बच्चे को लेकर लाचार हुआ हाथियों का झुंड, पिपरा जंगल में ली शरण; किसानों को मिलेगा मुआवजा
22 हाथियों का झुंड सोमवार रात से पिपरा के घने जंगलों में शरण लिए हुए है। ग्रामीणों के अनुसार, झुंड में शामिल हाथी का एक बच्चा चलने-फिरने में असमर्थ है, जिस कारण पूरा झुंड आगे नहीं बढ़ पा रहा है। वन विभाग उनकी निगरानी कर रहा है। किसानों को हुए नुकसान के लिए मुआवजा दिया जाएगा।

पिपरा जंगल में हाथियों का झुंड। फोटो जागरण
संवाद सूत्र, चंद्रमंडी(जमुई)। चकाई प्रखंड के जंगलों में पिछले चार दिनों से विचरण कर रहा 22 हाथियों का झुंड सोमवार रात बामदह पंचायत अंतर्गत पिपरा के घने जंगलों में शरण लिए हुए है। स्थानीय लोगों के अनुसार, झुंड में शामिल एक बच्चा हाथी चलने-फिरने में असमर्थ दिख रहा है, जिस कारण पूरा झुंड आगे नहीं बढ़ पा रहा है।
ग्रामीणों ने बताया कि दो दिन पूर्व भी बड़े हाथियों को उस शावक को ऊंचे-नीचे स्थानों पर धकेलते व आगे खींचते देखा गया था, तभी से अनुमान लगाया जा रहा है कि घायल या कमजोर शावक के कारण झुंड की गति धीमी है। उम्मीद है कि कुछ आराम के बाद झुंड आगे जंगलों की ओर बढ़ेगा।
सोमवार की सुबह बेरबारी मनाकोला के समीप हाथियों को देखने हजारों लोगों की भीड़ जुट गई थी, जिसके बाद उन्हें खदेड़कर दोबघाट झरना मार्ग से चिहरा-बेहरा के जंगलों की ओर भेजा गया। इसके बाद हाथियों ने पिपरा जंगल में डेरा जमा लिया। यह स्थान झुमराज स्थल के काफी नजदीक बताया जा रहा है।
पिपरा जंगल में झुंड के रुकने से वन विभाग और स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है। सोमवार की रात से मंगलवार देर शाम तक हाथियों का समूह एक ही स्थान पर जमाव किए हुए है।
वन कर्मियों ने बताया कि यह झुंड अपने समूह के दो अन्य हाथियों का भी इंतजार कर रहा है, जो फिलहाल झारखंड के गिरिडीह जिला अंतर्गत बिरनी के जंगलों में विचरण कर रहे हैं।
इधर, रेंजर रागिनी सिंह ने कहा कि वन विभाग पूरी सतर्कता के साथ झुंड की गतिविधियों पर नजर रख रहा है और उन्हें सुरक्षित रूप से झारखंड के घने जंगलों की ओर भेजने की तैयारी की जा रही है।
पीड़ित किसानों को मिलेगा मुआवजा
चकाई प्रखंड में पिछले चार दिनों से हाथियों के झुंड द्वारा फसलों को पहुंचाए गए नुकसान को लेकर वन विभाग और अंचल प्रशासन दोनों गंभीर है। मंगलवार को बड़ी संख्या में किसान मुआवजे की मांग को लेकर आवेदन लेकर अंचल कार्यालय पहुंचे और अंचलाधिकारी राजकिशोर साह से मुलाकात की।
अंचलाधिकारी ने किसानों को बताया कि मुआवजे के लिए आवेदन वन विभाग कार्यालय में जमा करना होगा, क्योंकि वन अधिनियम के तहत हुए नुकसान का आकलन कर वन विभाग ही मुआवजा प्रदान करता है। उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार द्वारा इसके लिए आवश्यक प्रविधान किए गए हैं।
अंचलाधिकारी ने लोगों से अपील की कि हाथियों के झुंड से दूरी बनाए रखें तथा सतर्क रहें, ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो। ज्ञात हो कि हाथियों के झुंड ने धान, अरहर, आलू, केला सहित विभिन्न सब्जियों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। इसके अलावा कई घरों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया है, जिससे ग्रामीणों में भय और आक्रोश दोनों व्याप्त है।

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