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    नवादा जेल में गूंजे छठी मैया के गीत, कैदियों ने आस्था और श्रद्धा के साथ किया महापर्व का आयोजन

    By Rajesh PrasadEdited By: Rajat Mourya
    Updated: Mon, 27 Oct 2025 07:00 PM (IST)

    नवादा जेल में कैदियों ने आस्था और श्रद्धा के साथ छठ महापर्व का आयोजन किया। जेल परिसर में छठी मैया के भक्ति गीत गूंजे। जेल प्रशासन ने पूजा की सभी व्यवस्थाएं कीं। कैदियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और छठी मैया से आशीर्वाद मांगा। यह आयोजन श्रद्धा और भक्ति के माहौल में संपन्न हुआ, जिसमें कैदियों ने सद्बुद्धि की प्रार्थना की।

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    नवादा जेल में गूंजे छठी मैया के गीत

    जागरण संवाददाता, नवादा। बिहार-झारखंड के साथ-साथ, देश-विदेश में छठ महापर्व का उल्लास चरम पर है। इस बीच सूर्योपासना का यह त्योहार जिला मुख्यालय स्थित नवादा कारा मंडल के चारदीवारी के भीतर भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। आस्था, विश्वास और आत्मशुद्धि के इस महापर्व छठ ने न केवल घाटों पर, बल्कि नवादा जेल की दीवारों के भीतर भी अपनी पवित्र छटा बिखेरी है।

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    जेल की चारदीवारी में बंद कैदियों ने जब ‘उग हे सूरज देव’ के पारंपरिक गीत गाए तो पूरा वातावरण भक्ति और समर्पण से भर उठा।

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    लैलून देवी (पति स्व. दिलीप चौधरी), रिंकी देवी (पति राजकुमार प्रसाद), रिंकू देवी (पति स्व. साहेब राजवंशी), सुकरी देवी (पति टुनटुन चौधरी), सुशीला देवी (पति चंद्रदेव चौधरी), अनीता देवी (पति अजय राम), आनंदी प्रसाद (पिता स्वर्गीय परशुराम केवट) और प्रवीण कुमार (पिता कारू पासवान) ने मंडल कारा परिसर में विधिवत रूप से छठ महापर्व का व्रत किया। इनकी भक्ति और उत्साह को देखकर यह कहना मुश्किल था कि यह आयोजन किसी जेल में हो रहा है।

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    महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से हुई, फिर खरना के दिन कैदियों ने शुद्धता और नियमों का पालन करते हुए गुड़-चावल की खीर, रोटी और केले का प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी में सभी ने जेल परिसर को साफ-सुथरा कर छोटा सा घाट तैयार किया।

    मिट्टी के घाट पर दीपों की रोशनी और गूंजते छठ गीतों ने वातावरण को दिव्य बना दिया। जेल अधीक्षक बृजेश सिंह मेहता ने इस अवसर पर कहा आस्था की कोई सीमा नहीं होती। कैदियों का यह आयोजन यह दर्शाता है कि इंसान चाहे किसी भी परिस्थिति में हो, श्रद्धा और संस्कार उसके भीतर जीवित रहते हैं।

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    छठ केवल पूजा नहीं, आत्मशुद्धि और अनुशासन का प्रतीक है। महिला एवं पुरुष बंदियों ने सामूहिक रूप से व्रत रखा और सूर्यदेव व छठी मैया से अपने परिवार के कल्याण और जीवन में नई शुरुआत की कामना की। कई बंदियों की आंखों में भावनाओं का सागर उमड़ आया मानो इस पूजा ने उन्हें जीवन में नई उम्मीद और आत्मबल दे दिया हो।

    भक्ति, अनुशासन और एकता का यह अनोखा संगम नवादा मंडल कारा में वर्षों तक याद रखा जाएगा। यह आयोजन साबित करता है कि भले ही इंसान दीवारों के भीतर हो, लेकिन आस्था के उजाले को कोई कैद नहीं कर सकता है।