मगध के महारथी साहित्यकार राम रतन प्रसाद सिंह का निधन, मिला था मगही रत्न अवॉर्ड
नवादा जिले के वारिसलीगंज में वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार राम रतन प्रसाद सिंह रत्नाकर का निधन हो गया। वे मगध क्षेत्र के बड़े साहित्यकार थे और मगही भाषा के उत्थान के लिए समर्पित थे। उन्होंने कई पुस्तकें और पत्रिकाएं प्रकाशित कीं। उनके निधन पर जिले के कई लेखकों और पत्रकारों ने शोक व्यक्त किया।

साहित्यकार राम रतन प्रसाद सिंह रत्नाकर का निधन। (फाइल फोटो)
संवाद सूत्र, वारिसलीगंज। नवादा जिले के वारिसलीगंज प्रखण्ड के मकनपुर ग्रामीण सह पूर्व मुखिया, वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार राम रतन प्रसाद सिंह रत्नाकर का निधन शुक्रवार की मध्य रात्रि में इलाज के दौरान हो गया।
वे मगध क्षेत्र के बड़े साहित्यकार थे। वरिष्ठ पत्रकार, कवि, साहित्यकार व इतिहासकार थे। लोक परंपरा और मगही भाषा के उत्थान को लेकर जीवनपर्यंत उनकी लेखनी चलती रही। वे 1968 से साहित्य साधना में जुड़े जो अंतिम समय तक मगही भाषा की समृद्धि के लिए चिंतित रहे।
उन्होंने पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में अमित छाप छोड़ी है। उन्हें भूलाया नहीं जा सकता। उनके संपादन में मगही संवाद और सतत नाम से 27 पत्रिका प्रकाशित हुई। मगही में- गांव के लक्ष्मी, राजगीर दर्शन, पगडंडी के नायक, मरघट के फूूल, मगध की संस्कृति, फगुनी के याद पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है।
जबकि हिन्दी में-बलिदान, शहीद, संस्कृति संगम, आस्था का दर्शन, लोकगाथाओं का सांस्कृतिक मूल्यांकन, ब्रह्मर्षि कुल भूषण, बजरंगी समेत कई किताबें प्रकाशित है।
वारिसलीगंज में जब हिंसा का दौर चल रहा था तब वे साहित्य के जरिए लोगों के बीच समन्वय का काम कर रहे थे। वे बेबाक लेखन करते थे। वे नए लेखकों के प्रेरणा स्रोत थे। जिले के पत्रकारों में अभिभावक की भूमिका का निर्वहन करते रहे। उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी सहस्त्राब्दि सम्मान समेत कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सम्मान पा चुके थे। उन्हें मगही रत्न से नवाजा गया था
उनका निधन सम्पूर्ण मगध क्षेत्र, जिले के पत्रकारों, नवोदित लेखकों एवं मगही मंडप के लिए अपूर्णीय क्षति है। शनिवार की शाम बाढ़ के उमानाथ गंगा घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।
निधन की सूचना के बाद नवादा जिले के तमाम कवि, लेखकों, पत्रकारों, साहित्यकारों व इतिहासकारों ने उनके निधन पर गहरी संवेदना प्रकट करते हुए ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति को ले प्रार्थना की।
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