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    हिसुआ विधानसभा सीट पर सियासी उबाल तेज, NDA की सीट शेयरिंग के बाद महागठबंधन और जनसुराज पर निगाहें

    Updated: Mon, 13 Oct 2025 04:05 PM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर हिसुआ विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। एनडीए में सीट बंटवारे के बाद महागठबंधन और जनसुराज पार्टी में भी घमासान तेज है। सोशल मीडिया पर समर्थकों का प्रदर्शन जारी है। कांग्रेस और राजद दोनों ही हिसुआ सीट से चुनाव लड़ने के लिए जोड़-तोड़ कर रहे हैं। जनसुराज पार्टी में भी टिकट को लेकर खींचतान है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    संवाद सूत्र, अकबरपुर (नवादा)। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए में सीट शेयरिंग की घोषणा के बाद हिसुआ विधानसभा की सियासत में जबरदस्त हलचल मच गई है।

    हिसुआ सीट सहयोगी दल के खाते में जाने की चर्चा ने इलाके की राजनीति को पूरी तरह गर्मा दिया है। सोशल मीडिया पर समर्थक जमकर अपनी-अपनी पार्टी के पक्ष में पोस्ट कर रहे हैं।

    हालांकि, एनडीए की ओर से अब तक सिर्फ सीट शेयरिंग की बात सामने आई है, लेकिन यह साफ नहीं हुआ है कि हिसुआ से कौन प्रत्याशी मैदान में उतरेगा।

    आधिकारिक घोषणा का सबको बेसब्री से इंतजार है। वहीं, महागठबंधन खेमे में वर्तमान विधायक के समर्थक इस पर मजे लेते हुए सोशल मीडिया पर तंज कस रहे हैं।

    दिलचस्प बात यह है कि महागठबंधन में भी अब तक सीट बंटवारे का फार्मूला तय नहीं हो पाया है। यह कहना फिलहाल मुश्किल है कि हिसुआ सीट से कांग्रेस लड़ेगी या राजद। दोनों ही दल अपने-अपने दावे को लेकर अंदरखाने जोड़तोड़ में जुटे हैं।

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    वहीं, तीसरे मोर्चे के रूप में उभर रही जनसुराज पार्टी में भी टिकट को लेकर खींचतान तेज है। पार्टी के भीतर दो प्रबल दावेदारों के नाम चर्चा में हैं- एक अगड़ी जाति से तो दूसरा अति पिछड़ा वर्ग से आता है। अब देखने वाली बात होगी कि पार्टी सामाजिक समीकरण और जीत की संभावना को ध्यान में रखते हुए किस पर भरोसा जताती है।

    माना जा रहा है कि इस पर फैसला अगले एक-दो दिनों में सामने आ सकता है। स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हिसुआ सीट हमेशा से राजनीतिक तापमान मापने का थर्मामीटर रही है। यहां के मतदाता जातीय समीकरण के साथ-साथ प्रत्याशी की छवि और क्षेत्र में किए गए काम को भी तवज्जो देते हैं।

    फिलहाल, एनडीए से लेकर महागठबंधन और जनसुराज तीनों ही खेमों में सियासी समीकरण साधने की कवायद जारी है। चौपाल से लेकर सोशल मीडिया तक एक ही सवाल चर्चा में है।