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    Nepal Gen-Z Protest: नेपाल की चमक में लगा 'ग्रहण', पर्यटन उद्योग चौपट; हिंसक आंदोलन से गहराया संकट

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 03:05 PM (IST)

    नेपाल में जेनरेशन जेड आंदोलन ने पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान पहुंचाया है। हिंसा के कारण सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। विदेशी सैलानियों में भय का माहौल है और अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा है। पर्यटन उद्योग को पटरी पर लाने में कई साल लग सकते हैं।

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    नेपाल की चमक में लगा 'ग्रहण', पर्यटन उद्योग चौपट; हिंसक आंदोलन से गहराया संकट

    बीरबल महतो, ठाकुरगंज (किशनगंज)। हिमालय की गोद में बसा नेपाल आज गहरे संकट से जूझ रहा है। प्राकृतिक सौंदर्य, बर्फ से ढकी पर्वत चोटियां, रोमांचक ट्रैकिंग मार्ग, बौद्ध और हिन्दू धार्मिक स्थल आदि के कारण यह देश वर्षों तक विदेशी सैलानियों की पहली पसंद रहा, लेकिन पिछले तीन दिनों में भड़के जेनरेशन जेड आंदोलन (Nepal Gen-Z Protest) की हिंसा ने नेपाल की छवि को गहरी चोट पहुंचाई है। देश में कानून और संविधान की धज्जियां उड़ गई हैं और पूरा नेपाल ही जलता हुआ नजर आ रहा है।

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    तीन दिनों की हिंसा ने किया सबकुछ तहस-नहस

    पिछले तीन दिनों से चल रहे आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने सुनियोजित तरीके से सरकारी संपत्तियों को निशाना बनाया। सुप्रीम कोर्ट, नगरपालिका भवन, भंसार कार्यालय, सुरक्षा एजेंसियों के दफ्तर और कई सरकारी इमारतें, शापिंग माल को आग के हवाले कर दी गईं। राजधानी काठमांडू से लेकर सीमावर्ती क्षेत्रों तक हिंसा और आगजनी ने आम जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है।

    पर्यटन उद्योग, जो नेपाल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है, इस अराजकता की वजह से पूरी तरह ठप हो गया है। होटल, ट्रैवल एजेंसियां और टूर आपरेटर अपने कारोबार बंद हो गए हैं। लाखों लोग बेरोजगारी की कगार पर पहुंच गए हैं।

    आंदोलन और हिंसा की खबरें वैश्विक मीडिया में सुर्खियों में आने के बाद विदेशी सैलानियों में भय का माहौल है। पर्यटकों ने काठमांडू, पोखरा और एवओस्ट बेस कैंप जैसे लोकप्रिय स्थलों की यात्राएं रद कर दी हैं।

    अर्थव्यवस्था को लगा झटका

    नेपाल की जीडीपी में पर्यटन का योगदान लगभग 8 से 10 प्रतिशत है। लाखों लोग प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से इसी उद्योग पर निर्भर हैं, लेकिन होटल व्यवसायियों, ट्रेकिंग गाइड्स, टैक्सी चालकों और हस्तशिल्प कारोबारियों को अब गहरा आर्थिक झटका लगा है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि नेपाल को पहले सामान्य स्थिति में लौटना होगा, फिर पर्यटन उद्योग को पटरी पर लाने की चुनौती सामने होगी। यह काम आसान नहीं होगा और इसमें कई वर्ष लग सकते हैं।

    इसके लिए आने वाली सरकार को सुरक्षा सुनिश्चित करने, पारदर्शी शासन, पर्यटन ढांचे में सुधार करने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक छवि बहाल करने की आवश्यकता होगी। तभी यह देश एक बार फिर हिमालय की गोद में बसे पर्यटकों का स्वर्ग कहलाने का गौरव हासिल कर पाएगा।

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