छोटा चीरा लगाने की बजाय फाड़ दिया पूरा पेट, ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर को देना होगा 16.51 लाख का हर्जाना
मुंगेर में एक डॉक्टर को गलत ऑपरेशन के लिए 16.51 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा। डॉक्टर ने चीरा लगाने की बजाय पूरा पेट फाड़ दिया था। उपभोक्ता अदालत ने इ ...और पढ़ें

जिला उपभोक्ता संरक्षण व प्रतितोष आयोग। फाइल फोटो
संवाद सूत्र, मुंगेर। बिहार के मुंगेर जिला उपभोक्ता संरक्षण व प्रतितोष आयोग ने 2019 के एक मामले में शहर के एक प्रतिष्ठित चिकित्सक और सर्जन को 16.51 लाख रुपये वादी को भुगतान करने का आदेश दिया है। यह मामला एक किशोर के अपेंडिक्स की असफल सर्जरी (Failed Appendix Surgery) से जुड़ा हुआ है। इस मामले में पीड़ित पक्ष ने 28 नवंबर 2019 को वाद दायर किया था।
इस मामले में आयोग ने सर्जन को पीड़ित पक्ष को 16.51 लाख रुपये की राशि भुगतान करने का आदेश दिया और कहा है कि यदि निर्धारित अवधि में यह राशि भुगतान नहीं की जाती है, तो संबंधित सर्जन को 9 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा। इस मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता ओमप्रकाश पोद्दार ने कहा कि जनहित में ऐसे चिकित्सक का निबंधन (Registration) रद करने की सिफारिश की जानी चाहिए।
क्या है मामला?
जमालपुर सदर बाजार धर्मशाला रोड निवासी समर शेखर को एक अगस्त 2019 को अचानक पेट में काफी दर्द होने लगा। इस पर स्वजन उसे नीलम सिनेमा के निकट स्थित एक प्रसिद्ध सर्जन के यहां ले गए, जहां सर्जन ने कुछ जांच कर मरीज को अपेंडिसाइटिस (Appendix) होने की बात कही और तत्काल लेप्रोस्कोपिक विधि से सर्जरी का सुझाव दिया। अगले दिन दो अगस्त 2009 को लेप्रोस्कोपिक विधि से सर्जरी किया गया, जो असफल रहा।
इसके बाद डॉक्टर ने अभिभावक की बिना सहमति के पूरे पेट में चीरा लगा दिया। ऑपरेशन के बाद भी मरीज की पीड़ा कम नहीं हुई तो डॉक्टर ने सिर्फ पांच दिन बाद ही उसे को घर ले जाने की का सलाह दी। स्वजन के काफी दबाव देने के बाद डॉक्टर ने अस्पताल का खर्च लेकर मरीज को छह अगस्त 2019 को रेफर किया।
इसके बाद बच्चे को भागलपुर के एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने यह कहकर उसका इलाज करने से इंकार कर दिया गया कि बच्चे का ऑपरेशन इस प्रकार किया गया है कि वह मौत के करीब पहुंच गया है। इसके बाद एमएमआरआई कोलकाता में समर का ऑपरेशन कर उसकी जान बचाई गई। इस प्रकार बच्चे के इलाज में आठ लाख से अधिक की राशि खर्च हो गई।
Appendix Perforation के कारण खोला पेट
आयोग को दिए अपने लिखित जबाब में आरोपित डाॅक्टर ने बताया कि अपेंडिक्स परफोरेशन (अपेंडिक्स का फट जाना) का अभास होने पर मरीज का पेट चीरा गया। इसके अलावा आंतों पर फ्रिवीनस फ्लेक(fibrinous flakes) जमा हुआ था तथा अपेंडिक्स के आसपास पस जैसा फ्लूइड जमा था, ऐसा पाए जाने के बाद जहां तक संभव था, अपेंडिक्स काट कर निकाल दिया गया।
वहीं, चिकित्सक ने यह स्वीकार किया कि कोलकाता में जो इलाज हुआ, उसमें आंत में जो छेद था, उसे बंद कर दिया गया और अपेंडिक्स के स्टम्प का फिर से ऑपरेशन कर शेष बचे अपेंडिक्स को बाहर निकाल दिया गया।
आयोग ने मामले को बताया अमानवीय
इस मामले की सुनवाई करते हुए आयोग के अध्यक्ष रमण कुमार सिन्हा ने कहा कि ऑपरेशन करने से पहले सर्जन को चाहिए कि वह आवश्यक जांच के बाद ही ऑपरेशन करना चाहिए था, सिर्फ अनुमान के आधार पर ऑपरेशन कराना यह दिखाता है कि डॉक्टर ऑपरेशन नहीं, बल्कि प्रयोग कर रहे थे।
अपेंडिक्स के ऑपरेशन में पेट के नीचे दाहिने ओर एक छोटा चीरा लगाकर अपेंडिक्स को निकाल लिया जाता है, बल्कि यहां छोटा चीरा लगाने के बजाय गले से लेकर पेट के अंतिम छोर तक शरीर को चीर दिया गया। यह अमानवीय प्रतीत होता है।
आयोग ने दिया निर्देश
इस मामले में आयोग ने संबंधित डॉक्टर को, वादी को चिकित्सा में किए खर्च 8.50 हजार का छह प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान वाद दायर करने की तिथि से प्रदान करने, मानसिक तथा शारीरिक कष्ट के लिए दो लाख रुपये, वाद खर्च के रूप में 50 हजार रुपये, अवयस्क बच्चे के शरीर को पोस्टमार्टम की तरह चीर कर विकृत करने के एवज में प्रतिकर के रूप में पांच लाख रुपये का भुगतान करने तथा आदेश की तिथि से 60 दिनों के अंदर भुगतान नहीं करने की स्थिति में पूरी राशि पर नौ प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करने का निर्देश दिया।

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