शिक्षा विभाग के DPO को शो-कॉज नोटिस जारी, लगातार अनुपस्थित रहने पर मांगा स्पष्टीकरण
गोपालगंज में, जिला अपीलीय प्राधिकरण ने शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी मो. साहेब आलम को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उच्च न्यायालय के आदेशों से जुड़े मामलों पर चर्चा के लिए बार-बार बुलाने पर भी उनकी अनुपस्थिति को गंभीर चूक माना गया है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया बाधित हुई। प्राधिकरण ने पूछा है कि इतनी लापरवाही के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए, और उन्हें 3 दिसंबर को उपस्थित होने का निर्देश दिया है।

DPO (स्थापना) को शो-कॉज नोटिस जारी
जागरण संवाददाता, गोपालगंज। जिला अपीलीय प्राधिकरण, गोपालगंज ने शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) मो. साहेब आलम पर सख्त कार्रवाई के संकेत देते हुए उन्हें कारण-बताओ (शो-कॉज) नोटिस जारी कर दिया है।
हाई कोर्ट के आदेशों से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा के लिए कई बार बुलाने के बावजूद अधिकारी की लगातार अनुपस्थिति को प्राधिकरण ने गंभीर प्रशासनिक चूक माना है।
न्यायिक प्रक्रिया बाधित करने का मामला
प्राधिकरण द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि माननीय पटना उच्च न्यायालय के आदेशों से संबंधित महत्वपूर्ण रिट याचिकाओं पर सुनवाई और दिशा-निर्देश के लिए अधिकारी को बार-बार निर्देशित किया गया था, लेकिन वे हर बार अनुपस्थित रहे। इस वजह से कई संवेदनशील मामलों की सुनवाई लंबित है और न्यायिक प्रक्रिया बाधित हो रही है।
जिला अपीलीय प्राधिकरण के अध्यक्ष ओमप्रकाश ने नोटिस में पूछा है कि इतनी गंभीर उपेक्षा के लिए अधिकारी के विरुद्ध दंडात्मक या जबरन कार्रवाई क्यों न की जाए। नोटिस में यह भी उल्लेख है कि संबंधित मामलों को उनकी गैर-हाजिरी के कारण अनावश्यक रूप से लंबित रखना न्यायहित के विरुद्ध है।
नोटिस के अनुसार, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को आगामी तीन दिसंबर को दोपहर दो बजे से चार बजे के बीच अनिवार्य रूप से प्राधिकरण के समक्ष उपस्थित होना होगा। साथ ही उन्हें निर्देश दिया गया है कि जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) को इस बारे में अवगत कराते हुए उपस्थित होने के लिए अनुरोध करें।
अधिकारी का अनुपस्थित रहना अत्यंत गंभीर
विभागीय सूत्रों का कहना है कि उच्च न्यायालय से जुड़े प्रकरणों में किसी अधिकारी का अनुपस्थित रहना अत्यंत गंभीर माना जाता है। यदि अधिकारी इस पर संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं प्रस्तुत करते, तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई या कठोर दंडात्मक कदम उठाए जा सकते हैं।
स्थानीय प्रशासनिक हलकों में इस नोटिस ने व्यापक चर्चा छेड़ दी है। कई अधिकारी इसे जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बता रहे हैं। अब सबकी निगाहें तीन दिसंबर की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि अधिकारी का जवाब संतोषजनक माना जाएगा या उनके विरुद्ध आगे की कार्रवाई शुरू होगी।

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