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    किसानों के सामने एक नहीं, अनेक समस्याएं; मुनाफाखोरी और कालाबाजारी पर नकेल कसने की मांग

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 01:06 PM (IST)

    नारदीगंज में किसान संवाद में किसानों ने खाद की किल्लत बिजली की समस्या और अनाज के उचित मूल्य न मिलने जैसी चुनौतियों पर चर्चा की। किसानों को खाद के लिए भटकना पड़ रहा है जबकि कृषि विभाग का कहना है कि खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। किसानों ने मुनाफाखोरी और कालाबाजारी पर नकेल कसने की मांग की है।

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    किसानों के सामने एक नहीं, अनेक समस्याएं। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नारदीगंज (नवादा)। दैनिक जागरण द्वारा मंगलवार को आयोजित किसान संवाद में किसानों ने विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम का आयोजन कोसला गांव में किया गया। इस संवाद में कई किसानों ने अपनी बातें रखीं। कार्यक्रम में किसान पंकज सिंह, प्रहलाद सिंह, फूचन मिस्त्री, नवल सिंह, रंजन सिंह, संजय सिंह, अमरेश कुमार, तानो सिंह, मुकेश कुमार समेत अन्य किसानों ने किसानों की समस्याओं को जोरदार तरीके से रखा।

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    पंकज सिंह ने बताया कि धान के पौधे रोपने का काम पूरा हो चुका है। अभी पौधा ठीक है। मौसम भी साथ दे रहा है। बूंदाबांदी हो रही है। अगर मौसम अनुकूल रहा तो इस बार अच्छे उत्पादन की उम्मीद है। किसानों को उत्पादित अनाज का सरकारी दर पर सही मूल्य नहीं मिलता है। यह चिंता का विषय है।

    प्रहलाद सिंह ने कहा कि बिजली की लुकाछिपी के खेल से हम सभी किसान परेशान हैं। किसानों को नियमित रूप से बिजली मिलनी चाहिए। फूचन मिस्त्री, मुकेश कुमार, संजय सिंह, नवल सिंह समेत अन्य किसानों का कहना है कि खेतों में धान की फसल ठीक दिख रही है। खेत हरा-भरा है। अब खेतों में खाद डालने की जरूरत है। बाजार में दुकानदारों के पास पर्याप्त मात्रा में खाद है। लेकिन दुकानदार कहते हैं कि खाद नहीं है।

    विक्रेता भी कहते हैं कि खाद मिलेगा लेकिन आपको अधिक कीमत देनी होगी। ऐसे में हम लोग खाद की किल्लत से परेशान हो रहे हैं। खेत में लगे धान के पौधों में खाद डालना जरूरी है। हम लोग यूरिया और डीएपी खाद के लिए भटक रहे हैं।

    इधर, कृषि समन्वयक संजय कुमार कहते हैं कि नारदीगंज प्रखंड में लक्ष्य के अनुरूप धान की रोपनी हो चुकी है। यहां 4777 हेक्टेयर में धान रोपनी का लक्ष्य था। बाजार में विक्रेताओं के पास खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। मुनाफाखोरी और कालाबाजारी पर नकेल कसने की जरूरत है। ताकि किसानों को उचित मूल्य पर खाद मिल सके।

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