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    Chhath Puja 2025: छठ पर्व के तीसरे दिन आज डूबते सूर्य को अर्घ्य, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    By Mukesh Kumar Edited By: Alok Shahi
    Updated: Mon, 27 Oct 2025 01:17 AM (IST)

    Chhath Puja 2025 Arghya Time: छठ पर्व के तीसरे दिन आज सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को व्रती पहला अर्घ्य देंगे। इसके बाद मंगलवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इससे पहले छठ पूजा के चार दिनों के अनुष्ठान में रविवार को व्रतियों ने खरना का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू किया। घरों में खीर, पुड़ी, रसिया आदि महाप्रसाद बनाकर भगवान सूर्य और छठी मइया को भोग लगाया गया। 

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    Chhath Puja 2025 Arghya Time: आज छठ पूजा का तीसरे दिन सोमवार को छठ व्रती घाटों पर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य देंगे।

    संवाद सहयोगी, लखीसराय। Chhath Puja 2025 Arghya Time महापर्व छठ पूजा के दूसरे दिन रविवार को व्रतियों ने पूरे दिन उपवास करने के बाद शाम में खरना किया। अब सोमवार को छठ व्रत करने वाले महिला-पुरुष व्रती विभिन्न छठ घाटों पर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य देंगे। वहीं मंगलवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही चार दिनों तक चलने वाले इस लोक आस्था के महापर्व का विधिवत समापन हो जाएगा।

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    छठ पूजा 2025 : सूर्योपासना का महापर्व, छठ का पहला अर्घ्य कब है? Chhath, Chhath Puja Arghya Time

    • 27 अक्टूबर, सोमवार : अस्ताचलगामी सूर्य को संध्याकालीन अर्घ्य (शाम 5:10 बजे से शाम 5:58 बजे तक)
    • 28 अक्टूबर, मंगलवार: उदीयमान सूर्य को प्रातःकालीन अर्घ्य (प्रात: 5:33 बजे से सुबह 6:30 बजे तक)

    रविवार को खरना को लेकर सुबह से व्रतियों ने अपने-अपने घरों में तैयारी शुरू कर दी। शहरी क्षेत्र के कई मोहल्लों में कुआं से श्रद्धालु पात्र में जल भरकर खरना का प्रसाद बनाने के लिए ले गए। शहर के पुरानी बाजार महावीर स्थान स्थित कुआं पर जल भरने के लिए श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगी रही। जिन लोगों ने गंगा स्नान कर गंगा जल घर ले गए, उन्होंने गंगा जल का प्रयोग प्रसाद बनाने में किया।

    बड़हिया व पिपरिया में गंगा जल और चानन व सूर्यगढ़ा प्रखंड में किऊल नदी के जल से घरों में प्रसाद बनाया गया। अपराह्न बाद शहर से लेकर गांव तक खरना का अनुष्ठान शुरू हो गया। व्रतियों ने मान्यता के अनुसार खीर, रसिया, रोटी का प्रसाद तैयार किया। कई जगहों में सेंधा नमक से तैयार चावल, चने की दाल आदि का प्रसाद बनाया गया।

    देर शाम व्रतियों ने विधि विधान के साथ भगवान सूर्यदेव की पूजा आराधना की। इसके बाद खरना का प्रसाद ग्रहण कर उपवास तोड़ा। व्रती के प्रसाद ग्रहण के बाद स्वजन ने प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया जो अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के बाद संपन्न होगा तथा इसके बाद व्रती पारण करेंगी।

    खरना के बाद व्रती और श्रद्धालु अर्घ्य देने की तैयारी में लग गए हैं। इसके लिए शहर के कई आटा चक्की मिलों पर गेहूं पिसाने के लिए भीड़ लगी रही। छठ व्रती ठेकुआ सहित अन्य प्रसाद तैयार करेगी। पूजा को लेकर अन्य सामानों की भी खरीदारी लोग कर रहे हैं। इसको लेकर बाजार में पूरे दिन भीड़ रही। और जाम की स्थिति बनी रही।

