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    Bhai Dooj Shubh Muhurat: यमराज और यमुना का भाई दूज, इस कथा के बिना अधूरा है Bhai Dooj 2025, शुभ मुहूर्त, तिलक, पूजा विधि

    By Sagar Kumar Chandra Edited By: Alok Shahi
    Updated: Thu, 23 Oct 2025 12:55 PM (IST)

    Bhai Dooj Shubh Muhurat: : भाई दूज भाई-बहन के प्रेम का त्योहार है, जो कार्तिक मास की द्वितीया को मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। भाई भी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं। माना जाता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे, जिससे इस पर्व की शुरुआत हुई।

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    Bhai Dooj 2025 Wishes: भाई दूज कार्तिक मास की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।

    संवाद सहयोगी, किशनगंज। Bhai Dooj 2025 Wishes भाई दूज का पर्व हर भाई-बहन के लिए बेहद खास होता है। इस बार भाई दूज का पर्व गुरुवार को मनाया जाएगा। यह त्योहार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है इसे भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है। यह पर्व भाई और बहन के बीच स्नेह, विश्वास और प्रेम को मजबूत करने का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करके उनकी लंबी उम्र, सुख, समृद्धि और जीवन में खुशहाली की कामना करती हैं। भाई अपनी ओर से बहनों को उपहार देकर उनके प्रति अपनी स्नेह और जीवन रक्षा का वचन देते हैं।

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    रक्षाबंधन की तरह ही यह त्योहार भी भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती हैं। विवाहित बहनें अपने भाइयों को घर आमंत्रित करती हैं, उन्हें सूखा नारियल भेंट करती हैं और स्नेहपूर्वक भोजन कराती हैं। ऐसा माना जाता है कि भाई दूज के दिन बहन के घर जाकर भोजन करने से भाई की आयु बढ़ती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस पावन पर्व को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।

    पौराणिक कथा के अनुसार, भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर पधारे थे। इसी घटना से भाई दूज या यम द्वितीया मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई। सूर्यपुत्र यम और यमुना भाई-बहन थे। यमुना ने कई बार अपने भाई को घर आने के लिए आमंत्रित किया, और एक दिन यमराज उसके घर पहुंचे। यमुना ने उनका स्नेहपूर्वक स्वागत किया, उन्हें भोजन कराया और तिलक लगाकर उनके सुखमय जीवन की कामना की। विदा लेते समय जब यमराज ने बहन यमुना को वरदान मांगने के लिए कहा, तो उसने कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे घर अवश्य आएं और जो बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करे, उसे कभी आपका भय न हो।