20 हजार की आबादी, एक भी नल-जल चालू नहीं, करोड़ों खर्च फिर भी पानी को तरस रहे केवला पंचायत के लोग
गया जिले के मोहनपुर प्रखंड की केवला पंचायत में नल-जल योजना पूरी तरह विफल हो गई है। 20 हजार से अधिक आबादी वाले इस पंचायत के किसी भी वार्ड में नल-जल योजना चालू नहीं है, जिससे ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने सरकार से योजना को दुरुस्त करने की मांग की है ताकि पेयजल संकट से बचा जा सके।

एक भी नल-जल चालू नहीं
संवाद सूत्र, मोहनपुर (गया)। सरकार भले ही हर घर नल-जल पहुंचाने का दावा कर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा रही हो, लेकिन मोहनपुर प्रखंड की ग्राम पंचायत केवला में यह योजना पूरी तरह फेल साबित हो रही है।
20 हजार से अधिक आबादी वाले इस बड़ी पंचायत में 13 वार्ड हैं, लेकिन एक भी वार्ड में नल-जल योजना चालू नहीं है। स्थिति इतनी भयावह है कि ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल मिलना तो दूर, पीने योग्य पानी के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
चरम पर पानी का संकट
पंचायत के दो दर्जन से अधिक टोले ऐसे हैं जहां पानी का संकट अपनी चरम सीमा पर है। विशेष रूप से चीतांगढ़ा, दर्जियाटोला, कुशाटाड़, ईमलियांटाड़, लरहिया, कोबाईखूद जैसे टोले पानी के लिए सबसे अधिक त्राहिमाम की स्थिति झेल रहे हैं। इन इलाकों में न टंकी चालू है, न मोटर लगी है, और कई जगह तो पाइपलाइन तक नहीं बिछी गई।
तीन वार्ड में कुछ समय के लिए सप्लाई चालू
पंचायत मुखिया अरविंद सिंह यादव बताते हैं कि विभाग को कई बार लिखित शिकायत दी गई है, लेकिन समस्या का कोई हल नहीं निकला। उन्होंने कहा कि “गर्मी के मौसम में जब अखबार में खबर छपी तब विभाग ने औपचारिकता निभाते हुए तीन वार्ड में कुछ समय के लिए सप्लाई चालू की, परंतु बाद में फिर वही पुरानी स्थिति—सबकुछ बंद।”
ग्रामीणों में इस योजना को लेकर भारी नाराजगी है। सुदर्शन प्रसाद, सुखदेव यादव, मोहन मांझी, करी देवी सहित कई लोगों ने कहा कि नल-जल योजना सरकार की “दिखावा योजना” बनकर रह गई है।
ग्रामीणों के शब्दों में कहें तो टंकी दिखती है, पानी नहीं आता।घर-घर नल का दावा है, पर पाइपलाइन ही नहीं।”करोड़ों खर्च हुए, पर एक गिलास शुद्ध पानी तक नहीं मिला।
चार-पांच किलोमीटर दूर से पानी ढोने को मजबूर
कई टोलों में आज तक कनेक्शन ही नहीं दिया गया। पानी का संकट इतना बढ़ गया है कि लोग चार-पांच किलोमीटर दूर से पानी ढोने को मजबूर हैं। यह स्थिति 20 हजार की आबादी वाले पंचायत के सम्मान और अधिकार दोनों पर प्रश्नचिह्न लगाती है।
वार्ड नंबर 3 के खाप गांव के ग्रामीणों ने बताया कि पहले यहां सप्लाई चालू थी, लेकिन पीएचईडी विभाग के कर्मियों और ऑपरेटर के बीच विवाद के बाद इसे बंद कर दिया गया। इस वजह से खाप गांव भी अब भारी संकट में है।
इस संबंध में पीएचईडी विभाग के एसडीओ ने स्वीकार किया कि केवला पंचायत के कई वार्डों में नल-जल योजना ठप है। उन्होंने कहा कि “जहां पाइपलाइन नहीं बिछी है, वहां के लिए टेंडर हो चुका है। जहां बोरिंग फेल हैं, वहां नई मशीन लगाई जाएगी।” हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि विभाग की यह बातें केवल आश्वासन भर हैं, क्योंकि पिछले वर्ष भी यही वादा किया गया था, परंतु आज तक कार्य नहीं दिखा।
20 हजार लोग आज भी पानी को तरस रहे
सरकार जहां नल-जल योजना को अपनी उपलब्धि गिनाती है, वहीं केवला पंचायत का जमीनी सच विभागीय लापरवाही, भ्रष्टाचार और उपेक्षा का खुला प्रमाण है। 20 हजार लोग आज भी पानी को तरस रहे हैं, यह सवाल करता है कि आखिर करोड़ों की योजना का लाभ कहां जा रहा है?
ग्रामीणों ने मांग की है कि सरकार और विभाग तुरंत सक्रिय होकर नल-जल योजना को दुरुस्त करे, वरना आने वाले समय में पेयजल संकट भयावह रूप ले सकता है और लोग गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझने को मजबूर हो जाएंगे।
हमें सिर्फ आश्वासन नहीं, पानी चाहिए ग्रामीणों की यही पुकार अब सरकार और अधिकारियों से जवाब मांग रही है।

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