Hilsa Vidhan Sabha: दो जातियों की धुरी बनी रही बिहार की ये सीट, चुनावी समीकरण में बदलाव के आसार
हिलसा विधानसभा सीट बिहार का एक महत्वपूर्ण चुनावी क्षेत्र है, जहाँ पिछले चुनाव में जीत का अंतर केवल 12 वोट था। यहाँ दो प्रमुख जातियों का प्रभाव है, जिन्होंने अब तक बराबर जीत हासिल की है। इस बार एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर है, जबकि जनसुराज के वोट निर्णायक हो सकते हैं। यह क्षेत्र कभी किसी दल का गढ़ नहीं रहा, और यहाँ के चुनावी इतिहास में कई दिलचस्प मोड़ आए हैं।

हिलसा विधानसभा का चुनावी समीकरण
उपेंद्र कुमार, हिलसा (नालंदा)। जिले की हिलसा विधानसभा सीट हमेशा से महत्वपूर्ण चुनावी क्षेत्र रही है। पिछले चुनावों के आंकड़े इसकी गवाही देते हैं, जहां हार-जीत का अंतर मात्र 12 वोट रहा था। इस बार भी हिलसा विधानसभा क्षेत्र चुनावी चर्चा का केंद्र बना है। यहां दो प्रमुख जातियों का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है।
अब तक के 16 चुनावों में दो जातियों के प्रत्याशियों ने बराबर जीत हासिल की है। इस बार एनडीए समर्थित जदयू और महागठबंधन समर्थित राजद के बीच सीधी टक्कर होती दिख रही है। जनसुराज के उम्मीदवार चुनाव को त्रिकोणीय बनाने में सफल नहीं हो रहे, लेकिन उनके वोट दोनों प्रमुख दलों की जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
हिलसा विधानसभा क्षेत्र कभी किसी विशेष दल का गढ़ नहीं रहा, लेकिन यहां के निवासियों के लिए यह कर्मभूमि बनी रही है। अब तक यहां केवल दो विधायक, जगदीश प्रसाद और रामचरित्र प्रसाद सिंह लगातार जीत दर्ज कर चुके हैं।
90 के बाद से कांग्रेस का कम हुआ दबदबा
1957 में हिलसा विधानसभा का गठन हुआ। तब से यहां के चुनावों में कांग्रेस और जनसंघ के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की। 1990 के चुनाव के बाद से कांग्रेस का प्रभाव इस क्षेत्र में कम होता गया।
जगदीश प्रसाद ने 1962 में जनसंघ के टिकट पर जीत हासिल की और चार बार विधायक बने, जो एक रिकार्ड है। वहीं, रामचरित्र प्रसाद सिंह ने तीन बार जीत दर्ज की है। 2000 में उन्होंने समता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी।
हिलसा विधानसभा के चुनावों का इतिहास भी दिलचस्प है। 1957 में कांग्रेस के लाल सिंह त्यागी ने बीजेएस के भागवत सिंह को हराकर जीत दर्ज की थी। 1962 में जगदीश प्रसाद ने लाल सिंह त्यागी को हराया। 1967 में अवधेश कुमार सिंह ने जगदीश प्रसाद को हराया, लेकिन 1969 में जगदीश ने पुनः जीत हासिल की।
जगदीश प्रसाद ने चार बार विधायक बनने का रिकार्ड बनाया है। 1972 में नवल किशोर प्रसाद सिन्हा ने उन्हें हराकर कांग्रेस को फिर से जीत दिलाई। 1977 में जगदीश ने निर्दलीय प्रत्याशी को हराकर जीत दर्ज की। 1980 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की।
1990 के बाद से इस क्षेत्र में गठबंधन की राजनीति ने जोर पकड़ा। 1990 में जेल में रहकर चुनाव लड़ने वाले कृष्ण देव सिंह यादव ने जीत दर्ज की। 2005 में रामचरित्र प्रसाद सिंह ने जदयू के टिकट पर लगातार दूसरी बार जीत हासिल की।
2010 में उषा सिन्हा ने जदयू के उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की। 2020 में कृष्ण मुरारी शरण उर्फ प्रेम मुखिया ने महागठबंधन के उम्मीदवार को मात्र 12 वोटों से हराकर जीत हासिल की।
इस बार भी हिलसा विधानसभा चुनाव चर्चा में है, और 6 नवंबर को मतदाता यहां के 10 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। हिलसा के विधायकों की सूची में विभिन्न दलों के प्रतिनिधियों का नाम शामिल है, जो इस क्षेत्र की राजनीतिक विविधता को दर्शाता है।

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