किशनगंज में नेपाली बेटियों को सता रही मायके की टेंशन! नमक-रोटी के सहारे कट रही है जिंदगी
किशनगंज से खबर है कि नेपाल में हो रही हिंसा के कारण भारत में ब्याही नेपाली बेटियां अपने परिजनों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। सीमावर्ती इलाकों में सैकड़ों नेपाली महिलाओं की शादी हुई है और वे लगातार अपने परिवार के सदस्यों से संपर्क करने की कोशिश कर रही हैं। आंदोलन के कारण दुकानें बंद हैं और लोगों को राशन की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।

सुभजीत शेखर, किशनगंज। नेपाल में हुई हिंसा से भारत में रह रही नेपाल की बेटियों को अपने स्वजनों की चिंता सता रही है। इस इलाके में नेपाल के सैकड़ों बेटियों की शादियां हुई है।
नेपाल की बेटियां बहू बनकर जिले में रह रही है। ऐसे में उनके मायके नेपाल के हिंसा को लेकर जो स्थिति है उससे काफी परेशान और चिंतित है। मोबाइल के माध्यम से अपने स्वजनों से संपर्क कर सुरक्षित रहने की बात सिर्फ पूछ रही है।
किशनगंज जिले के ठाकुरगंज, दिघलबैंक और टेढ़ागाछ प्रखंड के लगभग 80 किमी क्षेत्र में 65 से अधिक गांव नेपाल सीमा से सटे होने की वजह से नेपाल के साथ रोटी और बेटी का रिश्ता है। जिस वजह से सीमावर्ती क्षेत्र के काम करने नेपाल जाते हैं तो वहीं, नेपाल की बेटियों की शादी भारत में की जाती है।
नेपाल की मौजूदा स्थिति को देखकर भारत में रह रही नेपाल के सैकड़ो बेटियां परेशान है। दिघलबैंक सीमावर्ती क्षेत्र की कई नेपाल की बेटियों ने बात करने पर बताया कि बीते दो दिनों तक तो उनके मायके से संपर्क नहीं हो पाया लेकिन किसी तरह फोन पर संपर्क साधने पर पता चला कि वहां की हालत काफी दयनीय है।
आंदोलन की वजह से सभी दुकान बंद हैं। लोग घरों में दुबके हैं। किसी तरह नमक व रोटी खाकर चार दिनों से लोग रहे हैं। स्वीटी अग्रवाल ने कहा कि नेपाल में हुई हिंसा की वजह से स्वजनों की चिंता हो रही है।
राशन हो चुका है समाप्त
मधु ने कहा कि नेपाल में उनके मायके में रखें राशन भी समाप्त हो गया है। सब्जियां मिल नहीं रही है। घर के खेतों में उगाई गए सब्जियों से ही दिन गुजारना पड़ रहा है।
अनीता ने बताया कि नेपाल में मायके रहने के कारण वहां का हालचाल रोज जानने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार से गुस्सा का असर दिख रहा है। अब उनलोगों का परिवार सुरक्षित रहे यही कामना करते हैं।
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