर्जी से सीमित और मनमानी खुदरा बिक्री कर रहे हैं।
गोदाम खाद से भरे पड़े हैं
किसानों का कहना है कि दुकानदारों के गोदाम खाद से भरे पड़े हैं, लेकिन उन्हें जानबूझकर छिपाकर रखा जा रहा है, ताकि ऊंचे दाम पर गोपनीय तरीके से बेचा जा सके। इससे किसानों में भारी आक्रोश है।
इधर, खाद विक्रेताओं ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी दुकानों में खाद की कोई कमी नहीं है। सभी प्रकार के खाद सरकारी निर्धारित दरों पर ही उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
दुकानदारों का दावा है कि यूरिया 266 रुपये, डीएपी 1350 रुपये और पोटाश 1800 रुपये प्रति बोरा की दर से किसानों को बेची जा रही है। किसानों का कहना है कि खाद संकट ने बुआई और टॉप ड्रेसिंग दोनों पर असर डाला है।
रबी फसल की पैदावार पर प्रभाव
ऐसे में समय पर खाद उपलब्ध नहीं होने से रबी फसल की पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है। किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि खाद दुकानों पर सघन जांच अभियान चलाया जाए तथा कालाबाजारी में शामिल दुकानदारों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
शिकायत के आलोक में संबंधित खाद विक्रेताओं पर कार्रवाई की जाएगी। जिन किसानों से निर्धारित दर से अधिक कीमत ली जाती है, तो वह इसकी शिकायत जरूर करें। दो दिनों में प्रखंड के सभी खाद दुकानों की जांच की जाएगी।- सुजीत कुमार राम, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, पताही।

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