    मंगलवार सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य 

    चानन में सोमवार को अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया जाएगा। वहीं मंगलवार के सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ संपन्न हो जाएगा। अर्घ्य की तैयारी काफी श्रद्धा व उत्साह से की जा रही है। इसको लेकर रविवार को दिनभर स्थानीय मननपुर बाजार, बन्नूबगीचा वीयर चौक, भलूई हाल्ट स्थित बाजार में खरीददारी को लेकर रौनक रही। दूसरी ओर पहले दिन के अर्घ्य को लेकर युवाओं के द्वारा छठ घाट पर भव्य पंडाल बनाकर भगवान भास्कर के प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की तैयारी को अंतिम रूप दे दिया गया है। इससे पहले लोक आस्था का महापर्व छठ के दूसरे दिन रविवार को छठव्रतियों ने खरना किया। इसके लिए रोटी व खीर का प्रसाद बनाया गया। खरना की सुबह छठव्रतियों ने पवित्र गंगा स्नान किया। इसके बाद मंदिरों में पूजा-अर्चना की गई।

    प्रकृति से जुड़ाव का पर्व है छठ पूजा, समरसता की मिलती है सीख

    भगवान भास्कर की आराधना और लोक आस्था का महापर्व छठ अनुष्ठान नहीं बल्कि स्वच्छ पर्यावरण का संदेश देता है। गांव की गलियों से लेकर शहर के चौक-चौराहों तक प्रकृति के साथ छठ की छटा निखरती है। घर से लेकर घाट तक लोक सरोकार और मेल मिलाप का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। यह पर्व वैज्ञानिक महत्व के साथ-साथ सामाजिक समरसता व एकजुटता को बल प्रदान करता है। मान्यता है कि इस पवित्र पर्व में भगवान भास्कर की पूजा अर्चना से छठ मइया सबों की मन्नतें पूरी करती है। इस व्रत की पवित्रता आधुनिक युग में स्वच्छता मिशन को पीछे छोड़ देता है। छठ व्रत की हर रस्म प्रकृति और स्वास्थ्य से जुड़ी है। इस पर्व में जल, नदी, तालाब, पोखर को संरक्षित करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए भी प्रेरित करता है। पर्व के मौके पर गाए जाने वाले लोकगीतों से नारी सशक्तीकरण, प्रकृति संरक्षण सहित कई संदेश मिलती है। छठ मइया की एक गीत रुनकी-झुनकी बेटी मांगीला, मांगीला पठल पंडित दामाद. गीत सुशिक्षित समाज में बेटियों की महत्ता व शिक्षा पर बल देती है। यह पर्व विलुप्त हो रहे तालाब, आहर, पोखर और नदियों को जीवन दान के लिए प्रेरित करता है जो प्राकृतिक संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है।

    स्वस्थ समाज का संदेश देता है छठ

    छठ पूजा में इस पर्व की स्वच्छता पहली शर्त है। मान्यता है कि व्रत के दौरान स्वच्छता का ख्याल नहीं रखने से छठ मइया नाराज हो जाती है। यह अकेला ऐसा लोक पर्व है जिसमें उगते व डूबते सूर्य को बगैर किसी आडंबर व दिखावा के श्रद्धा के साथ आराधना की जाती है। इस पर्व के शुरू होते ही स्वच्छता के प्रति लोगों की मानसिकता व आदतें स्वत: बदल जाती है। छठ में प्रसाद के लिए छोटे-बड़े उपकरणों का प्रयोग वर्जित है। मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद तैयार होता है। आम की सूखी लकड़ी बतौर जलावन के रूप में उपयोग किया जाता है। छठ पर्व सूर्य की उर्जा की महत्ता के साथ जल और जीवन के संवेदनशील रिश्ते को संजोता है। 

    सुन ल अरजिया हमार हे छठी मइया, छठ गीत से माहौल हुआ छठमय

    केलवा के पात पर उगेलन सूरजमल भोरे-भोरे.., सुन ल अरजिया हमार हे छठी मइया, दर्शन दीह हे छठ मइया.., उग हे सूरजदेव अरघ के बेरिया.., दर्शन देहू न अपार हे दीनानाथ.. आदि लोकगीत के बीच छठ मइया की आराधना में व्रती से लेकर श्रद्धालु तल्लीन हो गए हैं। लोक आस्था के इस महापर्व में छठ की छटा में पूरा शहर सराबोर हो गया है। जिला अंतर्गत गंगा, किऊल, हरूहर नदी घाटों के अलावा संसार पोखर, अष्टघटी तालाब, अशोकधाम पोखर, परिया पोखर के अलावा किउल नदी के 30 से अधिक घाटों के अलावा ग्रामीण अंचल स्थित छठ घाटों को भी छठ पूजा समिति द्वारा साफ-सफाई कर सजाया गया है।

