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    Akshaya Navami 2025: संतान की कामना करने वालों के लिए खास होगी अक्षय नवमी, इस दिन क्या करें?

    Updated: Tue, 28 Oct 2025 08:50 PM (IST)

    30 अक्टूबर को अक्षय नवमी मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है। आंवला वृक्ष की पूजा से सुख-समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है, साथ ही दान-पुण्य का भी महत्व है।

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    संतान की कामना करने वालों के लिए खास होगी अक्षय नवमी

    जागरण संवाददाता, पटना। गुरुवार (30 अक्टूबर) को अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवले के वृक्ष की जड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। ऐसे में इस दिन उत्तम स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि व शांति की कामना से आंवला वृक्ष का पूजन किया जाएगा।

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    ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि अक्षय नवमी पर श्रवण व धनिष्ठा नक्षत्र के युग्म संयोग तथा रवि योग का पुण्यकारी संयोग बन रहा है। संतान की कामना करने वाले श्रद्धालु गुरुवार को विधि-विधान से भगवान नारायण की पूजा आंवला के पेड़ के नीचे करेंगे।

    अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा-अर्चना कर दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। नवमी पर किया गया दान-पुण्य कई गुना अधिक लाभ दिलाता है।

    इस दिन श्रद्धालु भतुआ में स्वर्ण, धातु या द्रव्य डालकर गुप्त दान करते हैं। आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु और शिव का वास बताया गया है। आंवले के पेड़ के नीचे दस दिन तक भगवान विष्णु को दीपक जलाना शुभ माना जाता है। आंवला नवमी को भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक दैत्य का अंत किया था।

    आंवला पूजन होगा शुभकारी

    आंवला के वृक्ष को अक्षय शुभदायक, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। अक्षय नवमी से कार्तिक पूर्णिमा तक इस पेड़ की जड़ में देवताओं का वास होने से अक्षय नवमी पर पूजन तथा दुग्धाभिषेक के बाद संध्या काल में घी का दीपक जलाने से भक्तों को सभी पापों से मुक्ति, आरोग्यता, सौभाग्य व सुख-समृद्धि का लाभ मिलता है। कार्तिक मास में वैसे तो स्नान का अपना ही महत्व होता है, लेकिन इस दिन गंगा स्नान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।

    आंवला का पेड़ में कई औषधीय गुण विद्यमान है। आंवला को आयु और आरोग्य वर्धक भी माना जाता है। अक्षय नवमी की तिथि के दो दिन बाद यानि कार्तिक शुक्ल एकादशी को सृष्टि का पालनहार श्री हरि विष्णु योग निद्रा से जागृत होंगे। इसी दिन से ही त्रेता युग का आरंभ हुआ था।

    अक्षय नवमी के दिन स्नान, पूजन, तर्पण, अन्न तथा वस्त्र दान करने से हर मनोकामना पूरी होती है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने का नियम है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को अतिप्रिय है, क्योंकि इसमें लक्ष्मी का वास होता है।

    पूजन से सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि

    कार्तिक शुक्ल नवमी के दिन गुप्त दान करना बेहद शुभ माना जाता है। आंवला के पेड़ के नीचे 10 दिनों तक भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। परिक्रमा कर उसमे रक्षा सूत्र बांधकर एवं दीप जलाकर मनोकामना मांगी जाती है।

    इसी पेड़ के नीचे बैठकर व्रती खाना भी खाती हैं। यह तिथि बहुत ही शुभ होती है. इसलिए इस दिन से कई शुभ काम शुरू किए जाते हैं।

    नवमी के दिन जगद्धात्री पूजा होती है। इस दिन जल में आंवले का रस मिलाकर नहाने से जातक के ईर्द-गिर्द जितनी भी नकारात्मक ऊर्जा होगी वह स्वतः नष्ट हो जाती है । सकारात्मकता ऊर्जा और पवित्रता में वृद्धि होती है।