Bihar Assembly Election 2025: मिथिलांचल में तेजस्वी का 'तीर', NDA के लिए चुनौती!
Bihar Assembly Election 2025: बिहार में आने वाले चुनावों के लिए, राजद नेता तेजस्वी यादव ने मिथिलांचल में एनडीए को हराने के लिए एक खास रणनीति बनाई है। वे स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और युवाओं, महिलाओं और पिछड़े वर्गों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी इस रणनीति को 'तीर' कहा जा रहा है, जिसका उद्देश्य मतदाताओं को राजद की ओर लाना है।

यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।
ब्रजमोहन मिश्र, मधुबनी। Bihar Assembly Election 2025: आधिकारिक तौर पर राजद ने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। मगर, जिनके नाम को फाइनल माना जा रहा, यदि उनकी बात की जाए तो पार्टी पुराने साथियों पर ही विश्वास जता रही है।
मिथिलांचल में मधुबनी से लेकर समस्तीपुर तक 30 सीटें हैं। संभावित प्रत्याशियों की कतार में मधुबनी से दो बार के विधायक समीर महासेठ, लौकहा से मौजूदा विधायक भारत भूषण, दरभंगा ग्रामीण से ललित यादव, समस्तीपुर में अख्तरुल इस्लाम शाहीन, उजियारपुर में आलोक मेहता, मोहिउद्दीननगर में एज्या यादव व हायाघाट से भोला यादव तय माने जा रहे हैं।
भरोसेमंद चेहरे
ये राजद के पुराने और भरोसेमंद चेहरे के तौर पर माने जाते हैं। समीर महासेठ दो बार विधायक रहे। राजद जदयू की 17 माह की सरकार में उद्योग मंत्री भी रहे। उनके पिता राजकुमार महासेठ लालू सरकार में मंत्री थे।
तीन बार वे भी विधायक रहे। वहीं, भारत भूषण मंडल लंबे समय से राजद से जुड़े हैं। चुनाव कई बार लड़े, मगर जीत लौकहा में मिली। अख्तरुल इस्लाम लगातार 2010 से जीतते आ रहे हैं।
एनडीए की लहर में भी वे नहीं उखड़े। पहली बार 2010 में उन्होंने जननायक कर्पूरी ठाकुर के पुत्र रामनाथ ठाकुर को करीब 1800 वोट से हराकर बड़ा उलटफेर कर दिया था।
चौथी बार मैदान में उतरना तय
इसकी बाद से लगातार जीत रहे हैं चाहे जदयू के साथ राजद मैदान में हो या जदयू के बगैर। चौथी बार मैदान में उतरना तय है। दरभंगा ग्रामीण से ललित यादव पांच बार जीत दर्ज कर चुके हैं।
राजद के सबसे भरोसेमंद नेताओं में शामिल हैं। 2024 से लोकसभा में राजद ने इन्हें भाजपा के प्रत्याशी मौजूदा। सांसद गोपालजी ठाकुर के खिलाफ उतारा था।
वहीं आलोक मेहता की बात करें तो वे भी हर परिस्थित में राजद के साथ खड़े रहे हैं। उन्हें लालू यादव के साथ साथ तेजस्वी का भी करीबी माना जाता है। नीति निर्धारण में उनकी अहम भूमिका रहती है।
राजद के संस्थापक सदस्य कहे जाते हैं। इन्हें तेजस्वी यादव का राजनीतिक गुरु भी माना जाता है। 2004 से 2009 तक समस्तीपुर लोकसभा सीट से सांसद भी थे।
भोला यादव लालू यादव के निजी सहायक
परिसीमन बदलने के बाद नित्यानंद राय के खिलाफ उजियारपुर लोकसभा से खड़े हुए। राजद जदयू की 17 माह की सरकार में मंत्री भी रहे। वहीं भोला यादव लालू यादव के निजी सहायक रहे हैं।
पारिवारिक सदस्य की तरह देखे जाते हैं। बहादुरपुर से एक बार विधायक भी थे हैं। वहीं, मोहिउद्दीननगर से एज्या यादव 2020 में भले हार गईं, मगर 2015 में जीती थी और पार्टी की प्रवक्ता भी बनीं।
उन्हें भी तेजस्वी यादव का करीबी माना जाता है। गौरतलब है कि अभी मधुबनी में राजद के पास दो, दरभंगा में एक और समस्तीपुर में चार विधायक हैं।
हालांकि समस्तीपुर के हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से 2020 में जीती तेज प्रताप यादव ने अब नई पार्टी बना ली है और राजद से अलग हैं। परिवार से भी अलग हैं।
युवा चेहरों को मौका देने की चर्चा
ऐसे में इस सीट पर राजद के पूर्व विधायक सुनील कुमार पुष्पम भी लड़ सकते हैं। वहीं, बात यदि उन सीटों की करें जहां से राजद को हार मिली थी वहां युवा चेहरों को मौका देने की चर्चा चल रही है।
मधुबनी के पड़ोसी जिले सुपौल में राजद के पास पांच में से एक सीट भी नहीं है। यहां राजद के कुछ युवा चेहरे चर्चा में हैं। राजद के लिए सुपौल, मधुबनी, दरभंगा और समस्तीपुर की 35 सीटें बेहद अहम हैं।
खासकर सुपौल से लेकर दरभंगा तक की 25 सीटें। जहां राजद के पास मात्र 3 सीटें हैं। इसी रूट पर राहुल और तेजस्वी ने वोटर अधिकारी यात्रा भी निकाली थी।
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