    किऊल नदी का छठ घाट सज-धज कर तैयार, पहला अर्घ्य आज

    जिला मुख्यालय स्थित किऊल नदी के पथला घाट, वीर हनुमान घाट, महावीर स्थान घाट, सूर्यदेव घाट, सूर्यनारायण घाट, विद्यापीठ चौक घाट, चंपालाल घाट, हनुमान घाट, व्यायामशाला गली छठ घाट, महावीर घाट पर स्थानीय पूजा समिति द्वारा भव्य सजावट की गई है। तोरणद्वार, रंगीन बल्बों व एलईडी लाइट से मुख्य सड़क से घाट तक जाने वाले रास्ते को सजाया गया है। नगर परिषद व जिला प्रशासन की ओर से घाटों पर समुचित इंतजाम किया गया है। पुरानी बाजार सूर्यदेव घाट, महावीर स्थान व विद्यापीठ चौक घाट पर पूजा समिति के माध्यम से महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम, नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई है।

    इन घाटों पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है। पुरानी बाजार स्थित महावीर स्थान घाट पर स्थानीय छठ पूजा समिति की देखरेख में श्रद्धालुओं के लिए हर सुविधा की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा किऊल नदी के कुशवाहा घाट, चंपालाल घाट, वीर हनुमान घाट, बजरंगबली घाट, कबैया रोड घाट पर छठ पूजा समिति की ओर से तोरणद्वार व रंगीन बल्बों से सजावट की गई है। प्रशासन के माध्यम से सभी घाटों पर पुलिस के साथ दंडाधिकारी की तैनाती की गई है। एसडीओ प्रभाकर कुमार, एसडीपीओ शिवम कुमार ने रामगढ़ चौक, तेतरहट सहित अन्य थाना क्षेत्रों में घूम-घूम कर छठ घाटों का जायजा लिया तथा वहां की व्यवस्था को भी देखा। 

    अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य आज

    लोक आस्था और सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ के दूसरे दिन रविवार को बड़हिया प्रखंड व नगर क्षेत्र में छठव्रतियों ने दिनभर उपवास रखकर शाम को खरना किया। इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया। अब आज शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि मंगलवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के बाद छठव्रती पारण करेंगी।खरना को लेकर व्रतियों ने सूर्यास्त होते ही चावल, चना का दाल, गुड़ और दूध व चावल की खीर तथा रोटी बनाकर प्रसाद स्वरूप भगवान भास्कर की पूजा की और उन्हें भोग लगाया तथा खुद प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात अपने स्वजन व कुटुंबों के बीच प्रसाद वितरित किया।

    खरना को लेकर बड़हिया नगर व ग्रामीण अंचल क्षेत्र में स्थित विभिन्न गंगा तटों पर बड़ी संख्या में व्रतियों ने स्नान किया तथा जल पात्र में पवित्र गंगा जल भरकर प्रसाद बनाने के लिए अपने-अपने घर ले गए। जहां मिट्टी के बने चूल्हे पर आम की लकड़ी व गोयठा जलाकर गुड़, दूध और चावल की बनी खीर तथा रोटी बनाकर भगवान भास्कर की पूजा की और खरना किया तथा अपने संतान व स्वजन के सुख-समृद्धि की कामना की। खरना के बाद आसपास के लोगों और रिश्तेदारों ने भी व्रतियों के घर पहुंचकर प्रसाद ग्रहण किया। इधर छठ के लिए पूजन सामग्री खरीदने को लेकर बड़हिया बाज़ार में लोगों की भीड़ उमड़ी। इसके कारण बाजार में दिन भर काफी चहल-पहल रही।इसको लेकर बड़हिया बाजार में जाम की स्थिति बनी रही।