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    गयाजी में बीज उपलब्ध, पर उर्वरक की कालाबाजारी से किसान परेशान; बढ़ रहे हैं यूरिया और डीएपी के दाम

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 07:07 PM (IST)

    गया जिले में रबी फसल की बुआई के साथ किसानों की जरूरतें बढ़ गई हैं। बीज तो आसानी से मिल रहे हैं, लेकिन खाद की कालाबाजारी से किसान परेशान हैं। यूरिया और डीएपी के दाम बाजार में ज्यादा वसूले जा रहे हैं, जिससे किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। अधिकारी कालाबाजारी करने वालों पर कार्रवाई की बात कह रहे हैं।

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    गयाजी में बीज उपलब्ध

    जागरण टीम, गयाजी। जिले में रबी फसल की बोआई का सीजन जोर पर है और इसी के साथ किसानों की आवश्यकताएं भी बढ़ गई हैं। कृषि विभाग ने दावा किया है कि बीज और उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। 

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    किसानों को सरकारी दुकानों और अधिकृत केंद्रों पर बीज सरलता से उपलब्ध कराया जा रहा है। किसान भी विभाग की इस व्यवस्था से संतुष्ट दिख रहे हैं।

    उर्वरक को लेकर किसानों की परेशानी

    लेकिन दूसरी ओर उर्वरक को लेकर किसानों की परेशानी बढ़ती जा रही है। जिले में यूरिया और डीएपी का पर्याप्त भंडारण होने के बावजूद बाजार में इनकी कीमतें नियंत्रित स्तर से अधिक वसूली जा रही हैं। 

    किसानों का आरोप है कि विक्रेता मनमाने दाम पर उर्वरक बेच रहे हैं। जिसके कारण बोआई लागत बढ़ गई है। शहर के किरानी घाट स्थित एक उर्वरक विक्रेता ने पुष्टि करते हुए बताया कि वर्तमान में यूरिया 360 रुपये प्रति बोरा और डीएपी 16 सौ रुपये प्रति बोरा बेचा जा रहा है। 

    वहीं फतेहपुर एवं टनकुप्पा प्रखंड में कुल 73 निबंधित उर्वरक और बीज दुकानें हैं, लेकिन इनमें से कई दुकानों को एफएमएस आईडी नहीं मिलने के कारण संचालन अस्थायी रूप से बाधित है। 

    फतेहपुर में 47 में से 30 दुकानें सक्रिय

    फतेहपुर में 47 में से 30 दुकानें सक्रिय हैं, जबकि टनकुप्पा में 26 दुकानों से उर्वरक और प्रमाणित बीजों की बिक्री जारी है। रबी फसल के मौसम में किसानों को डीएपी के बाद यूरिया की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। सरकारी दर के अनुसार डीएपी का मूल्य 1350 रुपये प्रति बोरी निर्धारित है, लेकिन किसानों का आरोप है कि बाजार में यह 15 सौ से 16 सौ रुपये तक में बेचा जा रहा है। 

    दुकानदारों का कहना है कि कंपनियां उर्वरक के साथ फास्फेट, जिंक, पोटाश जैसी पौष्टिक किट देती हैं, जिसे जोड़कर मूल्य बढ़ जाता है। किसान विनय यादव और महेंद्र यादव ने बताया कि फतेहपुर प्रखंड में बिस्कोमान का गोदाम नहीं होने से उन्हें खुदरा दुकानों से ही उर्वरक खरीदना पड़ता है। जबकि टनकुप्पा में बिस्कोमान का एक गोदाम है। 

    जहां किसानों को सरकारी दर पर उर्वरक उपलब्ध कराया जाता है। किसानों का कहना है कि सरकारी गोदाम फतेहपुर में भी खोला जाए, ताकि किसानों का आर्थिक बोझ कम हो सके। 

    सरकार द्वारा यूरिया 266.50 रुपये प्रति बोरा 

    उधर, प्रखंड कृषि पदाधिकारी टनकुप्पा सोमेश्वर मेहता और फतेहपुर बीएओ दिलीप रजक ने बताया कि विभागीय आदेश के अनुसार दुकानों की समय-समय पर जांच की जाती है। यदि किसी दुकानदार द्वारा अधिक दर पर उर्वरक बेचने की शिकायत मिलती है तो जांच के बाद कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 

    वहीं गुरुआ प्रखंड क्षेत्र के गुरुआ, सगाही और भरौधा बाजार में स्थित करीब दो दर्जन उर्वरक दुकानों पर किसानों से मनमाने दाम वसूलने का आरोप लगा है। सरकार द्वारा यूरिया 266.50 रुपये प्रति बोरा तथा डीएपी 1350 से 1550 रुपये प्रति बैग निर्धारित है।

    लेकिन दुकानदार किसानों को यूरिया 350 रुपये और डीएपी 17 सौ रुपये प्रति बोरा में बेच रहे हैं। इससे किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है। किसान रामनरेश सिंह और ललन सिंह ने बताया कि गुरुआ क्षेत्र के लगभग सभी दुकानदार अधिक कीमत लेकर ही खाद बिक्री किया जा रहा है। 

    इस संबंध में प्रखंड कृषि पदाधिकारी अमित भारती ने कहा कि यदि जांच में कालाबाजारी की पुष्टि होती है तो संबंधित दुकानदारों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। किसानों से अपील की कि वे निर्धारित मूल्य से अधिक भुगतान की स्थिति में इसकी सूचना विभाग को दें।