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    कभी कांग्रेस का होता था बोलबाला, आज टिकट को भी मोहताज

    Updated: Wed, 22 Oct 2025 01:59 PM (IST)

    कैमूर जिले में कांग्रेस पार्टी की स्थिति कमजोर हो गई है। कभी यहाँ कांग्रेस का बोलबाला था, लेकिन अब उसे टिकट के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। महागठबंधन में फूट की चर्चा के बीच कांग्रेस को किसी भी सीट पर उम्मीदवार उतारने का मौका नहीं मिला। कार्यकर्ताओं में नाराजगी है क्योंकि पार्टी का यहाँ कोई खास प्रभाव नहीं रहा।

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    कभी कांग्रेस का होता था बोलबाला

    जागरण संवाददाता, भभुआ। जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों के लिए नामांकन की प्रक्रिया संपन्न हो गई। अब संवीक्षा का कार्य भी लगभग पूरा हो चुका है, 23 अक्टूबर गुरुवार को नाम वापसी की तिथि है। नामांकन के दौरान महागठबंधन में फूट की चर्चा होने पर यह संभावना थी कि जिले के किसी एक सीट पर कांग्रेस भी अपना प्रत्याशी उतार सकती है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। 

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    जबकि चैनपुर में वीआईपी ने प्रत्याशी उतारा है। यहां राजद का प्रत्याशी भी है। जबकि चैनपुर विधानसभा सीट पिछले 2020 के चुनाव में कांग्रेस के पास थी। इस बार यह सीट भी कांग्रेस से छीन गई। इसके अलावे यहां भभुआ, मोहनियां व रामगढ़ भी राजद के ही पास है। 

    टिकट को लेकर भभुआ विस सीट कांग्रेस के हिस्से में जाने की चर्चा बड़ी तेज थी, लेकिन भभुआ में भी राजद ने ही प्रत्याशी दिया। जबकि जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों में कभी कांग्रेस का बोलबाला था। लेकिन आज एक टिकट के लिए भी पार्टी मोहताज हो गई है। 

    अब यहां कांग्रेस में बगावत निश्चित है, कई नेता अपने पद से शीघ्र इस्तीफा देने का मूड बना लिए हैं।

    जिले के हर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को मिली है जीत

    जिले के चारों विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को कई बार जीत मिली है। भभुआ में कांग्रेस ने छह बार, मोहनियां में सात बार, रामगढ़ में तीन बार व चैनपुर में पांच बार कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। वर्ष 1952 के चुनाव में चारों विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। 

    इसके बाद 1957 में चैनपुर व मोहनियां में कांग्रेस ने जीत दर्ज की। पुन: 1962 में चारों सीट पर कांग्रेस को जीत मिली। 1967 में मोहनियां, चैनपुर व भभुआ में कांग्रेस आई । 1972 में भभुआ व मोहनियां, 1980 में भभुआ, मोहनियां व रामगढ़ में, 1985 में चैनपुर व मोहनियां, 1990 में भभुआ में कांग्रेस को जीत मिली। 

    इसके बाद जिले में कांग्रेस की स्थिति कमजोर हुई जो आज तक मजबूत नहीं हो सकी। इसके बाद अब तक कभी कांग्रेस को जिले की किसी विधानसभा सीट पर जीत नहीं मिली। बता दें कि कांग्रेस की कई बार जीत होने के चलते कभी कैमूर जिला कांग्रेस का गढ़ माना जाता था । 

    लेकिन अब उसी कांग्रेस पार्टी को चुनावी मैदान में अपनी जगह बनाने के लिए सोचना पड़ रहा है। बता दें कि कैमूर जिले में मोहनियां एक मात्र सुरक्षित सीट है। जिले में भभुआ, मोहनियां व चैनपुर सासाराम संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। जबकि रामगढ़ विधानसभा बक्सर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है।

    लोकसभा से कांग्रेस पार्टी के हैं सांसद

    कैमूर जिला में भले ही कांग्रेस को टिकट नहीं मिला, लेकिन जिस सासाराम संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत कैमूर जिले की तीन विधानसभा सीट आती है वहां के सांसद कांग्रेस के ही हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में ही कैमूर जिले के पड़ोसी रोहतास व बक्सर जिले में कुछ विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस ने प्रत्याशी उतारा है। ऐसे में कैमूर जिले में कांग्रेस को टिकट नहीं मिलने से यहां के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में काफी नाराजगी है। यही नहीं कांग्रेस के समर्थक भी इस बात से नाराज है कि जब पार्टी का यहां अस्तित्व ही नहीं तो उसका कार्यकर्ता रहना कोई उचित नहीं है।