Arwal News: बिहार के अरवल में तिलकुट का बड़ा बाजार, मजदूरों को मिल रहा रोजगार
अरवल में तिलकुट का बाजार बढ़ रहा है, जिससे स्थानीय मजदूरों को रोजगार मिल रहा है। तिलकुट उत्पादन अरवल की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहा है और मजदूरों के जीवन स्तर में सुधार हो रहा है। यह उद्योग स्थानीय लोगों के लिए आय का एक स्थिर स्रोत बन गया है।

जागरण संवाददाता, अरवल। ठंड के मौसम में तिलकुट की सोंधी खुशबू व ग्राहकों की भीड़ से जिले की तिलकुट मंडियां गुलजार हो रही हैं। यहां का तिलकुट औरंगाबाद और आरा जिले के बाजार तक पहुंच रहा है। शहर के जहानाबाद रोड में पिछले दस-पंद्रह दिनों से रात-दिन बड़े पैमाने पर तिलकुट कूटने का काम चल रहा है।
कई वर्षों से इस व्यवसाय से जुड़े कारोबारी चंदन कुमार का कहना है कि पहले तिलकुट गया आदि अन्य स्थानों से मंगाकर बेचा जाता था जो महंगा पड़ता था, लेकिन अब उससे भी अच्छी क्वालिटी की तिलकुट स्थानीय स्तर पर कुशल कारीगरों से बनाने के कारण जहां इसे अपेक्षाकृत सस्ते दरों पर बेच पाना संभव हो पाता है। वहीं, इससे मुनाफा भी ठीकठाक हो जाता है। दो दर्जन से अधिक मजदूर अभी काम कर रहे हैं। अगले महीने दुकान पर तिलकुट कुटने के लिए 50 मजदूर लगेंगे।
नवंबर से ही तिलकुट का बाजार हो जाता है तेज
कारोबारियों ने बताया कि तिलकुट बनाने का काम कायदे से मध्य नवंबर से ही शुरू हो जाता है। कारीगरों और मजदूरों से विभिन्न प्रकार के तिलकुट का निर्माण कराया जा रहा है। औसतन हर दिन यहां पांच क्विंटल से अधिक तिलकुट का निर्माण हो रहा है। साधारण तिलकुट के साथ ही खोवा भरे तिलकुट की बिक्री जमकर हो रही है। इसके अलावा तिल पापड़ी की भी खासी डिमांड रहती है।
कई किस्म के उपलब्ध हैं तिलकुट
यहां के बाजार में हर किस्म के तिलकुट उपलब्ध हैं। इनकी किस्मों के हिसाब से इनके अलग-अलग दाम भी हैं। चालू तिलकुट 220 रुपये, स्पेशल तिलकुट 300 रुपये एवं खोवा का तिलकुट 400 रुपये प्रति किलो तक की दर पर मिल रहे हैं। तिलकुट की इस बढ़ती पूछ के कारण तिलकुट के व्यापार का क्षेत्र व्यापक होता जा रहा है। इस कारोबार से हजारों मजदूरों को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है।

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