Gopalganj News: चक्रवाती तूफान से तबाह हुई धान की फसल, अब रवि और तिलहन पर संकट के बादल
कुचायकोट प्रखंड में चक्रवाती तूफान और भारी बारिश से धान की फसल तबाह हो गई है। खेतों में पानी भरने से रबी और तिलहन की बुवाई पर भी संकट आ गया है। कई गांवों के खेत तालाब बन गए हैं, जल निकासी बाधित होने से स्थिति गंभीर है। किसान सरकार से राहत और मुआवजे की उम्मीद कर रहे हैं ताकि वे दोबारा खेती कर सकें।

चक्रवाती तूफान से तबाह हुई धान की फसल
मनोज कुमार राय, कुचायकोट (गोपालगंज)। कुचायकोट प्रखंड समेत आसपास के क्षेत्रों में चक्रवाती तूफान और भारी वर्षा से किसान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। बड़े रकबे में धान की फसल पूरा जलमग्न हो गई है। खेतों में अभी भी डेढ़ से दो फीट तक पानी जमा है, जिससे न केवल तैयार धान की फसल नष्ट हो रही है, बल्कि आगामी रवि और तिलहन फसलों की बुवाई पर भी संकट मंडरा रहा है।
प्रखंड के बनकटा, बड़हरा, संगवाडीह, सेमरा सहित दर्जनों गांवों के खेत तालाब जैसे हो गए हैं। तिवारी मटिहिनिया, दुर्गा मटिहिनिया, टोला सिपाया, सिसवा और आसपास के इलाकों में स्थिति गंभीर बनी हुई है। लगभग डेढ़ दर्जन पंचायतों के सौ से अधिक गांवों में धान की फसल पानी में डूबी पड़ी है।
किसानों का कहना है कि पहले गांवों और खेतों के बीच पुल-पुलिया, नाले और निकासी के रास्ते बने थे, लेकिन अवैध कब्जा और अतिक्रमण के कारण जल निकासी बाधित हो गई। परिणामस्वरूप 3 और 4 अक्टूबर की भारी बारिश के बाद खेतों में पानी भर गया।
पट्टी चक्कर गोपी गांव निवासी राजेश भगत, श्रीराम कुशवाहा और छोटे यादव ने बताया कि घरों में पानी भर गया था और लोगों ने सड़क काटकर आंशिक निकासी की, लेकिन खेतों में अब भी दो से ढाई फीट तक पानी जमा है।
तिवारी मटिहिनिया पंचायत के किसानों का कहना है कि जिन खेतों में धान की फसल डूब चुकी है, वहां रबी की बुवाई अब संभव नहीं दिख रही।
सिसवा पंचायत के करमैनी मोहब्बत गांव निवासी विपुल सिंह और धीरज कुमार ने बताया कि सैकड़ों एकड़ धान की फसल पानी में डूबी होने के कारण कटाई असंभव हो गई है।
कुल मिलाकर, चक्रवाती तूफान ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। किसान अब सरकार की राहत और मुआवजे की घोषणा की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं, ताकि वे फिर से खेती की तैयारी कर सकें।
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