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    'NDA की सुनामी' मुजफ्फरपुर जिले में इस तरह संभव हुआ यह सबकुछ

    By Prem Shankar Mishra Edited By: Ajit kumar
    Updated: Sat, 15 Nov 2025 04:45 AM (IST)

    Bihar chunav Result: मुजफ्फरपुर में एनडीए ने महागठबंधन से तीन सीटें छीनीं हैं।हालांकि पारू विधानसभा सीट एनडीए के पास से छिटक गई। इस चुनाव में देखा जाए तो जदयू को सर्वाधिक फायदा हुआ है। सभी चारों सीटें उसने जीतीं। पिछले चुनाव में केवल एक सीट मिली थी। दोनों मंत्रियों ने अपनी सीट बचाने में सफलता हासिल की है। कई बार पिछड़ने के बाद केदार ने बाजी मारी। जिले में लोजपा आर का खाता खुला है। रालोमो के उम्मीदवार चूक गए।

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    Muzaffarpur Vidhan sabha Chunav result: मुजफ्फरपुर में एनडीए का शानदार प्रदर्शन रहा। फाइल फोटो

    प्रेम शंकर मिश्रा, मुजफ्फरपुर। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मतों की गिनती पूरी होने के बाद जो तस्वीर निकल कर सामने आई है वह अपेक्षा के विपरीत है। दोनों गठबंधनों को इस तरह के परिणाम की अपेक्षा नहीं थी।

    जिले की 11 विधानसभा सीटों की मतगणना शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गई, मगर परिणाम सुनामी की तरह आया। वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव की तरह ही यहां एनडीए ने 10 सीटों पर कब्जा कर लिया।

    भाजपा, जदयू और लोजपा आर ने अपने कोटे की सभी सीटें जीत ली। हालांकि एनडीए ने वह सीट गंवा दी जिस पर पिछले चार विधानसभा चुनाव से भाजपा का कब्जा था। भाजपा की जगह रालोमो ने पारू से चुनाव लड़ा।

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    यह सीट राजद ने एनडीए से छीन ली। कांग्रेस और वीआइपी का यहां खाता नहीं खुला। दोनों दो-दो सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इससे पहले कड़ी सुरक्षा में सुबह आठ बजे वोटों की गिनती शुरू हुई।

    कुढ़नी विधानसभा सीट को छोड़कर सभी में शुरुआती रूझान के अनुसार ही परिणाम आया। कुढ़नी में लगातार उतार चढ़ाव रहा। हालांकि पंचायती राज मंत्री और भाजपा उम्मीदवार केदार प्रसाद गुप्ता किसी तरह अपनी सीट बचाने में सफल रहे। साहेबगंज से भी मंत्री राजू कुमार सिंह ने अपनी सीट बचाई।

    रमा ने बनाया रिकार्ड

    सबसे पहला परिणाम साहेबगंज का घोषित हुआ। यहां राजू कुमार सिंह ने राजद के पृथ्वीनाथ राय को 13 हजार 522 वोटों से पराजित किया। सबसे बड़ी जीत औराई से रमा निषाद ने दर्ज की। चुनाव से महज कुछ दिन पहले उनके पति अजय निषाद कांग्रेस से भाजपा में आए।

    टिकट के साथ मिली सबसे बड़ी जीत। उन्होंने 57 हजार से अधिक वोटों से वीआइपी के भोगेंद्र सहनी पर जीत दर्ज की। यह जिले की सबसे बड़े अंतर की जीत रही। सबकी नजर मुजफ्फरपुर सीट पर थी।

    दो बार भाजपा के जिलाध्यक्ष रहे रंजन कुमार ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार बिजेेंद्र चौधरी को 32657 वोटों से हराया।पिछले चुनाव में भाजपा ने यह सीट गंवा दी थी। सुरेश कुमार शर्मा यहां से पराजित हो गए थे।

    वहीं सकरा से भी कांग्रेस को लगातार हार का ही मुंह देखना पड़ा। पहली बार मैदान में उतरे जदयू के आदित्य कुमार ने 15 हजार 50 वोटों से हरा दिया। जबकि पिछली बार वह आदित्य के पिता अशोक कुमार चौधरी से महज 13 सौ वोटों से पराजित हुए थे।

    जदयू ने पाई खोई जमीन

    पिछले चुनाव में तीन सीटों पर हार झेलने वाले जदयू के चारों उम्मीदवार विजयी हुए। हंगामे बाद गायघाट में टिकट पाने वाली कोमल सिंह ने मां वीणा देवी की विरासत को आगे बढ़ाया। उन्होंने राजद के निरंजन राय को हराया।

    चुनाव के बीच में ही जदयू नेता महेश्वर यादव के पुत्र प्रभात किरण ने राजद का दामन थाम लिया था, मगर इसका असर नहीं पड़ा। वहीं भाजपा से जदयू में आकर टिकट पाने वाले अजय कुमार और अजीत कुमार विजयी रहे।

    अजय ने दो बार से विधायक रहे राजद के राजीव कुमार उर्फ मुन्ना यादव को 34 हजार 238 वोटों से हराया। वहीं दो बार से चूकने वाले पूर्व मंत्री अजीत कुमार ने राजद के पूर्व मंत्री इसरायल मंसूरी को 25 हजार 795 वोटों से मात दी।

    पश्चिमी क्षेत्र में एनडीए फिर मजबूत रहा। यहां बरूराज से अरुण कुमार सिंह ने वीआइपी के राकेश कुमार को 29 हजार 52 वोटों से हराया। यह उनकी लगातार दूसरी जीत है।

    बोचहां से लोजपा ने दर्ज की जीत

    बोचहां से लोजपा आर ने पहली बार जीत दर्ज की।जिस बेबी कुमारी का वर्ष 2015 में टिकट छीन लिया था उसने यह सीट दिला दी। उन्होंने मजबूत माने जाने वाले राजद के अमर पासवान को 20 हाजर के बड़े अंतर से हरा दिया।

    इस तरह की जीत ने लोगों की अपेक्षाओं को बहुत अधिक बढ़ा दिया है। भाजपा और जदयू के लिए पिछली बार की तुलना में अधिक जिम्मेदारी का काम है कि वह इसको टेकअप करते हुए लोगों को कल्याणकारी योजना का लाभ पहुंचाएं।