कैमूर में किशोरों और बच्चों में बढ़ रही नशे की लत, 'सनफिक्स' सूंघने का चलन खतरनाक
कैमूर में किशोरों और बच्चों में नशे की लत बढ़ती जा रही है, जो चिंता का विषय है। बच्चे सनफिक्स जैसे पदार्थों का सेवन कर रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा है। विद्यालयों के सामने नशीली चीजें आसानी से उपलब्ध हैं, और अभिभावक इस समस्या के प्रति उदासीन हैं। इस लत से बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है, जिससे कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।

कैमूर में किशोरों और बच्चों में बढ़ रही नशे की लत
संवाद सूत्र, रामपुर(कैमूर)। समाज तथा राष्ट्र के पुनर्निर्माण में किशोर तथा नौनिहालों का महत्वपूर्ण योगदान है। यदि आज धरातल पर उनके अस्तित्व को हम नहीं सहेजे तो उन्हें भविष्य का कर्णधार कैसे कह सकते हैं। उचित और अनुकूल संरक्षण के द्वारा ही इन्हें सुदृढ़ बनाया जा सकता है।
लेकिन यदि उचित एवं अनुकूल संरक्षण के अभाव में छोटी सी उम्र से ही नशा की लत में पड़ जाए तो ये राष्ट्र निर्माण के वाहक न रहकर विध्वंस और अव्यवस्था के प्रतीक बनकर रह जाएंगे।
विद्यालयों के सामने पान-गुटखा के दुकान
प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों किशोरों को कौन कहे छोटे-छोटे बच्चों में भी नशे की लत चिंता का विषय बनता जा रहा है। छोटे-छोटे ये बच्चे भी मादक पदार्थो के आदी होते जा रहे हैं। विद्यालयों के सामने खुली पान-चाय की दुकानों पर उपलब्ध गुटखा, गांजा, भांग इत्यादि वस्तुएं जहां इसे खुलेआम बढ़ावा दे रही है।
वहीं अध्यापकों के साथ-साथ अभिभावक भी इस ओर उदासीन बने हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों बच्चे नशे के लिए एक नई तरकीब अपनाते देखे जा रहे हैं। वे नशे के लिए बाजार में सर्वथा उपलब्ध सनफिक्स, बांडफिक्स इत्यादि के धड़ल्ले से उपयोग करते देखे जा रहे हैं।
सनफिक्स का सेवन कर रहे बच्चे
कई बच्चे इस सनफिक्स के इस कदर आदि हो चुके हैं कि वे दिन भर में कई बार सेवन कर रहें हैं। नशे के रूप में सनफिक्स का प्रयोग कर रहे एक आठ वर्षीय बच्चे से पूछने पर बताया कि इसे सूंघने से काफी आनंद मिलता है।
यदि इसे न सूंघे तो शरीर में अकड़न सी हो जाती है। जबकि स्थानीय बाजार में इन दिनों कई दुकानदार बच्चों को मांगने पर भी ऐसी चीज देने से परहेज कर रहे हैं।
बहाना बनाकर खरीदते हैं बच्चे
एक दुकानदार ने पूछने पर बताया कि हम क्या करें ये बच्चे टोली बनाकर बारी-बारी से बहाना बनाकर पहुंच जाते हैं। लिहाजा देना मजबूरी बन जाती है। दूसरी तरफ पान दुकानदारों पर कोई प्रतिबंध ने होने से छोटे-छोटे बच्चों को भी गुटखे एवं नशीली सामग्रियां खुलेआम परोसी जा रही है।
गुटखा का प्रचलन तो इस कदर फैशन बन चुका है कि छात्र तो छात्र अध्यापक को भी इससे परहेज नहीं है और विद्यालय अवधि में भी इसका धड़ल्ले प्रयोग होता है।
छोटी सी नाजुक उम्र में बच्चों को यूं नशे की लत में पड़ जाना उनके स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से भी काफी खतरनाक है। लगातार प्रयोग से जहां मुंह का कैंसर होने की संभावना है, वहीं सनफिक्स के प्रयोग से फेफड़े संबंधी बीमारी भी हो सकती है।

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