Bihar Politics: चुनाव से पहले लालू यादव ने कर लिया फैसला, इस पार्टी से नहीं होगा राजद का गठबंधन
AIMIM के अख्तरूल ईमान ने राजद पर मुसलमानों के वोटों को विभाजित करने का आरोप लगाया है। महागठबंधन में शामिल न करने पर उन्होंने नाराजगी जताई और अलग चुनाव लड़ने की बात कही। उन्होंने 2005 के चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि सेक्युलर वोटों का बिखराव हुआ तो राजद जिम्मेदार होगा। राजद ने एआईएमआईएम पर हार मान लेने और दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया है।

राज्य ब्यूरो, पटना। मुसलमानों के वोटों में बिखराव की आशंका जताते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की बिहार इकाई के अध्यक्ष अख्तरूल ईमान ने राजद के रवैये पर क्षोभ प्रकट किया है। एआईएमआईएम को महागठबंधन में सम्मिलित नहीं करने पर उन्होंने प्रतिकूल परिणाम की आशंका प्रकट की है।
पत्र लिख बता दिया है कि राजद की अनिच्छा के कारण एआईएमआईएम अलग चुनाव लड़ने के लिए विवश है। उल्लेखनीय है कि 2020 मेंं एआईएमआईएम के पांच विधायक चुने गए थे। बाद में अख्तरूल को छोड़ उनमें से चार राजद के साथ हो लिए।
अख्तरूल गुरुवार को राजद के शीष नेतृत्व से मिलने के लिए राबड़ी आवास पहुंचे थे। अंदर प्रवेश नहीं हुआ और गेट के बाहर ही क्षोभ-आक्रोश प्रकट कर वापस हो लिए। 2005 के विधानसभा चुनाव का उल्लेख करते हुए उनका कहना है कि उस समय रामविलास पासवान ने राजद को समर्थन देने के बदले किसी मुसलमान विधायक को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया था।
राजद नेतृत्व ने उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उसके परिणामस्वरूप भाजपा सत्ता में आ गई। वर्तमान परिस्थिति भी 2005 जैसे ही है। यदि एआईएमआईएम को महागठबंधन में सम्मिलित नहीं किया गया और सेक्युलर वोटों का बिखराव हुआ तो उसके लिए पूरी तरह से तेजस्वी और राजद जिम्मेदार होंगे।
अब अलग चुनाव लड़ने के लिए एआईएमआईएम विवश है। राजद के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि एआईएमआईएम अपनी हार तय मान चुकी है। मुसलमान तो महागठबंधन के साथ हैं। दुष्प्रचार कर अख्तरूल अपनी खीझ उतार रहे।
तीन शर्तें और अब क्षोभ:
एआईएमआईएम ने दो जुलाई को महागठबंधन में सम्मिलित होने की इच्छा जताई थी। इसके लिए तीन शर्तें थीं। पहली, एआईएमआईएम को विधानसभा की कम-से-कम छह सीटें मिलें। दूसरी, सीमांचल विकास परिषद का गठन कर विशेष पैकेज दिया जाए। तीसरी, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदायों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में राजनीतिक भागीदारी दी जाए।
अख्तरूल का कहना है कि हमारी अपेक्षा पर गंभीर होने के बजाय तेजस्वी ने एआईएमआईएम को चुनाव नहीं लड़ने की राय दी। अफसोस कि हमारी उदारता को कमजोरी समझा गया और पत्र का औपचारिक जवाब देना भी आवश्यक नहीं समझा गया।
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