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    इस्लामपुर में टिकट घोषणा के बाद जन सुराज की जमीनी पकड़ ढीली, NDA-महागठबंधन में सीधी टक्कर

    Updated: Thu, 30 Oct 2025 06:12 PM (IST)

    इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी तेज है। एनडीए और महागठबंधन के बीच मुकाबला है, लेकिन जन सुराज की पकड़ कमजोर होती दिख रही है। टिकट घोषणा के बाद कई नेता पार्टी छोड़कर चले गए, जिससे संगठन कमजोर हो गया है। अब देखना है कि जन सुराज अपनी खोई जमीन वापस पाती है या नहीं।

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    इस्लामपुर में जन सुराज की जमीनी पकड़ ढीली

    राजीव प्रसाद सिंह, जागरण। इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र में इस बार चुनावी सरगर्मी चरम पर है। हर गांव-टोला, हर चौक-चौराहे पर सियासी चर्चाएं तेज है। मुकाबला फिलहाल एनडीए और महागठबंधन के बीच आमने-सामने का माना जा रहा है, लेकिन जन सुराज भी इस लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में जुटी थी। हालांकि हालात अब बदलते नजर आ रहे हैं।

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    जन सुराज के लिए हालात तब तक बेहद उत्साहजनक थे, जब तक पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया था। उस समय तक इस्लामपुर में जन सुराज एक मजबूत तीसरी ताकत के रूप में उभर रही थी। 

    कारण भी साफ था — पार्टी के पास करीब 7 से 8 कद्दावर नेता मौजूद थे, जो अपने-अपने टिकट की उम्मीद में पूरे क्षेत्र में सक्रिय थे। ये सभी नेता गांव-गांव जाकर पार्टी का माहौल बना रहे थे और संगठन को मजबूती दे रहे थे। लेकिन जैसे ही टिकट की घोषणा हुई, समीकरण पूरी तरह बदल गया।

    प्रत्याशी घोषणा के बाद नाराज 

    टिकट की आस लगाए बैठे अधिकांश दावेदार निराश और नाराज होकर अलग-अलग रास्ता चुनने लगे। कुछ नेताओं ने महागठबंधन का रुख किया तो कुछ एनडीए खेमे में जा पहुंचे। नतीजतन, जन सुराज की जो जमीनी पकड़ पिछले कुछ महीनों में बनी थी, वह अब धीरे-धीरे ढीली पड़ती दिखाई दे रही है।

    जानकारों का मानना है कि वर्तमान प्रत्याशी को अब संगठन को पुनर्जीवित करने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। ग्रामीण इलाकों में पहले जैसी लहर या जोश अब नजर नहीं आ रहा।

    एनडीए और महागठबंधन के बीच टक्कर

    पार्टी के कुछ पुराने समर्थक यह भी मानते हैं, कि अगर सभी दावेदार एकजुट रहते, तो जन सुराज इस्लामपुर की जंग में निर्णायक भूमिका निभा सकती थी।

    फिलहाल, एनडीए और महागठबंधन के बीच जमीनी स्तर पर कड़ी टक्कर है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि जन सुराज आने वाले दिनों में अपनी खोई हुई जमीन वापस हासिल कर पाएगी या नहीं।

    जो भी हो, इस्लामपुर विधानसभा में इस बार का महासमर हर दिन नए राजनीतिक समीकरणों का गवाह बनता जा रहा है।