21 बीघा भूमि में जलजमाव से नाराज किसान, नालंदा में खेती छोड़ पलायन को मजबूर
नालंदा में 21 बीघा भूमि पर जलजमाव से किसान परेशान हैं। उचित जल निकासी न होने से फसलें बर्बाद हो रही हैं, जिससे किसान खेती छोड़ने और पलायन करने को मजबूर हैं। वे सरकार से जल निकासी की व्यवस्था करने और आर्थिक मदद की गुहार लगा रहे हैं ताकि वे अपनी खेती जारी रख सकें।

जागरण संवाददाता, नालंदा। कोनन्द गांव में जल-जमाव की गंभीर समस्या के कारण करीब 21 बीघा कृषि योग्य भूमि पिछले पांच वर्षों से बर्बाद पड़ी है। खेतों में हमेशा पानी जमा रहने के कारण किसान खेती से वंचित हैं, जिससे ग्रामीणों के सामने जीवन-यापन का संकट गहराता जा रहा है।
स्थानीय ग्रामीणों मोहम्मद नौशाद मियां, बबलू शर्मा, नवलेश पासवान, धीरज कुमार, नीरज कुमार और श्रवण पासवान ने बताया कि जल निकासी की समुचित व्यवस्था न होने के कारण खेतों में लगातार पानी जमा हो जाता है। नहर और पैन में अतिक्रमण के कारण पानी का बहाव बाधित है।
बताया गया कि यह पैन पीडब्ल्यूडी पथ के किनारे-किनारे लगभग 60 वर्ष पूर्व बनाई गई थी, जिससे गांव के सैकड़ों किसानों को सिंचाई की सुविधा मिलती थी। नहर और पैन के अस्तित्व में रहते हुए इस इलाके के किसान खुशहाल थे। परंतु विगत कुछ वर्षों में हुए अतिक्रमण और सरकारी लापरवाही के चलते यह व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई है।
खेती नहीं, अब मजदूरी ही सहारा
लगातार जलजमाव के कारण खेतों की उर्वरता समाप्त होती जा रही है और जमीन दलदली हो चुका है। धान, गेहूं या सब्जियों की बुआई करना नामुमकिन है। ऐसे में किसान अब खेती छोड़कर मजदूरी करने को मजबूर हैं और कई परिवार रोज़गार की तलाश में पलायन भी कर रहे हैं।
प्रशासन से लगाई गुहार, नहीं मिला समाधान
ग्रामीणों का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में सीओ से लेकर डीएम तक कई बार आवेदन दिए जा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इस मामले में अस्थावां सीओ रविंद्र कुमार ने बताया कि जलजमाव की समस्या को संज्ञान में लिया गया है। जांच उपरांत जल्द ही समाधान किया जाएगा।
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